Mainpuri By Election 2022: प्रत्याशियों के साथ समर्थकों की धड़कनें तेज, कल आएंगे नतीजे

Mainpuri By Election 2022: नतीजे आने की उलटी गिनती शुरू हो गई है। कल स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। प्रत्याशियों के साथ-साथ समर्थकों की भी धड़कने तेज हैं।

Update: 2022-12-07 14:08 GMT

बीजेपी और सपा। (Social Media)

Mainpuri Lok Sabha By Election 2022: नतीजे आने की उलटी गिनती शुरू हो गई है। कल स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। प्रत्याशियों के साथ-साथ समर्थकों की भी धड़कने तेज हैं। दोनों पार्टियां अपने उम्मीदवारों के जीतने के दावे किए जा रहे हैं। समाजवादी पार्टी से डिंपल यादव व भाजपा से रघुराज शाक्य मैदान में हैं। एक तरफ समाजवादी पार्टी मुलायम सिंह यादव की विरासत मानी जाने वाली सीट मैनपुरी को किसी भी हाल में जीतना चाहती हैं। तो दूसरी तरफ भाजपा इसे जीतकर अपना डंका बजाना चाहती हैं। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन पर लोगों की सहानुभूति को भुना रही है। वहीं भाजपा द्वारा नेता जी के निधन के बाद बदलाव के नये सपने दिखाए जा रहे हैं।

हरनाथ सिंह यादव पर भाजपा का विश्वास

भाजपा को पूर्ण विश्वास है, कि हरनाथ सिंह यादव की वजह से यादव वोट भी मिलेगा। हरनाथ सिंह यादव 1996 में निर्दलीय एमएलसी चुने गए थे। उसके बाद 2002 में समाजवादी पार्टी के समर्थन से आगरा स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी के लिए चुने गए 2014 में विधान परिषद का चुनाव हारने के बाद भाजपा में शामिल हो गए। इस समय ये राज्यसभा सांसद हैं और मैनपुरी में भाजपा को मजबूत करने के लिए सक्रिय हैं। इन्हें भाजपा एक मजबूत कड़ी मानती है।

जातिगत समीकरण

मैनपुरी में यादवों की संख्या लगभग 4.25 लाख है। यादव वोटर्स के बाद यहां पर शाक्य वोटरों की संख्या सबसे अधिक है। इस सीट पर शाक्य मतदाताओं की संख्या लगभग 3.25 लाख है। यादव और शाक्य जातियों के बाद में तीसरा स्थान ब्राह्मणों का है। मैनपुरी लोकसभा सीट पर ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या लगभग 1.10 लाख है। जबकि दलित मतदाताओं की संख्या लगभग 1.20 लाख और लोधी मतदाताओं की संख्या लगभग एक लाख है। इसके बाद मैनपुरी सीट पर मुस्लिम मतदाताओं का नंबर आता है। मैनपुरी में मुस्लिम वोटर्स की संख्या करीब 55 हजार है।

इस समीकरण से स्पष्ट हो जाता है कि भाजपा को जीत दर्ज करने के लिए यादवों के वोट के काट के रूप में शाक्य वोटरों को लुभाने की आवश्यकता है। भाजपा ने इसी समीकरण को ध्यान में रखते हुए रघुराज साक्य को मैदान में उतारा था। लेकिन चुनाव से पहले अखिलेश और डिम्पल यादव ने चाचा शिवपाल के घर जाकर उन्हे मना लिया। इसके बाद शिवपाल सक्रिय रूप से डिम्पल का प्रचार करते हुए दिखे। ये सपा के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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