Maharajganj News: कन्हैया बाबा स्थान पर राम ग्राम की खोज, उत्खनन में मिल रही दीवार व अलंकृत ईंटें

Maharajganj News: सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग के कन्हैया बाबा के स्थान को भगवान बुद्ध के आठवीं अस्थि अवशेष पर बने स्तूप की मान्यता के परिप्रेक्ष्य में भी उत्खनन किया गया।

Report :  Upendra Kumar
Update:2024-12-11 09:07 IST

कन्हैया बाबा स्थान पर राम ग्राम की खोज   (photo: social media )

Maharajganj News: चौक बाजार के कन्हैया बाबा स्थान पर राम ग्राम की प्रामाणिकता के लिए उत्खनन को जिले में आई भारतीय पुरातात्विक टीम ने 19 वें दिन भी उत्खनन किया। निर्धारित ट्रेंच के भीतर दो चतुर्थांश में 125 सेंटीमीटर गहराई में हुए उत्खनन के दौरान प्राचीनकाल के अलंकृत ईंटों के साथ ही विशेष तरह की दीवारें भी प्राप्त हुई है। रामग्राम की खोज को लेकर पुरातत्व विभाग की टीम काफी उत्साहित दिखाई दे रही है।

सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग के कन्हैया बाबा के स्थान को भगवान बुद्ध के आठवीं अस्थि अवशेष पर बने स्तूप की मान्यता के परिप्रेक्ष्य में भी उत्खनन किया गया। टीले की दो चतुर्थांश में हो रहे उत्खनन के क्रम में दोनों कमरों में विशेष तरह की दीवारें स्पष्ट दिखाई दे रही हैं। साथ ही विशेष तरह की लिखी हुई ईंटों की भी प्राप्ति हो रही है। उत्खनन में नित्य नई चीजों के प्राप्त होने से पुरातत्व टीम उत्साहित है। जिनको पुरातात्विक टीम ने डाक्यूमेंट्री बनाकर एक तरफ सुरक्षित भी किया है।

पुरातत्वविद डा. आफताब हुसैन ने बताया कि अभी तक दो चतुर्थांश में खोदाई हो रही है। प्राप्त ईंट व वस्तुओं को संरक्षित कर उस पर शोध कार्य किया जाएगा।

रामग्राम का इतिहास बौद्ध कालीन है

रामग्राम कोलिय राज्य की राजधानी थी। पालि विवरणों के अनुसार रोहिणी नदी शाक्य व कोलिय राज्य की विभाजक रेखा थी। देवदह शाक्य निगम होने के कारण इस नदी के पश्चिम तथा कोलिय राज्य की राजधानी रामग्राम इसके पूरब थी। देवदह के राजा महराज अंजन का विवाह राजकुमारी सुलक्षणा से हुआ था। बुद्ध की माता रानी महामाया व मौसी महाप्रजापति गौतमी का जन्म रानी सुलक्षणा के ही गर्भ से हुआ था। उत्तर कालीन पालि विवरणों में माता महामाया को कोलिय जनपद की राजकुमारी कहा गया है। शाक्यों और कोलियों में विवाह सम्बन्ध थे। कोलिय राजकुमारी के गर्भ से उत्पन्न भगवान गौतम बुद्ध का सम्बन्ध रामग्राम के कोलियों से उतना ही प्रगाढ़ था जितना कि देवदह से। शायद यही कारण था कि जब रोहिणी नदी के जल के बंटवारे को लेकर शाक्यों और कोलियों में विवाद पैदा हुआ तो उसका निपटारा करने के लिए स्वयं भगवान गौतम बुद्ध को आना पड़ा। इसका बड़ा प्रमाण यह भी है कि जब भगवान गौतम बुद्ध का निर्वाण हुआ तो उनकी अस्थियां लेने कोलिय भी कुशीनगर पहुंचे और इन पवित्र अस्थियों के आठवें भाग को प्राप्त कर अपनी पढ़ें राजधानी रामग्राम के समीप उन अस्थियों पर एक विशाल धातु चैत्य (स्तूप) बनवाया। चीनी यात्री युवांगच्वांग द्वारा दी गई दिशा व दूरी की इस क्षेत्र के स्थलाकृतिक मानचित्र पर गणना के अनुसार रामग्राम नगर की स्थिति जनपद महराजगंज के चौक कस्बे के कस्बे के पश्मिोत्तर स्थित कोढ़िया जंगल तथा धातु चैत्य की स्थिति चौक से 3 किलोमीटर पश्चिम धरमौली गांव के पास (लगभग 600 मीटर) जंगल के बीच कन्हैया बाबा के थान नामक स्थान की ओर इंगित करती है। कन्हैया बाबा के थान पर एक विशाल स्तूप, पुष्करिणी तथा बौद्ध बिहार के खण्डहर कई एकड़ में बिखरे पड़े हैं। कोढ़ियवा जंगल में एक विशाल नगर के अवशेष भी पाए गए हैं।

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