Meerut News: जयंत की आस टूटने के बाद बीजेपी को अब अति पिछड़े वर्ग के प्रभावशाली नेताओं का सहारा
Meerut News: वेस्ट यूपी के असरदार जाट नेता राष्ट्रीय लोकदल सुप्रीमो मुखिया जयंत सिंह को विपक्ष के खेमे में जाता देख मिशन 2024 में फतह के लिए बीजेपी की नजरें अब वेस्ट यूपी में अति पिछड़े वर्ग यानी पाल, प्रजापति, विश्वकर्मा, लोहार, सैनी, कश्यप, धींवर आदि पर लगी हैं।
Meerut News: वेस्ट यूपी के असरदार जाट नेता राष्ट्रीय लोकदल सुप्रीमो मुखिया जयंत सिंह को विपक्ष के खेमे में जाता देख मिशन 2024 में फतह के लिए बीजेपी की नजरें अब वेस्ट यूपी में अति पिछड़े वर्ग यानी पाल, प्रजापति, विश्वकर्मा, लोहार, सैनी, कश्यप, धींवर आदि पर लगी हैं।
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बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का भी जाटों में मामूली असर
दरअसल, वेस्ट यूपी में बीजेपी के पास जाटों का कोई असरदार नेता नहीं है, जो हैं वे अपनी सीट जीत लें वही काफी है। यहां तक कि बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का भी जाटों में थोड़ा बहुत असर है तो वह केवल उनके गृह जनपद में ही है। इसी तरह केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियन और सांसद सत्यपाल मलिक भी जाटों में कोई खास असर नहीं रखते हैं। पिछले चुनाव में उनकी जीत के पीछे वजह उनका करिश्मा कम मोदी का करिश्मा अधिक रहा था। ऐसे में बीजेपी को लगता है कि राष्ट्रीय लोकदल के कारण पिछड़े समाज के जाट वर्ग का बीजेपी के मुकाबले रालोद की तरफ अधिक जुड़ाव है।
अति पिछड़े वर्ग के नेताओं को खेमे में लाने की कवायद
ऐसे में बीजेपी की पूरी कोशिश विपक्ष में सेंध लगाकर अति पिछड़े वर्ग के पाल, प्रजापति, विश्वकर्मा, लोहार, सैनी, कश्यप, धींवर आदि के क्षेत्र के प्रभावशाली नेताओं को अपने खेमे में लाने की है। रालोद से पूर्व राज्यसभा सदस्य राजपाल सैनी और सपा सरकार में मंत्री रहे साहब सिंह सैनी आदि को साथ जोड़कर बीजेपी ने अपनी नीयत साफ कर भी दी है। इनके बहाने बीजेपी ने वेस्ट यूपी में इनके समाज को यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि बीजेपी पिछड़ा वर्ग के साथ है।
ओमप्रकाश राजभर को शामिल करने से यूपी के एक हिस्से में मजबूती
बीजेपी के मेरठ से जुड़े एक बड़े नेता की मानें तो हाल में सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान को शामिल करने के बाद यूपी के एक हिस्से को बीजेपी काफी मजबूत कर चुकी है। वेस्ट यूपी में पार्टी को जयंत सिंह से उम्मीदें थी। लेकिन, जयंत विपक्ष के साथ जाने का अपना इरादा लगभग साफ कर चुके हैं।
ऐसी हालत में बीजेपी के लिए वेस्ट यूपी के असरदार अति पिछड़े वर्ग के नेताओं को शामिल करने का दांव ही शेष रह गया है और बीजेपी यही कर रही है। वेस्ट यूपी की राजनीति पर नजर रखने वालों की मानें तो वेस्ट यूपी में मुस्लिम, दलित और जाटों के अलावा अति पिछड़ा वर्ग चुनाव जीत में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। वेस्ट यूपी की करीब 34 विधानसभा सीटों पर अति पिछड़ा वर्ग के 10 से 22 प्रतिशत वोट हैं, जो चुनाव परिणाम पर असर डालने के लिए काफी हैं।