फाइलेरिया उन्मूलन: शुरू होगा मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम, यहां लें पूरी जानकारी
विश्व स्वास्थ्य संगठन से डॉ. तनुज शर्मा ने बताया कि फाइलेरिया या हाथीपांव रोग सार्वजनिक स्वास्थ्य की गंभीर समस्या है। यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार फाइलेरिया, दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊः देश को वर्ष 2021 तक फाइलेरिया से उन्मूलन की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के 8 जिलों औरैया, इटावा, फर्रुखाबाद, गाजीपुर, कन्नौज, कौशांबी, रायबरेली एवं सुल्तानपुर में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एम.डी.ए.) कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम को आगामी 21 दिसम्बर से शुरू करने का निर्णय लिया गया है।
स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा घर-घर जाकर खिलाई जायेंगी दवाएं
इस अभियान में सभी वर्गों के एक करोड़ पचासी लाख पैतालीस हजार छः सौ चौसठ (1,85,45,664) लाभार्थियों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए डी.ई.सी. और अल्बंडाजोल की निर्धारित खुराक प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा घर-घर जाकर अपने सामने मुफ्त खिलाई जाएंगी एवं किसी भी स्थिति में दवा का वितरण नहीं किया जायेगा। 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को ये दवाएं नहीं खिलाई जाएंगी।
फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के सम्बन्ध में मीडिया की सक्रिय एवं महत्वपूर्ण भूमिका पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग उत्तर प्रदेश एवं ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज द्वारा अन्य सहयोगी संस्थाओं यथा विश्व स्वास्थ्य संगठन, पाथ, प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल और सीफार के साथ समन्वय स्थापित करते हुए मीडिया सहयोगियों के साथ आज एक मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया।
फाइलेरिया की दवाएं लगातार तीन साल लेने से होगा बचाव
इस अवसर पर निदेशक वेक्टर बोर्न डिजीजेज, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, उत्तर प्रदेश शासन, डॉ. अशोक पालीवाल ने संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार वेक्टर बोर्न डिजीजेज, जैसे फाइलेरिया, कालाजार रोग आदि के उन्मूलन के लिए अत्यंत संवेदनशील है और इसके लिए रणनीति बनाकर गतिविधियाँ संपादित की जा रही हैं। डॉ. पालीवाल ने जनांदोलन की आवश्यकता को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि फाइलेरिया की दवाएं, साल में एक बार, लगातार तीन साल लेकर इससे बचा जा सकता है।
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डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि रक्तचाप, शुगर, अर्थरायीटिस या अन्य सामान्य रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को भी ये दवाएं खानी हैं। सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कीटाणु मौजूद हैं, जो कि दवा खाने के बाद कीटाणुओं के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं।
फाइलेरिया या हाथीपांव रोग सार्वजनिक स्वास्थ्य की गंभीर समस्या है
विश्व स्वास्थ्य संगठन से डॉ. तनुज शर्मा ने बताया कि फाइलेरिया या हाथीपांव रोग सार्वजनिक स्वास्थ्य की गंभीर समस्या है। यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार फाइलेरिया, दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लसिका तंत्र को नुकसान पहुंचाता है और अगर इसका इलाज न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। यह एक घातक रोग है, जबकि प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा दी गयी दवाएं खाने से इस रोग से आसानी से बचा जा सकता है।
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पाथ के प्रतिनिधि डॉ. शोएब अनवर ने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में कार्य कर रही सभी संस्थाओं द्वारा सरकार के साथ समन्वय बनाकर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि समुदाय एवं मीडिया के सहयोग से यह कार्यक्रम अवश्य सफल होगा। इस दौरान एमडीए गतिविधियों का संचालन कोविड-19 के मानकों का पालन करते हुए किया जाएगा, जिसमें हाथ की स्वच्छता, मास्क और शारीरिक दूरी (दो गज की दूरी) शामिल है।
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