Lucknow News : अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में प्रो. उमेश वशिष्ठ बोले, स्वस्थ गुरु-शिष्य परम्परा से ही देश बनेगा विश्वगुरु

Lucknow News : भारतीय शिक्षा शोध संस्थान एवं इण्डिया एजुकेशन रिसर्च फाउंडेशन के संयुक्त तत्त्वाधान में गुरुपूर्णिमा पर अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का आयोजन किया गया।

Newstrack :  Network
Update: 2024-07-21 12:10 GMT

Lucknow News : भारतीय शिक्षा शोध संस्थान एवं इण्डिया एजुकेशन रिसर्च फाउंडेशन के संयुक्त तत्त्वावधान में गुरुपूर्णिमा पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों के दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती वंदना से हुई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में विश्व विख्यात साहित्यकार प्रो. सूर्य प्रकाश दीक्षित, मुख्य वक्ता के रूप में लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय के पूर्व संकायाध्यक्ष प्रो. उमेश वशिष्ठ एवं विशिष्ट अतिथि शान्ति निकेतन के शिक्षा संकाय के प्रो. के.सी. साहू की उपस्थित रहे। डॉ. रितु त्रिपाठी चक्रवर्ती ने अतिथियों का स्वागत एवं परिचय दिया।

मुख्य अतिथि ने अपने उद्बोधन में भारतीय ज्ञान परम्परा में गुरु, आचार्य, शिक्षक, पुरोहित, मानसगुरु, सद्गुरु, गुरुनाम जैसे सम्प्रत्यों पर प्रकाश डालते हुए भारत की समृद्ध परम्परा के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक सत्ता ने देश को गुलाम बनाने के लिए इस देश की समृद्ध गुरु शिष्य परम्परा को निशाना बनाया, क्योकि वे जानते थे कि जब तक इस देश के लोगों में अपनी संस्कृति, परम्परा का गर्व उसके जेहन में रहेगा, उसे ज्यादा दिन तक गुलाम नहीं बनाया जा सकता। इसलिए उन्होंने इस देश की शिक्षा का अंग्रेजीकरण कर दिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में शिक्षक सिर्फ वेतनभोगी कर्मचारी बनने की दिशा में अग्रसर हैं।

मुख्य वक्ता प्रो. उमेश वशिष्ठ ने कहा कि एक गुरु है, जो अपने शिष्य को अपने से ऊंचे पदों पर देखना चाहता है। हर विद्यार्थी को ऐसे शिक्षक का तलाश करना चाहिए, जो उसके जीवन की क्लास पढ़ाता हो। देश की परम्परा में शिक्षक अपने चरित्र और ईमानदारी से विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का निर्माण करते थे। देश के विश्वगुरु बनने का सपना एक स्वस्थ गुरु शिष्य परम्परा के रास्ते से होकर जाएगा।

उपनिषद पर हुई चर्चा

भारतीय शिक्षा शोध संस्थान के सचिव विजय शर्मा ने उपनिषद पर चर्चा की और समाज पर उसकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षा संकाय के सह आचार्य आकांक्षा सिंह ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया गया। सत्र का संचालन डॉ. दिव्या पुज्वानी ने किया। विशेष सानिध्य डॉ. शिव भूषण त्रिपाठी का भी प्राप्त हुआ। इसी के साथ स्वागत सत्र का समापन हुआ।

इसके बाद दो ऑनलाइन और दो ऑफलाइन समान्तर तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया, जिसमें सत्राध्यक्ष एवं सह सत्राध्यक्ष क्रमशः डॉ. सुनीता सिंह बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, डॉ. रितेन्द्र बंगाल, डॉ. किरण लता डंगवाल, डॉ. दिव्या पुज्वानी, रमेश सुपकर, डॉ. एच.के. राजपाल, डॉ. पाथलोथ ओमकार, डॉ. वर्तिका श्रीवास्तव, डॉ. विनोद कुमार सिंह, डॉ. अपर्णा सक्सेना, डॉ. एस.पी. सिंह, डॉ. देवयानी अवस्थी का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। इस कार्यक्रम में देशभर से लगभग 100 से अधिक शोधार्थी- विद्यार्थियों ने अपने शोध पत्रों का वाचन किया।

हमारी संस्कृति में गुरु शिष्य परम्परा का अहम योगदान

कार्यक्रम के समापन सत्र को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि अमेरिका के प्रो. मैथू स्वेदोलाफ़ ने कहा कि भारत, दुनिया का सबसे विविधता वाला देश है। यहां अलग-अलग संस्कृतिक पहचान के बावजूद, उसे एकता के सूत्र में पिरोने में इस देश के शिक्षकों का अहम योददान है। भारतीय संस्कृति हजारों वर्षों के बाद भी अपने मूल स्वरूप में जीवित है, जिसके मूल में गुरुशिष्य परम्परा का गहरा योगदान है।

यूनेस्को के समन्वयक डॉ. गणेश निगम ने कहा कि गुरु-शिष्य का सम्बन्ध पिता-पुत्र का रहा है, परन्तु अब इन मूल्यों का क्षरण चिंता का विषय है। इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय प्रो. बसंत बहादुर सिंह ने कहा कि भारतीय संस्कृति का प्रधान गुण भौतिक और आध्यात्मिक तत्वों को साथ लेकर चलने का है। एक विश्व एक परिवार, गुरुशिष्य परम्परा से ही सम्भव है।

ये लोग हुए शामिल

कार्यक्रम की विस्तृत रिपोर्ट सुप्रभा डे (शोध छात्रा) ने एवं धन्यवाद ज्ञापन महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के विभागध्यक्ष डॉ. मुकेश कुमार ने किया। इस मौके पर बाबा साहेब आंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय, महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने सक्रिय रूप में सहभागिता की। इस मौके पर प्रो. आशीष श्रीवास्तव संकायाध्यक्ष (शोध एवं विकास, आईयूसीटी), डॉ. सुभाष मिश्र (बाबा साहेब अम्बेडकर विश्वविद्यालय), डॉ. वैभव कुमार सिंह, डॉ. राम मोहन केसरवानी, डॉ. संजय यादव (आईआईटीई गांधी नगर), राहुल पाल, अंगद सिंह, आस्तिक मिश्र, मेनका, निधि सिंह, पार्थ, सुजोय, शुभ्रा, प्रणव, आलोक सरकार आदि लोग उपस्थित थे।

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