UP: नैमिषारण्य में चौरासी कोसी परिक्रमा, चलेगा हरिशंकरी माला अभियान
हरिशंकर माला सर्वेक्षण यात्रा: 23 दिसंबर की शाम 24, 25, 26 दिसम्बर को नैमिषारण्य चौरासी कोसी परिक्रमा पथ पर हर कोस पर हरिशंकरी रोपण हेतु सर्वेक्षण यात्रा होगी।
Lucknow News: उत्तर प्रदेश में चार प्रमुख तीर्थों पर चौरासी कोसी परिक्रमा करने का विधान हैI उनमें से एक, अयोध्या धाम, दूसरा चित्रकूट धाम, तीसरा, मथुरा ब्रज चौरासी कोसी परिक्रमा और चौथा, नैमिषारण्य धाम। य़ह परिक्रमा भक्तगण अपने परिवारों से साथ पैदल ही करते थे। उनके साथ में बच्चों एवं वृद्धजनों के लिए तथा भोजन व्यवस्था और रात्री निवास व्यवस्था आदि के लिए बैलगाड़ी रहा करती थीं।
चौरासी कोसी परिक्रमा लगभग 300 किलोमीटर होती है, जबकि ब्रज चौरासी कोसी परिक्रमा (Braj 84 kos Yatra) 360 किलोमीटर की है। यह 40 दिन में पूरी होती है। यात्रा के समय मार्ग में छाया, पीने, भोजन व्यवस्था और स्नान आदि के लिए स्वच्छ जल, आवागमन हेतु सुविधा जनक मार्ग तथा अन्य आवश्यक सुविधाओं की आवश्यकता होती है।
उत्तर प्रदेश सरकार इसे देखते हुए सड़क का चौड़ीकरण, पड़ाव स्थलों का निर्माण तथा अन्य आवश्यक सुविधाओं के साथ सौन्दर्यीकरण का कार्य भी करवा रही है। इन यात्राओं में भौतिक सुविधाओं से अधिक सामाजिक सहयोग का अत्यधिक महत्व है, जो सरकारी मशीनरी के द्वारा सम्भव नहीं है। अतः लोकभारती ने सामाजिक सहभागिता के द्वारा पूरे परिक्रमा पथ पर कुछ कार्य कराने का संकल्प लिया है, जिसमें-
1- प्रत्येक कोस पर चबूतरे और सुरक्षा व्यवस्था के साथ हरिशंकरी रोपण। हरिशंकरी अर्थात एक थाले में एक साथ पीपल, बरगद और पाकड़ के पौधों का रोपण। एक हरिशंकरी रोपण से निम्नलिखित पुण्य प्राप्त होते हैं (1) यह तीनों पौधे वर्षा जल को अत्यधिक संरक्षित करने वाले पौधे हैं। अतः जहां इनका रोपण होगा, वहां जल कलश की स्थापना हो जाएगी I सनातन में प्रत्येक शुभ कार्य जल कलश स्थापना से ही प्रारम्भ होता है। इस जल कलश से भूगर्भ जल स्तर बढ़ जाएगा, जिससे कुआं तथा अन्य जलस्रोत पुनर्जीवित होने लगेंगे।
2- इनके बड़े होने पर बड़ी एवं सघन छाया का निर्माण होता है जिसके नीचे अतिथि को छाया, गांव की चौपाल, यात्रियों के लिए धर्मशाला बन जाएगी I
3- यह तीनों फलदार पौधे हैं, जो पूरे वर्ष फल देते हैं। अतः चिडियों के लिए घर और भोजन दोनों उपलब्ध होगा, जिससे भंडारे का पुण्य प्राप्त होगा।
4- यह तीनों पौधे सर्वाधिक ऑक्सीजन देने वाले पौधे हैं। अतः इसके लगने से एक फैक्ट्री का निर्माण हो जाएगा।
5- अनेकानेक जीवों को संरक्षण देने के कारण जैव विविधता का संरक्षण होता है।
हरिशंकरी माला-
लोकभारती ने उत्तर प्रदेश के चारों तीर्थों अयोध्या, चित्रकूट, ब्रज और नैमिषारण्य के चौरासी कोसी परिक्रमा पथ पर प्रत्येक कोस पर विविध अन्य व्यवस्थाओं के साथ हरिशंकरी रोपण का किया जाएगा। अर्थात, प्रत्येक परिक्रमा पथ पर 84-84 हरिशंकरी का रोपण किया जाएगा। लोकभारती ने तय किया है कि, सबसे पहले नैमिषारण्य में 24, 25, 26 दिसंबर को हरिशंकरी रोपण की तैयारी यात्रा होगी। उसके पाश्चात्य अप्रैल माह में चित्रकूट में तैयारी यात्रा आयोजित की जाएगी।
तैयारी यात्रा-
य़ह यात्रा बहनों से होगी, जिसके माध्यम से कोस का चिन्हांकन, रोपण एवं सुरक्षा हेतु टोली का निर्माण, दस कोस पर पड़ाव व्यवस्था, दस कोस की एक व्यवस्था टोली अर्थात 84 टोलियों का निर्माण, जिनके माध्यम से समाज में चौरासी कोसी यात्रा का गौरव भाव का जागरण, देश भर से आए यात्रियों का स्वागत और उनके प्रति कर्तव्य भाव के जागरण के साथ अपनेपन का अहसास कराना। परिक्रमा पथ की विशेषताओं का लेखन और नैमिषारण्य चौरासी कोसी परिक्रमा पथ पर स्थित देश भर के सभी तीर्थों की आवश्यक जानकारी महर्षि दधीचि का अस्थि दान, वेदव्यास सहित अट्ठासी हजार ऋषियों के गौरव चेतना स्मरण की व्यवस्था बनाई जाएगी I य़ह क्षेत्र अपने यहाँ पधारे अतिथियों का स्वागत करने में सक्षम हो सके इस हेतु भी कुछ विचार करना उपयुक्त होगा।
इस अभियान में अयोध्या धाम के महंत स्वामी वेदांती जी महाराज, चित्रकूट के महंत मदन दास जी महाराज, नैमिषारण्य क्षेत्र के संत पागलानन्द जी, पीलीभीत के संत एवं विधायक प्रवक्ता नंद जी महाराज, वृन्दावन के संत स्वामी देवेन्द्र चैतन्य जी महाराज, आचार्य रवीन्द्र जी तथा डॉ ब्रह्मदेव राम त्रिपाठी (सचिव राजभवन मेघालय एवं के चुनाव अयुक्त), पवन कुमार सिंह चौहान, सदस्य विधान परिषद सहित अनेक सामाजिक कार्यकर्ता इस अभियान में सहभागी हो रहे हैं। अभियान का अभी प्रारम्भ है। अतः क्या-क्या और किया जा सकता है? य़ह समझने और विचार करने का पर्याप्त समय है।