LU News: 16 संस्कारों को ग्रहण करने के लिए वेदों का अध्ययन जरुरी...वैदिक संस्कार पर आयोजित संगोष्ठी में बोले प्रो. राम सेवक दुबे

Lucknow University: मुख्य अतिथि ने कहा कि जिसने वेद और वेदांगों का अध्ययन किया हो, वही व्यक्ति 16 संस्कारों को ग्रहण कर सकता है। व्यक्ति अपने पूर्व जन्म के संस्कारों को लेकर आता है।

Report :  Abhishek Mishra
Update:2024-10-15 19:30 IST

Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय में संस्कृत एवं प्राकृत भाषा विभाग और महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान उज्जैन की ओर से वैदिक संस्कार की उपयोगिता विषय पर संगोष्ठी आयोजित हुई। तीन दिवसीय संगोष्ठी का शुभारंभ जगद्गुरूरामान्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविश्वविद्यालय जयपुर के कुलपति प्रो. राम सेवक दुबे ने किया।

तीन दिवसीय संगोष्ठी का शुभारंभ

एलयू के एपी सेन प्रेक्षागृह में मंगलवार को आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि जगद्गुरूरामान्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविश्वविद्यालय जयपुर के कुलपति प्रो. राम सेवक दुबे मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने कहा कि जिसने वेद और वेदांगों का अध्ययन किया हो, वही व्यक्ति 16 संस्कारों को ग्रहण कर सकता है। व्यक्ति अपने पूर्व जन्म के संस्कारों को लेकर आता है। मनुष्य के सर्वांगीण विकास में संस्कारों की महती भूमिका है। तीनों कालों में संस्कारों की उपयोगिता प्रासंगिक है।


प्राचीन काल में ऋग्वेद की 25 शाखाएं रहीं

विशिष्ट अतिथि बेंसबाडा पीजी कॉलेज रायबरेली के प्राचार्य डॉ. अमलधारी सिंह गौतम ने कहा कि चारों वेदों को अपनी लेखनी से जन-जान तक पहुंचाने वाले मनीषी आचार्य अमलधारी ने बताया है कि सारा ज्ञान वेदों में भरा पड़ा है। प्राचीन काल में ऋग्वेद की 25 शाखाएं थी लेकिन अब सभी प्राप्य नहीं है। कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो. अरविंद मोहन ने कहा कि वेद में ज्ञान, संस्कार और जीवनशैली है। डॉ. गौरव सिंह, डॉ. भुवनेश्वरी भारद्वाज समेत लगभग दो सौ छात्र और छात्राएं उपस्थित रहे।

वेदों में निहित भारतीय संस्कृति

संगोष्ठी में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, लखनऊ परिसर के निदेशक प्रोफेसर सर्वनारायण झा ने कहा कि भारतीय संस्कृति वेदों में निहित है। संस्कृत का संरक्षण होना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ज्योतिष का विषय सभी विद्यालयों में होना चाहिए। संस्कारों की आज बहुत उपयोगिता है क्योंकि पुरातन विचारों का लोप होता चला गया।


लाइब्रेरी में विकसित हो वैदिक सेक्शन

एलयू कुलपति प्रो. आलोक राय ने सत्र की अध्यक्षता की। इस दौरान उन्होंने कहा कि वेदों में हर चीज का वर्णन है और विश्वविद्यालय में वैदिक शोध होना चाहिए। नवीनीकृत टैगोर लाइब्रेरी में संस्कृत विभाग की मदद से एक वैदिक सेक्शन विकसित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत का गौरवशाली इतिहास रहा है और आगे भी रहेगा।

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