महंत सुरेश दास बोले- राम जन्मभूमि पर सिर्फ राम मंदिर का निर्माण, नहीं बनेगी मस्जिद

सीएम योगी आदित्यनाथ के सामने ही अयोध्या दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास ने राम मंदिर का मुद्दा उठाया। जिस पर लोगों ने जय श्रीराम का नारा देकर उसका स्वागत किया तो वहीं सीएम योगी ने स्थानीय भाषाओ को पुनः जीवित करने की बात कही।

Update:2017-03-26 17:53 IST
महंत सुरेश दास बोले- राम जन्मभूमि पर सिर्फ राम मंदिर का निर्माण, नहीं बनेगी मस्जिद

गोरखपुर: बाबा गंभीरनाथ की पुण्यतिथि शताब्दी वर्ष का समापन समारोह रविवार (26 मार्च) को गोरखनाथ मंदिर स्थित दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में हुआ। समारोह की अध्यक्षता यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने की। इस कार्यक्रम में राम मंदिर का मुद्दा एक बार फिर गूंज उठा। सीएम योगी आदित्यनाथ के सामने ही अयोध्या दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास ने राम मंदिर का मुद्दा उठाया। जिस पर लोगों ने जय श्रीराम का नारा देकर उसका स्वागत किया तो वहीं सीएम योगी ने स्थानीय भाषाओ को पुनः जीवित करने की बात कही।

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समारोह को संबोधित करते दिगंबर अखाड़ा अयोध्या के महंत सुरेश दास ने कहा कि गोरक्षपीठ अयोध्या मथुरा काशी में मंदिर निर्माण का पक्षधर रहा है। यहां के ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ श्री राम जन्मभूमि न्यास समिति के अध्यक्ष भी रहे हैं। गोरक्षपीठ अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण का पक्षधर रहा है। अब यहां के महंत योगी आदित्यनाथ यूपी के सीएम बन गए हैं। इससे अब लगता है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण होगा। राम जन्मभूमि पर किसी भी मस्जिद का निर्माण नहीं होने दिया जाएगा। अगर समझौते से बात नहीं बनती है तो 2018 में कानून बनाकर अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा। भोजपुरी, अवधी और सिंधी सहित सभी स्थानीय भाषाएं लोकप्रिय हैं। इनको पुनः जीवित कर राष्ट्र कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया जाएगा।

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गोरक्षपीठ के महंत और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सिकंदर, तुलसीदास का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि तुलसीदास ने कभी भी अकबर को राजा नहीं माना बल्कि राम की जयकार की और भगवान राम को ही अपना राजा माना। भारत में आध्यात्म और ज्ञान के क्षेत्र में संतो का विशिष्ट स्थान रहा है। योगी ने कहा कि प्रख्यात आध्यात्मिक परंपरा से पारंपरिक सामान्य बाणी के बाबा गंभीर नाथ के बारे में हिमालय की तलहटी से लेकर कोई भी योगी नहीं हुआ है। योगी ने कहा कि हिंदुस्तान एकेडमी के माध्यम से क्षेत्रीय भाषाओं को पुनः जीवित किया जाएगा।

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