मौनी अमावस्या: करोड़ों लोगों ने दुर्लभ संयोग में लगाई पुण्य की डुबकी, किया दान
रविवार की देर रात से लगे मौनी अमावस्या के दुर्लभ संयोग पर पतित पावनी गंगा, यमुना एवं अदृश्य सरस्वती के अदभुत संगम में पुण्य की डुबकी लगाई। रात 11 बजे से ही लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने मौन स्नान के बाहर कहा हर हर गंगे।
आशीष पाण्डेय
कुंभ नगर: रविवार की देर रात से लगे मौनी अमावस्या के दुर्लभ संयोग पर पतित पावनी गंगा, यमुना एवं अदृश्य सरस्वती के अदभुत संगम में पुण्य की डुबकी लगाई। रात 11 बजे से ही लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने मौन स्नान के बाहर कहा हर हर गंगे।
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कुंभ में मौनी अमावस्या का आध्यामिक महत्व है। इसका शास्त्रों, वेदों और पुराणों में भी बखान है। मौनी शब्द मौन से बना है और इसका तात्पर्य स्नान के पूर्व का संकल्प या व्रत होता है। जिस पर मौन होकर संगम में डुबकी लगाई जाती है। मौन स्नान के लिए गंगा स्नान के समय काम, क्रोध, लोभ और मोह आदि को अपने मन से दूर रखना चाहिए। इसका उल्लेख शिवमहापुराण में भी मिलता है और इस दिन शिव एवं विष्णु दोनो ही देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है।
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वैसे तो पूरा माघ का महीना, आध्यात्म, वैदिक, तप एवं यज्ञ का महीना होता है लेकिन माघ के इस खास मौके पर निकलने वाले शुभ मुहूर्त पर सम्पूर्ण देवी देवता भी स्नान करते हैं। जिससे इसका महत्व कई गुणा अधिक होता है। रविवार की रात 11:30 बजे शुरू हुई डुबकी अभी अनवरत चल रही है।
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मेला क्षेत्र के संगम एवं अरैल में स्नानार्थियों की भीड़ देख कुंभ की दिव्यता और भव्यता के साथ ही लोगों का आध्यात्म से जुड़ाव साफ झलक रहा है। मेला प्रशासन की माने तो सोमवार की पूर्वाहन 11 बजे तक ढाई करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने स्नान कर लिया था लेकिन लगातार श्रद्धालुओं की बढ़ रही भीड़ से आंकड़े अभी और बढने की उम्मीद जताई जा रही है। मौन स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने गौ दान, खिचड़ी दान वस्त्र दान आदि संकल्प कर पुण्य की कामना की। हर कोई हर हर गंगे का उदघोष करता रहा। जिससे समूचा क्षेत्र गुंजाएमान रहा।