सपा का युवा घेराः विवेकानंद जयंती पर होगा ऐसा, हुआ बड़ा एलान

युवा शक्ति के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद की जयंती 12 जनवरी को समाजवादी पार्टी ने प्रदेश में युवा घेरा कार्यक्रम के तौर पर मनाने का एलान किया है । समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि आगामी 12 जनवरी को समाजवादी पार्टी के युवा कार्यकर्ता हर जिले में युवाओं के साथ मिलकर ऐसा कार्यक्रम करेंगे जिसमें युवाओं से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। 

Update:2021-01-06 22:28 IST
विवेकानंद जयंती पर सपा ने किया युवा घेरा का एलान, होगी विभिन्न मुद्दों पर चर्चा

लखनऊ: युवा शक्ति के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद की जयंती 12 जनवरी को समाजवादी पार्टी ने प्रदेश में युवा घेरा कार्यक्रम के तौर पर मनाने का एलान किया है । समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि आगामी 12 जनवरी को समाजवादी पार्टी के युवा कार्यकर्ता हर जिले में युवाओं के साथ मिलकर ऐसा कार्यक्रम करेंगे जिसमें युवाओं से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।

युवा घेरा कार्यक्रम के रूप में स्वामी विवेकानंद की जयंती मनाने का आव्हान करने वाले अपने बयान में उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ऐसे संत थे जिन्होंने अध्यात्म को सामाजिक सरोकारों से भी जोड़ा था। उनके राष्ट्रवाद में गरीबों, वंचितों के प्रति त्याग, सेवा और समर्पण को प्राथमिकता थी। उन्होंने विश्व को भारतीय ज्ञान, संस्कृति एवं गौरव का बोध कराया।

युवाओं से सम्बन्धित समस्याओं पर चर्चा

सपा नेता ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर घेरा बनाकर युवाओं से सम्बन्धित समस्याओं पर चर्चा की जाएगी। इन चर्चाओं पर छात्रों-नौजवानों की सक्रिय भागीदारी होगी। हर जिले में समाजवादी पार्टी छात्रों-नौजवानों से सम्बंधित मुद्दों पर सार्वजनिक परिचर्चा और संगोष्ठियों का आयोजन करेगी। समाजवादी पार्टी के युवा प्रकोष्ठों के पदाधिकारी भी युवा घेरा कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी करेंगे।

उन्होंने कहा कि आज नौजवानों के सामने मंहगी होती शिक्षा और रोजगार बड़ी समस्या हैं। जहां नौजवान सरकारी विसंगतियों के खिलाफ आवाज उठाते हैं उनका उत्पीड़न शुरू हो जाता है। उन पर तमाम आरोप लगते हैं, फर्जी मुकदमों में फंसाया जाता है। युवाओं-छात्रों का भविष्य बिगाड़ने के लिए उन पर एन.एस.ए. भी लगा दिया जाता है। नौजवानों की जिंदगी के सामने आज अंधेरा छाया हुआ है। भाजपा सरकार की कुनीतियों के चलते रोटी-रोजगार के अवसर कम हुए है।

भाजपा पर किया हमला

भाजपा सत्ता में नौजवानों को हर वर्ष दो करोड़ रोजगार देने के वादे के साथ आई थी। उसके हर वादे की तरह यह वादा भी हवा हवाई साबित हुआ है। प्रदेश में पूंजीनिवेश आया नहीं, नए उद्योग लगे नहीं, इच्छुक निवेशकर्ताओं को भी सरकार से उपेक्षा मिली और लाकडाउन में तो तमाम फैक्ट्रियां भी बंद हो गई। व्यापार चौपट हो गया। बड़े पैमाने पर श्रमिकों का पलायन हुआ। नौकरियों में छंटनी हुई। बेरोजगारी पर कहीं रोक नहीं लगी सरकारी विभागों में रिक्तियां होने के बावजूद भर्तियां रूकी हुई है।

परेशान हाल नौजवानों ने निराशा में आत्महत्याएं की हैं समाजवादी सरकार में कौशल प्रशिक्षण के साथ जो रोजगार के अवसर सृजित किए गए थे भाजपा राज में उन्हें भी बंद कर दिया गया। नौकरियों के अवसर घटते जा रहे हैं। निजीकरण ने तमाम विभागों में युवा कर्मचारियों के सामने अनिश्चितता के हालात पैदा कर दिए हैं। युवाओं को योग्यता के अनुसार काम नहीं मिल पा रहा है।

भाजपा राज में सबसे ज्यादा असुरक्षित बहन-बेटियां

भाजपा राज में सबसे ज्यादा असुरक्षित है बहन-बेटियां जिनके साथ दुष्कर्म के काण्ड बढ़ते जा रहे हैं। छोटी-छोटी मासूम बच्चियां तक हैवानियत का शिकार बनाई जा रही हैं। महिलाओं का रास्ता चलना मुश्किल हो गया है। कानून व्यवस्था चौपट है। समाजवादी सरकार ने अपराध नियंत्रण के लिए जो यूपी डायल 100 नं0 और 1090 वूमेन पावर लाइन सेवाएं शुरू की थी उन्हें बर्बाद कर दिया गया है। मुख्यमंत्री का रोमियो स्क्वाड कहीं नज़र नहीं आता है।

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शिक्षा व्यवस्था हो गई मंहगी

शिक्षा के क्षेत्र में तो आर.एस.एस. के जरिए राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते घोर अव्यवस्था के हालात पैदा हो गए है। नए नेतृत्व की नर्सरी छात्र संघो के चुनावों पर रोक लगी है। शिक्षा संस्थानों में एक खास विचारधारा को बढ़ावा दिया जा रहा है। शिक्षा संस्थाओं में अंधाधुंध फीस बढ़ाई जा रही है। शिक्षा व्यवस्था इतनी मंहगी कर दी गई है कि सामान्य वेतन भोगी अच्छे संस्थान में अपने बच्चे को पढ़ा ही नहीं सकता है। शिक्षा व्यवस्था से रोजगार नहीं जुड़ने से छात्र-छात्राएं निराशा में जीने को विवश हैं।

कोरोना संकट में शिक्षा संस्थानों में बंदी की वजह से आनलाइन शिक्षा प्रारम्भ करने का खूब समां बांधा गया है लेकिन सच यह है कि इससे पढ़ाई कम, दिक्कतें ज्यादा बढ़ी है। स्मार्टफोन अथवा कम्प्यूटर के बिना यह पढ़ाई सम्भव नहीं, गांवों में नेट की समस्या के अलावा शिक्षण कार्य में भी असुविधा होती है। गरीब और मध्यम वर्ग के परिवार के लिए तो इस पढ़ाई में दिक्कत ही दिक्कत है। शिक्षा संस्थाओं में वाईफाई सुविधाएं भी नहीं दी गई।

अखिलेश तिवारी

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