Meerut News: बस अड्डे को शहर से बाहर शिफ्ट किये जाने का रोडवेज यूनियन ने किया विरोध, दी आंदोलन की चेतावनी
Meerut News: आखिरकार राज्य सड़क परिवहन निगम द्वारा संचालित मेरठ-दिल्ली रोड पर स्थित भैंसाली बस अड्डा और डिपो को शहर से बाहर शिफ्ट करने की मांग मान ही ली गई।
Meerut News: आखिरकार राज्य सड़क परिवहन निगम द्वारा संचालित मेरठ-दिल्ली रोड पर स्थित भैंसाली बस अड्डा और डिपो को शहर से बाहर शिफ्ट करने की मांग मान ही ली गई। वैसे, भैंसाली बस अड्डे को शहर से बाहर करने की मांग लंबे समय से की जा रही थी। हालांकि राज्य सड़क परिवहन निगम के कर्मचारी यूनियन और अफसर इस मांग के विरोध में रहे हैं। उनका का कहना है कि बस अड्डा शहर से बाहर जाने पर यात्रियों की परेशानी बढ़ जाएगी। फिलहाल बस अड्डा शहर के लगभग बींचोबीच है।
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यात्रियों के लिए बस अड्डे की दूरी बढ़ जाएगी
बस अड्डे को भूडबराल और मोदीपुरम स्थित आरआरटीएस स्टेशनों के पास स्थानांतरित करने की बात की जा रही है। जाहिर है कि इससे यात्रियों के लिए बस अड्डे की दूरी बढ़ जाएगी। इससे यात्रियों को परेशानी होगी। ऐसे में यात्री डग्गामार बसों में यात्रा करने के लिए मजबूर होंगे। जिससे रोडवेज की आय घटेगी।
उत्तर प्रदेश रोडवेज कर्मचारी संगठन के प्रदेश संगठन मंत्री एवं क्षेत्रीय महामंत्री राजीव त्यागी ने आज कहा कि मेरठ में दशकों पुराने भैंसाली रोडवेज बस अड्डे को शहर से बाहर शिफ्ट किये जाने का हम डटकर कड़ा विरोध करेंगे। जब इसका कोई लिखित में सरकारी फरमान रोडवेज का मिलेगा तो हम इसके खिलाफ सड़कों पर उतरकर सरकार के इस निर्णय का डटकर कड़ा विरोध करेंगे। कर्मचारी यूनियन नेता राजीव त्यागी ने कहा कि सरकार की मंशा यूपी रोडवेज को खत्म करने की है। इसीलिए वह इस तरह के रोडवेज के नुकसान पहुंचाने वाले निर्णय कर रही है। उन्होंने कहा कि शहर से बाहर बस अड्डा शिफ्ट होने से रोडवेज की इन्कम घटेगी, वहीं डग्गामार बसों की चांदी कटेगी। क्योंकि यात्री शहर से बाहर बस अड्डा जाने की बजाय मजबूरी में डग्गामार बसों का सहारा लेंगे।
डग्गामार बसों का संचालन बड़ी चुनौती
राजीव त्यागी ने कहा कि रोडवेज को लेकर सरकार की नीयत का पता इसी बात से चलता है कि विधानसभा में परिवहन मंत्री कहते हैं कि यूपी में कोई डग्गामार बस नहीं चल रही। जबकि यूपी का ऐसा शायद ही कोई जनपद होगा जहां पर डग्गामार बसों का संचालन नहीं रहा हो। हालत यह है कि जितनी बसे रोडवेज बस बेड़े में हैं उससे कहीं अधिक दोगुनी मात्रा में डग्गामार बसें हैं।
पांच साल से बस अड्डों को बाहर करने की मांग उठ रही
बता दें कि मेरठ महायोजना 2021 में रोडवेज बस अड्डों को शहर से बाहर किया जाना था, लेकिन इस पर कोई काम नहीं हो सका। पिछले पांच साल से बस अड्डों को बाहर करने की मांग उठ रही है। मामला एनजीटी और हाईकोर्ट तक जा चुका है। शहर में बस अड्डे का विरेध कर रहे लोगों का कहना है कि मेरठ शहर के भैंसाली बस अड्डा में रोजाना लगभग 1400 बसें आती और जाती हैं। लोगों को बसों के कारण दिल्ली रोड पर होने वाले जाम के साथ प्रदूषण और असुरक्षित यातायात का सामना करना पड़ता है। बता दें कि शहर का भैंसाली बस अड्डा आजादी से पूर्व संचालित हो गया था।