Lucknow News: डॉक्टरों से गुहार लगाता रहा बाप और चली गई बेटे की जान
Lucknow News: बच्चे के पिता जितेंद्र यादव ने आरोप लगाया कि अभ्युदय के इलाज में डॉक्टरों ने लापरवाही की है। उन्होंने कहा कि लगातार बिगड़ती तबीयत के बावजूद बच्चे पर ध्यान नहीं दिया गया। डॉक्टरों नें यू-ट्यूब पर देखकर बच्चे की डायलिसिस की गई। इससे बच्चे की स्थिति और खराब हो गई। इस दौरान बच्चे का काफी खून बह गया।
Lucknow News: किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के ट्रामा सेंटर में एक बच्चे की मौत हो गई। इससे नाराज होकर बच्चे के परिवार वालों ने जमकर हंगामा किया। वार्ड में मौजूद कर्मचारियों में परिजनों को किसी तरह शांत कराया। इस मामले का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। दावा है कि परिवारजन अपने बच्चे को बचाने के लिए डॉक्टरों से गुहार लगा रहे हैं। वीडियो में बच्चे की जान बचाने के खातिर पिता जोर जोर से चिल्ला रहे हैं।
क्या था मामला?
केजीएमयू स्थित ट्रामा सेंटर में शुक्रवार को बच्चे की मौत के बाद जमकर बवाल हुआ। जानकारी के अनुसार गोरखपुर के नंदा नगर निवासी जितेंद्र यादव के बेटे की तबीयत अचानक बिगड़ गई। बेटे अभ्युदय को डायरिया की शिकायत होने पर परिजनों ने पास के अस्पताल दिखाया। स्थानीय अस्पताल में दिखाने पर भी जब अभ्युदय को फायदा नहीं हुआ। तब परिवारजन 14 जून को बच्चे के लेकर राजधानी के केजीएमयू स्थित ट्रामा सेंटर पहुंचे। ट्रामा के वार्ड नंबर एक में बच्चे को भर्ती कराया गया। इसके बाद बच्चे का इलाज शुरु हुआ।
डॉक्टरों और कर्मचारियों ने इलाज में की लापरवाही
बच्चे के पिता जितेंद्र यादव ने आरोप लगाया कि अभ्युदय के इलाज में डॉक्टरों ने लापरवाही की है। उन्होंने कहा कि लगातार बिगड़ती तबीयत के बावजूद बच्चे पर ध्यान नहीं दिया गया। डॉक्टरों नें यू-ट्यूब पर देखकर बच्चे की डायलिसिस की गई। इससे बच्चे की स्थिति और खराब हो गई। इस दौरान बच्चे का काफी खून बह गया। मामा प्रवीण यादव ने आरोप लगाते हुए कहा कि बच्चे को सांस लेने में परेशानी हो रही थी। कर्मचारियों से सक्शन निकालने के लिए अनुरोध किया। लेकिन किसी ने नहीं सुना। परिजनों ने जब बच्चे के गले की गंदगी (सक्शन) साफ की तब उसे आराम मिला।
तमाम कोशिशों के बाद भी नहीं हुआ सुधार
केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक नौ माह के बच्चे को कुछ दिनों पहले भर्ती किया गया था। बच्चे को बुखार, डायरिया, निमोनिया, पैन्सीटोपेनिया के लक्षण थे। सांस संबंधी दिक्कत के कारण बच्चे को ऑक्सीजन पर रखा गया। परिजनों को लगातार जानकारी दी जा रही थी। ज्यादा हालत बिगड़ने पर उन्हें मैकेनिकल वेंटिलेशन पर रखा गया। इसके बावजूद अगले कुछ दिनों में बच्चे के मस्तिष्क और गुर्दे की कार्यप्रणाली भी ख़राब हो गई। पूरे शरीर में बच्चे को सूजन हो गई। तमाम कोशिशों के बावजूद बच्चे की स्थिति में सुधार में नहीं हुआ। एचएफओवी वेंटिलेटर पर भी रखा गया, लेकिन इससे भी कोई फायदा नहीं हुआ। बच्चे को ब्रैडीकार्डिया के बाद कार्डियक अरेस्ट हुआ और उसे मृत घोषित कर दिया गया।