Lucknow: कुछ दिनों में और बढ़ेगी महंगाई, जानिए लखनऊ में आम जनता का क्या है हाल
Lucknow: लखनऊ में जहां कारोबार मंदी से जूझ रहा है वहीँ आम आदमी महंगाई से जूझने को मजबूर है। इसका असर जेब और रसोई दोनों में दिखने लगा है।
Lucknow: नवाबों के शहर लखनऊ में जहां कारोबार मंदी से जूझ रहा है वहीँ आम आदमी महंगाई से जूझने को मजबूर है। इसका असर जेब और रसोई दोनों में दिखने लगा है। दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। आमदनी उस लिहाज से बढ़ नहीं रही। हैरान परेशान है हर इंसान जिसे नहीं मिल रहा जरा सा आराम उससे मिलिए हमारी विशेष रिपोर्ट में...
घर का बजट बिगड़ रहा है
हमारी सबसे पहली मुलाकात होती है मंजू वर्मा से, मंजू कहती हैं, सरसों तेल, डालडा, मीट, आटा, दाल मछली, चिकेन, दूध, चावल, रसोई गैस, रिफाइन कुछ तो सस्ता नहीं मिल रहा है घर का बजट बिगड़ गया है। नजर उतारने वाले नींबू मिर्च तक को नजर लग गई है। परिवार चलाना कठिन हो गया है। कहां गया पीएम साहेब का बहुत हुई महंगाई की मार एक बार फिर मोदी सरकार?
मंजू कहती हैं अच्छे दिन का वादा था। ये तो वो वाले भी दिन नहीं बचे जिसमें हमने अच्छे दिनों का सपना देखा था। उनकी मोदी जी से अपील है कि आप वही दिन वापस कर दीजिए।
सहालगी मौसम में पतझड़
इसके बाद हमने सर्राफा बाजार का रुख किया। यहाँ हमें मिले दीप प्रकाश। जोकि रत्न व आभूषण कारोबारी हैं।
उनका कहना है कि सहालग का मौसम है। लेकिन बोहनी कर के ही रह जाते हैं। उम्मीद थी कोरोना के बाद हालात सुधरेंगे। लेकिन कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा। मंदी आने की ख़बरें और डरा रही हैं।
पूंजी से निकाल के रकम खर्च होने लगी है। मैं सरकार को दोष तो नहीं देता। दुनिया भर के हालात बुरे हैं। लेकिन सरकार ठोस कदम तो उठा सकती हैं। अब तो इएमआई भी बढ़ा दी है। कमाई हो तो बढ़ी हुई इएमआई देने में कोई परेशानी नहीं। लेकिन ऐसे तो मुश्किल में पड़ जाएंगे।
जानिए क्या है सोने चांदी का भाव
दीप से बात करने के बाद हमने जाना कि आज लखनऊ में सोने और चांदी का भाव क्या है। आप भी देखिए ये 22 कैरट सोने के दाम हैं।
1 ग्राम ₹4,755 रु
8 ग्राम ₹38,040 रु
10 ग्राम ₹47,550 ₹रु
100 ग्राम ₹4,75,500 रु
ये रहे 24 कैरट सोने के
1 ग्राम ₹5,185
8 ग्राम ₹41,480
10 ग्राम ₹51,850
100 ग्राम ₹5,18,500
इसके बाद जानिए लखनऊ में चांदी के
1 ग्राम ₹63.80
8 ग्राम ₹510.40
10 ग्राम ₹638 ₹627
100 ग्राम ₹6,380
1 किग्रा ₹63,800 ₹
फोटोकापी से चल रहा काम
इसके बाद हम मिले स्टेशनरी व कापी किताबों के कारोबारी अनिल से..
अनिल ने बताया कि स्कूलों में सेशन शुरू हो चुका है। लेकिन हालात वही बनें हुए है। कोरोना काल में अधिकतर पैरेंट्स जैसे फोटोकापी करा के बच्चों को किताबें पढने को दे रहे थे वैसे ही अभी भी दे रहे हैं।
कापी, रजिस्टर, पेन, पेंसल, लंच बॉक्स, पेंसल बॉक्स तो बिक रहे हैं लेकिन बाकी का सामान लेने वाला कोई नजर नहीं आता दाम भी बढ़े हैं। 35 वाला रजिस्टर 40 का, 40 वाला 45 का और 60 वाला रजिस्टर 75 में बिक रहा है। हमारी भी मज़बूरी है हम महंगा खरीदेंगे तो मुनाफा लेकर ही बेचेंगे।
रेस्टोरेंट का भी बुरा हाल
सुमित रेस्टोरेंट चलाते हैं। उनका कहना है कि कारीगर सात सौ रु दिहाड़ी ले रहे है। वहीँ वेटर को चार सौ रु देने होते हैं। हरी सब्जी, आटा, मैदा, डालडा, रिफाइन, दाल चिकेन और मटन की कीमतें आग उगल रही हैं। ग्राहक आने कम हो गए हैं। मुनाफा काफी कम हो गया है।
सुमित ने बताया अब हर शाम सिर्फ पनीर चिल्ली, छोला-चावल चाउमिन, मंचूरियन ही बनवा रहे हैं। कारीगरों को भी आधे समय के लिए ही बुलाते हैं।
गर्मी ने तोडा रिकार्ड लेकिन फ्रिज एसी पड़े ठंडे
हमारी मुलाकात हुई मनीष से, मनीष का इनवर्टर बैटरी और इलेक्ट्रानिकस का कारोबार है।
मनीष कहते हैं, इस बार गर्मी ने रिकार्ड तोड़े वहीँ बिक्री न होने का भी रिकार्ड टुटा है। कोरोना काल में भी ऐसे हालात नहीं थे। इस सीजन में हमारे दोनों शोरूम में रिपेयर की डिमांड ज्यादा आ रही है।
मार्च-अप्रैल में सिर्फ 150 इनवर्टर और बैटरी बिकी हैं। माल भरा पड़ा है। लेकिन ग्राहक नहीं हैं। फ्रिज और एसी भी गर्मी को देखते हुए उतने नहीं बिक रहे जितनी उम्मीद थी। हां! ब्रांडेड कूलर पर इस बार ग्राहकों का ज्यादा जोर है। ये एसी से सस्ते होते हैं बिजली भी कम खर्च होती है।
मनीष बताते हैं कि रेपो रेट बढ़े हैं जिसके चलते टीवी, वाशिंग मशीन, एसी, फ्रिज की कीमतों पर भी असर पड़ेगा।
मनीष हँसते हुए कहते हैं ऐसा ही रहा तो पूंजी लगाने से अच्छा है, सब कुछ बेच के पैसा बैंक में फिक्स कर देना चाहिए कम से कम महीने ब्याज की एक अच्छी रकम तो मिलेगी।
कंपनिया बढ़ा रहीं दाम माल उतना ही
फहीम सुपर स्टोर चलाते हैं।
उन्होंने बताया कि मदर डेयरी अमूल और पराग ने दूध के दाम बढ़ा दिए हैं। तेल, आटा, मैदा,सूजी सब बढ़ी दरों पर बिक रहा है। जो ग्राहक महीने में 20 हजार का राशन लेते थे। अब वो 12 हजार का राशन ले रहे और उसमें भी 2 से 3 हजार उधार कर देते हैं। हमें महीने भर उनको याद दिलाना पड़ता है।
फहीम कहते हैं पिछले कुछ दिनों में गेहूं के आटे के दाम 5 रु और शक्कर के दाम भी तेज हुए हैं. कल ब्रिटानिया के डीलर ने बता दिया है कि सभी प्राडक्ट पर 7 प्रतिशत तक रेट बढ़ने वाले हैं। डाबर के प्रोडक्ट में 10 प्रतिशत रेट पहले ही बढ़ चुके हैं। मैगी के भी रेट बढ़ गए हैं। पार्ले कंपनी भी अपने सभी प्रोडक्ट के रेट बढ़ाने वाली है।
मुश्किल तब होती है जब कई बार ग्राहकों को लगता है कि रेट हमने बढ़ा दिए हैं। बहस भी होती है। लेकिन क्या करें? हम अपने घर से तो नहीं छुट दे सकते। हमें भी कोई शौक नहीं है कि अधिक पैसे लेकर दुकानदारी करें।
सब्जियों में अभी लगेगी और आग
फहीम बताते हैं उनके बड़े भाई रहिल की दुबग्गा मंडी में आढत है। फहीम ने हमारी बात राहिल से कराई.. उन्होंने बताया डीजल के दाम बढ़ने से ढुलाई की कास्ट बढ़ी तो सब्जियों के दाम 40-60 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं।
(रु प्रति कि.)
अदरक 60-70 रु
गाजर 40-50 रु
लौकी 50-60 रु
परवल 120-130 रु
बंद गोभी 40-60 रु
नींबू 200-250 रु
भिंडी 100-120 रु
राहिल ने ये कह के टेंशन बढ़ा डी कि इसके बाद भी आने वाले कुछ दिनों में इसमें 50 रु तक बढ़ सकते हैं।
रु हुआ कमजोर तभी महंगाई डायन ताकतवर हुई
इसके बाद हम पहुंचे अर्थशास्त्र के जानकार अलोक अग्रवाल के पास कि आखिर महंगाई क्यों डायन बनी हुई है। उन्होंने बताया कि वैश्विक कारोबार डॉलर में होता है। और हमारा रु उसके मुकाबले कुछ महीनों से गिर के धड़ाम हुआ पड़ा है। ऐसा रूस-यूक्रेन युद्ध और चालू खाते घाटे में बढ़ोत्तरी के कारण हुआ है।
अलोक ने बताया युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें अगले 6-9 महीने तक बढती रहने वाली है। जिसके कारण डीजल- पेट्रोल के भी रेट आने वाले समय में और बढ़ सकते हैं। ऐसे में रु और कमजोर होता है तो महंगाई बढ़ेगी।
अलोक ने कहा आपने देखा न कि ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी हुई है वो रु के गिरने के कारण ही हुई है। मेटल, कागज, गेहूं के साथ ही उर्वरक के दाम भी और बढ़ सकते हैं क्योंकि यूक्रेन और रूस इनके बड़े उत्पादक हैं और ये दोनों ही इस समय युद्ध में एकदूसरे के समाने खड़े हैं ऐसे में खेती की भी लागत बढ़ेगी अनाज और दलहन भी महंगा होगा।
अभी और लगेगी महंगाई की आग
अलोक कहते हैं युद्ध की वजह से क्रूड ऑयल की औसत कीमत 120 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती है। यदि ऐसा हुआ तो देश पर 70 अरब डॉलर का भार पड़ेगा। इससे महंगाई में और आग लगेगी। सरकार इसकी भरपाई के लिए कुछ वस्तुओं पर जीएसटी लगाने और कुछ पर बढ़ाने का निर्णय ले सकती है। संभव है कि सरकार ऐसा जल्द करने की सोच सकती है।
देश ही नहीं दुनिया पर महंगाई और मंदी का खतरा
अलोक ने बताया कि पूरी दुनिया पर महंगाई और मंदी का खतरा मंडरा रहा है। 2025 तक दुनिया में आर्थिक विकास दर का लगातार गिरना नजर आने लगेगा। इसके साथ ही खपत में गिरावट दर्ज होगी। औद्योगिक उत्पादन में कम होने लगेगा। बेरोजगारी बढ़ने लगेगी। शेयर बाजार में गिरावट नजर आने लगेगी। देशों की सरकारें नहीं चेती तो 2030 तक ये पूरे विश्व को चपेट में ले लेगी।