मथुरा: वैष्णव कुंभ में शामिल हुए रमेश भाई ओझा, भक्तजनों ने किया भव्य स्वागत

इस दौरान रमेश भाई ने भक्तजनों को सत्संग के माध्यम से यमुना को निर्मल व स्वच्छ बनाये रखने का अनुरोध किया और कहा कि बिना राधा के जिस प्रकार कृपा नहीं मिल सकती उसी प्रकार राधा कृष्ण की कृपा बिना यमुना के नही मिल सकती ।

Update:2021-03-16 15:42 IST
मथुरा: वैष्णव कुंभ में शामिल हुए रमेश भाई ओझा, भक्तजनों को बताई ये बातें (PC: social media)

मथुरा: कान्हा की नगरी में चल रहा है वैष्णव कुंभ में आज प्रख्यात कथा वाचक रमेश भाई ओझा रसिया बाबा नगर में चल रहे श्रीनाथ फाग महोत्सव में शामिल हुए । जहाँ भक्त जनों ने पुष्प वर्षा कर रमेश भाई ओझा का स्वागत किया वही रमेश भाई ओझा ने श्रीनाथजी के दर्शन कर यमुना पूजन कर फागुन माह में इस पावन कुम्भ में अपने आगमन को अपने लिए सौभाग्य शाली बताया ।

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इस दौरान रमेश भाई ने भक्तजनों को सत्संग के माध्यम से यमुना को निर्मल व स्वच्छ बनाये रखने का अनुरोध किया और कहा कि बिना राधा के जिस प्रकार कृपा नहीं मिल सकती उसी प्रकार राधा कृष्ण की कृपा बिना यमुना के नही मिल सकती ।

लंबे समय के प्रयास के बाद भी आज यमुना उसी प्रदूषण से जूझ रही है

भक्तो से जागरूकता बरतने के बाद रमेश भाई ओझा ने सीधे तौर पर यमुना के विषेले पन के लिए सरकारों और उससे अधिक जिम्मेदार उन लापरवाह अधिकारियों को ठहराया । रमेश भाई ओझा ने कहा कि लंबे समय के प्रयास के बाद भी आज यमुना उसी प्रदूषण से जूझ रही है, जैसे कभी कालिया नाग के आतंक से ग्रसित थी । आज यमुना किनारे बसे शहर उसमे मौजद कल कारखाने कालिया नाग की भूमिका में दिखाई देते है और इसमें सबसे अधिक वह अधिकारी जिम्मेदार है जिन पर यमुना के ही शुद्धिकरण की जिम्मेदारी है ।

रमेश भाई ओझा प्रख्यात कथा वाचक

रमेश भाई ओझा ने कहा कि प्रदेश में आज योगी व केंद्र में मोदी की सरकार है । सरकार किसी की भी हो यमुना को निर्मल व स्वच्छ करने में समय तो लगेगा लेकिन इसमें दृढ़ इक्छा शक्ति की भी आवश्यकता है । उन्होंने कहा कि यमुना तभी निर्मल हो सकती है जब चुस्त दुरुस्त व्यवस्था हो और कानून का कड़ाई से उसका पालन होगा तब भी एक दो दशक लग जाएंगे यमुना को निर्मल होने में ।

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नियम सब बने हुए है कानून सब बने हुए है लेकिन कानून सब धरे रह जाते है । जिसका परिणाम हमारे सामने है । उन्होंने कहा कि हम हमेशा विकास की बात करते है विकास स्वाभाविक है लेकिन हम यह भी कहते है कि कही यह विकास ही हमारे विनाश का जरिया न बन जाये । इसलिए विवेकपूर्ण विकास हो । यह अपेक्षित है ।

रिपोर्ट- नितिन कुमार

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