Meerut News: अलीगढ़, मथुरा के बाद मेरठ के श्री बालाजी और शनि मंदिर के बाहर लगा मर्यादित वस्त्र पहनकर आने का बोर्ड
Meerut News: मेरठ में मंदिर के बाहर मंदिर प्रबंधन की ओर से एक बोर्ड लगाया गया है। इसमें अनुरोध किया है कृपया मर्यादित वस्त्र पहनकर ही मंदिर में प्रवेश करें।
Meerut News: उत्तर प्रदेश के मेरठ में ऐतिहासिक औघड़नाथ मंदिर के पास वेस्ट एंड रोड पर स्थित बालाजी एवं शनि शक्तिपीठ मंदिर है। यहां मंदिर प्रबंधन ने एक पोस्टर लगाया है, जिसमें मंदिर में मर्यादित वस्त्र पहनकर आने का श्रद्धालुओं से निवेदन किया गया है। इसके बाद से मंदिर सुर्खियों में है। कई लोग अपनी-अपनी प्रतिक्रिया भी दे रहे है। हालांकि अधिकतर लोग इस कदम का समर्थन कर रहे हैं क्योंकि इससे मंदिर की मर्यादा बनी रहेगी।
Also Read
गौरतलब है कि मेरठ के मंदिरों में वेस्ट एंड रोड पर स्थित बालाजी एवं शनि शक्तिपीठ मंदिर काफी प्रसिद्ध है। यहां हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर में शनि धाम के साथ-साथ माँ शाकुंबरी देवी तथा अन्नपूर्णा मंदिर भी विराजमान हैं। इस मंदिर की खास बात यहाँ पर विराजित शनि देव की मूर्ति है जिसकी लंबाई कुल 27 फीट की है तथा यह प्रतिमा अष्टधातु की बनाई गयी है। इस प्रतिमा को यदि वेदिका के साथ देखा जाये तो यह पृथ्वी से कुल 51 फीट की है। यह प्रतिमा अपने आप में ही एक दुर्लभ नमूना है। दरअसल,अष्टधातु की मूर्तियाँ अत्यंत ही दुर्लभ होती हैं तथा ये आठ धातुओं के संयोजन से बनाई जाती हैं। इस प्रकार की मूर्तियों मे सोना, चाँदी, तांबा, जस्ता, सीसा, टिन, लोहा, और पारा जैसे धातु मिलाये जाते हैं। अष्टधातु की मूर्तियाँ पूरे भारत मे कई मंदिरों मे पायी जाती हैं तथा इन मूर्तियों की ऐतिहासिकता की बात करें तो ये मूर्तियाँ छठवीं शताब्दी ईस्वी के लगभग बनाई जाना शुरू हुयी थी। इस प्रकार की मूर्तियों को बनाना एक जटिल कार्य है, इसे मधुचिस्ठछिन्न विधान या (Lost Wax technique) से बनाया जाता है।
इसी बीच मंदिर के बाहर मंदिर प्रबंधन की ओर से एक बोर्ड लगाया गया है। इसमें अनुरोध किया है कृपया मर्यादित वस्त्र पहनकर ही मंदिर में प्रवेश करें। अखिल भारतीय श्रीपंच निर्मोही अखाड़ा के महामंडलेश्वर श्री श्री 108 महेंद्र दास महाराज का कहना है कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्रपुरी जी द्वारा मंदिरों में प्रवेश के लिए मर्यादित वस्त्र पहनकर आने की आपील की गई है। उन्होंने दक्ष मंदिर हरिद्वार, टपकेश्वर देहरादून व नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश में अखाड़े की ओर से निर्णय के बाद बोर्ड लगा दिए गए थे। रविंद्र पुरी जी के आह्वान पर महेंद्र दास महाराज ने इसकी शुरुआत मेरठ में सबसे पहले की है।