लखनऊ: 'पूरा पोषण पूरा प्यार हर बच्चे का है अधिकार' के सरकारी नारे और दावे के बावजूद उत्तर प्रदेश में कुपोषण से हर साल दो लाख 32 हजार 250 बच्चे मां की नहीं, बल्कि मौत की गोद में सो जाते हैं । ये सरकारी आंकड़ा है जिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से लिया गया है। गैर सरकारी तौर पर यह संख्या तीन लाख से भी ज्यादा का है। राज्य में 12 लाख 60 हजार अति कुपोषित बच्चे हैं जबकि 35 लाख बच्चे पौष्टिक आहार नहीं मिलने के कारण सूखा रोग से पीड़ित हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार
-यूपी में रोज 650 बच्चे कुपोषण से मरते हैं
-75 लाख बच्चे कम वजन वाले हैं ।
-93 लाख बच्चों का कद औसत से कम है ।
-पौष्टिक खुराक नहीं मिलने से बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास में रुकावट आती है।
-इससे मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है ।
सरकार का दावा
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत बच्चों को पूरी खुराक दी जा रही हैं। आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को न्यूज ट्रैक को बताया कि मातृ और बाल स्वास्थ्य वर्ष के दौरान राज्य पोषण मिशन के सहयोग से महिलाओं और बच्चों के कुपोषण की रोकथाम और प्रबंधन के बारे में विस्तृत योजना तैयार की गई है, जिसके तहत कुपोषित बच्चों की पहचान कर आंगनबाडी केंद्रों पर पुष्टाहार का वितरण करने का इंतजाम किया जा रहा है। इसके अलावा बीमार बच्चों की पहचान शुरू कर दी गई है ताकि उनका सरकारी अस्पतालों में सही इलाज किया जा सके। उनका मानना है कि बच्चों में कुपोषण की समस्या एक गंभीर मामला है जिसे लेकर राज्य सरकार भी चिंतित है ।
एनीमिया से बचाव के लिए किए जा रहे प्रयास
राज्य में चरणबद्ध तरीके से कुपोषण पुनर्वास केंद्रों की स्थापना की जा रही है। नेशनल आयरन प्लस इनीशियेटिव कार्यक्रम के तहत छह महीने से पांच साल तक के बच्चों को सप्ताह में दो बार आयरन सिरप की खुराक देकर एनीमिया से बचाव का प्रयास किया जा रहा है। पांच साल तक के बच्चों की मृत्यु दर में कमी लाने तथा कुपोषण से बचाव के लिये डायरिया तथा निमोनिया से ग्रसित बच्चों के समुचित इलाज के लिए तीन चरणों में सभी जिलों में योजना तैयार की जा रही है।