Lucknow News: पुनर्वास विवि में बनेगा लोक संस्कृति पर राष्ट्रीय स्तर का म्यूजियम, मीडिया लैब की होगी स्थापना

Rehabilitation University: भाषा संकाय के अध्यक्ष प्रो. वीके सिंह की मौजूदगी विभाध्यक्ष प्रो. यशवंत वीरोदय ने आगामी एक, तीन और पांच वर्षीय योजनाओं की रूपरेखा प्रस्तुत की। उनके संग प्रो. वीरेंद्र सिंह यादव, डॉ. ज्योति गौतम, डॉ. अखिलेश कुमार, डॉ. अभिषेक सिंह और डॉ. सुधा मौर्या उपस्थित रही।

Report :  Abhishek Mishra
Update: 2024-05-24 14:45 GMT

Lucknow News: डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में गुरु गोरखनाथ, स्त्री, फिल्म एंड थिएटर, पालि व बौद्ध, दलित, दिव्यांग साहित्य और किन्नर साहित्य अध्ययन केंद्र की स्थापना होगी। साथ ही लोकसाहित्य और संस्कृति पर आधारित म्यूजियम की भी स्थापना होगी। विवि के हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग ने आगामी पांच वर्षीय योजना में इसे धरातल पर उतारने का निर्णय लिया है।

मीडिया लैब की होगी स्थापना 

पुनर्वास विश्वविद्यालय में कुलपति प्रो. संजय सिंह की अध्यक्षता में हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग ने शुक्रवार को आगामी कार्ययोजनाओं का प्रजेंटेशन दिया गया। भाषा संकाय के अध्यक्ष प्रो. वीके सिंह की मौजूदगी विभाध्यक्ष प्रो. यशवंत वीरोदय ने आगामी एक, तीन और पांच वर्षीय योजनाओं की रूपरेखा प्रस्तुत की। उनके संग प्रो. वीरेंद्र सिंह यादव, डॉ. ज्योति गौतम, डॉ. अखिलेश कुमार, डॉ. अभिषेक सिंह और डॉ. सुधा मौर्या उपस्थित रही। प्रो. वीरोदय ने बताया कि आगामी एक वर्ष में शिक्षकों के लिए कोर्स फोल्डर तैयार किया जाएगा। विश्वविद्यालय के तीन वर्षीय कार्ययोजना में प्रिन्ट व इलेक्ट्रनिक मीडिया, विज्ञापन लेखन और फिल्म पटकथा लेखन आदि पर व्याख्यान होंगे। तकनीकी दक्षता के लिए कार्यशाला होगी। साथ ही एक मीडिया लैब भी स्थापित की जाएगी। देश-विदेश के प्रसिद्ध नाटककारों को बुलाकर नाट्य कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी। पीएचडी शोध प्रबन्धों का डिजिटलाईजेशन किया जाएगा। शोध छात्रों के लिए स्मार्ट क्लास की व्यवस्था होगी। 

 लोक संस्कृति पर आधारित म्यूजियम बनेगा

हिंदी भाषा साहित्य, संस्कृति, कला, लोक गीतों (सोहर, कजरी, बिरहा, लचारी), लोकोक्तियों, कहावतों, लोक कथाओं, संगीत, लोक नृत्य, लोक नाट्य और अन्य सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर लोक संस्कृति पर आधारित एक म्यूजियम का निर्माण किया जाएगा। इसमें दुर्लभ पाण्डुलिपियों और कलाकृतियों को संजोकर रखा जाएगा। इसके जरिए देश-विदेश के शोधार्थी व लोक जनजीवन के समाजशास्त्री अध्ययन कर सकेंगे।

पुरानी पत्रिकाओं का होगा ब्रेलीकरण

देश-विदेश के अलग-अलग संस्थानों या विश्वविद्यालयों के पुस्तकालयों से सम्पर्क कर अनुपलब्ध पुरानी पत्रिकाओं की फोटोकापी कराकर फाइल तैयार होगी। उनका ब्रेलीकरण भी किया जाएगा। साहित्यिक महत्व की नई और प्राचीन पुस्तकों को खरीदा जाएगा। हिन्दी और सामाजिक विषयों पर अन्तर-अनुशासनात्मक शोध, कार्यशाला और सेमिनार का आयोजन होगा। समकालीन चुनौतियों और हिन्दी भाषा व साहित्य के बहुआयामी प्रयोग विषय पर 15 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। समूचे हिन्दी साहित्य की सृजनशीलता को ध्यान में रखकर राष्ट्रीय स्तर पर एक वेबसाइट का निर्माण किया जाएगा। एक विभागीय पत्रिका का सम्पादन भी होगा।

यह होगी एक वर्ष की कार्य योजना

प्रो. यशवंत वीरोदय ने बताया कि एक वर्ष की अन्य योजनाओं में कविता उत्सव, गीत-गवनई, हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकारों के नाम पर पुरस्कार वितरण, फिल्म उत्सव एवं फिल्म परिचर्चा, धरोहर, विचार-विमर्श, मुलाकात, नृत्य एवं नाट्य उत्सव, व्यंजन एवं वेशभूषा और उत्सव शामिल है।


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