Lucknow University: हड्डियों को जोड़ने के लिए शोध, तैयार किया सिरेमिक इंप्लांट, रिसर्च पेपर प्रकाशित

Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सीआर गौतम की टीम ने यह शोध किया है। इस शोध का रिसर्च पेपर प्रकाशित हुआ है।

Report :  Abhishek Mishra
Update:2024-03-20 08:49 IST

प्रोफेसर डॉ. सीआर गौतम (PHOTO: social media )

Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर ने अपनी टीम के साथ मिलकर हड्डियों को जोड़ने के लिए सिरेमिक इंप्लांट बनाया है। यह रिसर्च एसीएस बायोमैटेरियल्स साइंस एंड इंजीनियरिंग में प्रकाशित भी हुई है।

हड्डियों को इंप्लांट करने में होगी आसानी

लखनऊ विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सीआर गौतम की टीम ने यह शोध किया है। इस शोध का रिसर्च पेपर प्रकाशित हुआ है। एलयू के भौतिक विज्ञान विभाग (एडवांस्ड ग्लास एंड ग्लास सेरेमिक्स रिसर्च लेबोरेटरी) के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सीआर गौतम और उनकी टीम ने हड्डी इंप्लांट के लिए हाइड्रोक्सीपाटाइट युक्त बायोकंपोजिट मैटेरियल से सिरेमिक तैयार किया है। नए शोध से हड्डियों को इंप्लांट करने में आसानी होगी। कई चरणों में इस सिरेमिक का टेस्ट भी किया गया है। रिसर्च को एसीएस बायोमैटेरियल्स साइंस एंड इंजीनियरिंग में प्रकाशित भी किया गया है।

सिरेमिक के इस्तेमाल से कोई हानि नहीं

एलयू के भौतिक विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सीआर गौतम के मुताबिक हड्डियों को जोड़ने के लिए एक मजबूत अर्टिफिशियल इम्प्लांट को बनाया गया है। हाइड्रोक्सीपाटाइट युक्त बायोकंपोजिट मैटेरियल को तैयार कर इस सिरेमिक को बनाया गया है। चूहों के शरीर के अलग अलग अंगों पर हाइड्रोक्सीपाटाइट युक्त बायोकंपोजिट मैटेरियल की बायोकंपैटिबिलिटी की जांच की गई है। जांच में यह सामने आया है कि इस सिरेमिक के इस्तेमाल से कोई भी हानि नहीं होगी। उन्होंने बताया कि बाजार में मौजूद अन्य सिरेमिक इम्प्लांट से कम मूल्य में यह लोगों के लिए उपलब्ध होगा। डॉ. एजाज हुसैन, डॉ. जायरीन फातिमा, प्रो. गौतम के शोधार्थी रजत कुमार मिश्रा, सविता कुमारी, सर्वेश कुमार अविनाशी और श्वेता ने इस शोध में सहायता की है। इस अर्टिफिशियल इम्प्लांट को बनाने में लखनऊ विश्वविद्यालय के जूलॉजी विभाग की प्रो. मोनिशा बनर्जी, शोधार्थी सौरभ और अहमदाबाद में निरमा विश्वविद्यालय स्थित फार्मेसी संस्थान के फार्माकोलॉजी विभाग से भगवती सक्सेना, शोधार्थी भावना बोहरा का भी सहयोग लिया गया है।

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