Meerut News: सांसद राजेंद्र अग्रवाल द्वारा लोकसभा में गुर्दा प्रत्यारोपण की अनापत्ति शीघ्र दिलवाए जाने की मांग

Meerut News: भाजपा सांसद के मेरठ प्रतिनिधि हर्ष गोयल ने यह जानकारी देते हु बताया कि सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने लोकसभा में कहा कि गुर्दा प्रत्यारोपण के लिए अनापत्ति प्राप्त करने में वर्तमान में चार से छह सप्ताह का समय लगता है।

Report :  Sushil Kumar
Update: 2022-08-01 13:19 GMT

Lok Sabha MP Rajendra Agrawal (Image: Newstrack)

Meerut News: मेरठ-हापुड़ लोकसभा के सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने आज लोकसभा में नियम 377 के अंतर्गत गुर्दा प्रत्यारोपण के लिए अनापत्ति शीघ्र प्रदान किए जाने के संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश दिए जाने की मांग की।

भाजपा सांसद के मेरठ प्रतिनिधि हर्ष गोयल ने यह जानकारी देते हु बताया कि सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने लोकसभा में कहा कि गुर्दा प्रत्यारोपण के लिए अनापत्ति प्राप्त करने में वर्तमान में चार से छह सप्ताह का समय लगता है।

प्रत्यारोपण के लिए गुर्दा प्रदान करने वालों की सामान्यतः तीन श्रेणियां होती हैं। पहली श्रेणी में एक ही माता-पिता का परिवार आता है, दूसरी श्रेणी में पत्नी तथा निकट संबंधी आते हैं तथा तीसरी श्रेणी में मित्र, सहयोगी तथा अन्य परिचित इत्यादि आते हैं। पहली तथा दूसरी श्रेणी में तथ्यों की जांच अत्यंत शीघ्रतापूर्वक की जा सकती है तथा ऐसे मामलों में अनापत्ति अधिकतम 2 सप्ताह में तथा तीसरी श्रेणी के मामलों में अनापत्ति अधिकतम 4 सप्ताह में दी जा सकती है।

सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि गुर्दा प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे रोगी की देखभाल अत्यधिक व्ययसाध्य होती है तथा अनेक बार विलंब होने पर उसकी मृत्यु की भी आशंका बनी रहती है।

सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने सभापति के माध्यम से सरकार से अनुरोध किया कि गुर्दा प्रत्यारोपण की अनापत्ति शीघ्र दिलवाए जाने हेतु आवश्यक दिशा निर्देश जारी करने की कृपा करें।

बता दें कि सांसद राजेंद्र अग्रवाल आए दिन मेरठ और जनहित से जुड़े मुद्दों को लोकसभा में उठाने में सक्रिय रहते हैं। पिछले उन्होंने सेना की छवि धूमिल करने वाले एक विज्ञापन पर जिसमें कुक खुद ही खाना खा रहा होता है। इस पर सैन्य अफसर कुक को गोली मारने के लिए बंदूक लेकर मेज के चारों ओर चक्कर लगाने लगते हैं पर रोक लगाने की मांग की थी।

लोकसभा में सवाल उठाते हुए सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि ऐसे विज्ञापन के जरिये सेना के जवानों का उपहास होता है। सेना की छवि भी धूमिल होती है। उन्होंने सभापति से अनुरोध किया कि इस तरह के विज्ञापनों को रोकने के लिए आश्वयक कार्रवाई की जाए।

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