मंत्री सतीश द्विवेदी ने की जरूरतमंदों की मदद, खाद्यान्न ट्रक भेजे सिद्धार्थनगर

लखनऊ से सिद्धार्थनगर तक जरूरतमन्दों की मदद में लगे मंत्री सतीश द्विवेदी ने बताया कि पूरे देश के मजदूर व श्रमिक धीरे-धीरे अपने घरों की तरफ आ रहे है। इनके भोजन का संकट न हो इसलिए यह खाद्यान्न सिद्धार्थनगर भेजा जा रहा है।

Update:2020-05-04 09:21 IST

लखनऊ : लॉकडाउन में जरूरतमंदों की सहूलियत के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं। इसी कड़ी में प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने भी लखनऊ से सिद्धार्थनगर तक खाद्यान्न के दो ट्रक अक्षयपात्र के जरिए भिजवाए। बता दें कि इस ट्रक में एक हजार पैकेट हैं, जिसमें प्रति परिवार तेल साबुन समेत 21 दिनों के राशन का पूरा सामान है। सिद्धार्थनगर जिले में इन पैकेटो का वितरण किया जाएगा।

मंत्री सतीश द्विवेदी सिद्धार्थनगर के इटवा से विधायक

लखनऊ से सिद्धार्थनगर तक जरूरतमन्दों की मदद में लगे मंत्री सतीश द्विवेदी ने बताया कि पूरे देश के मजदूर व श्रमिक धीरे-धीरे अपने घरों की तरफ आ रहे है। इनके भोजन का संकट न हो इसलिए यह खाद्यान्न सिद्धार्थनगर भेजा जा रहा है। गौरतलब है कि बेसिक शिक्षा मंत्री द्विवेदी सिद्धार्थनगर के इटवा से विधायक हैं।

अक्षयपात्र फाउंडेशन लाॅकडाउन में लगातार कर रहा मदद

कोरोना के मद्देनज़र अक्षयपात्र फाउंडेशन की सेवा सतत जारी है। वह जरूरतमंदों को लगातार भोजन के साथ 21 दिन का राशन दे रहा है। उत्तर प्रदेश में उसकी सेवा मथुरा व लखनऊ तक सीमित न होकर गोरखपुर व गाजीपुर तक पहुंच गया है तथा वाराणसी, प्रयागराज व अयोध्या सहित अन्य जनपदों में शुरू होने वाला है।

करीब 25 हजार जरूरतमंदों में बांटा जा चुका राशन किट

लखनऊ अक्षय पात्र के प्रमुख दिनेश शर्मा के अनुसार उत्तर प्रदेश में फिलहाल करीब 32 हजार राशन किट आया है, जिसमें करीब 25 हजार जरूरतमंदों में बांटा जा चुका है। उनके अनुसार अक्षयपात्र द्वारा भारत में 3 करोड़ 93 लाख मील सर्व हो चुका है, जिसमें सात लाख मील लखनऊ में सर्व किया गया है। कोरोना के कारण लॉकडाउन होने के बाद अक्षयपात्र संस्था जरूरतमंदों को भोजन व राशन देना शुरू किया।

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पहली किस्त में लखनऊ में 20 हजार पैकेट

उत्तर प्रदेश में मथुरा वृंदावन से शुरुआत करने के बाद इस संस्था द्वारा राजधानी लखनऊ में गरीबों को भोजन व राशन वितरण कार्य शुरू हुआ. पहली किस्त में लखनऊ में 20 हजार पैकेट आये, जो बांटे जा रहे है। प्रत्येक पैकेट में एक परिवार के लिए 21 दिन के राशन का सामान होता है। यहां ढाई हजार पैकेट और आने वाले हैं।

यूपी के हर जिले में जरूरतमदों की मदद के लिए पैकेट का वितरण

इसी प्रकार संस्था द्वारा पहली किस्त मे गाजीपुर में ढाई हजार पैकेट भेजनें के साथ सिद्धार्थनगर मे आज एक हजार पैकेट भेजा गया, जिसको बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह संस्था वाराणसी में चार हजार, गोरखपुर में साढ़े पांच हजार तथा अयोध्या व प्रयागराज सहित अन्य जनपदों मे एक एक हजार राशन का पैकेट जरूरतमंदों के लिये भेजने वाली है। सभी पैकेट में तेल साबुन सहित 21 दिन का पूरा राशन होता है।

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अक्षयपात्र की कोशिश-देश मे कोई न रहे भूखा

अक्षयपात्र फाउण्डेशन के उपाध्यक्ष चंचलापति प्रभु के मार्गदर्शन में यह कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया है। अक्षयपात्र की कोशिश रहती है कि देश मे कही कोई भूखा न रहे। चंचलापति प्रभु के अनुसार देश के जाने माने उद्योगपति नारायण मूर्ति एवं सुधा मूर्ति सहित कई उद्योगपतियों द्वारा अक्षयपात्र के माध्यम से जरूरतमंदों की मदद के लिये हाथ बढ़ाये गये है। लखनऊ मे नारायण मूर्ति एवं सुधा मूर्ति द्वारा अक्षयपात्र को दिए गए राशन की पैकिंग कानपुर रोड स्थित हज हाउस के पास साईं स्पोर्ट्स के बॉक्सिंग हाल में पिछले एक माह से करायी जा रही है। राशन का पैकेट बनने के बाद जरुरतमंदो मे बटने के लिये राजधानी के सभी इलाकों मे जाता है।

मनोज सिन्हा के आह्वान पर गाजीपुर में जरूरतमंदों की मदद

पूर्व संचार मंत्री मनोज सिन्हा के आह्वान पर गाजीपुर में जरूरतमंदों की मदद के लिए पहली किस्त मे दो हजार राशन पैकेट भेजे गए है तथा पांच सौ पैकेट जाने वाले है। गोरखपुर मे पहले ढाई हजार पैकेट और उसके बाद तीन पैकेट जरूरतमंदों के लिए भेजे गए है। गोरखपुर के नेपाल क्लब में बने कम्युनिटीज किचन में भी अक्षयपात्र द्वारा राशन दिया गया है। इस संस्था ने यहां आश्वस्त किया है कि जरूरत पड़ने पर वह मदद के लिए हमेशा तैयार रहेगा।

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यूपी के समेत देश के दूसरे राज्यों में भी अक्षयपात्र कर रहा जनसेवा

लॉकडाउन को देखते हुए अक्षयपात्र फाउंडेशन केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, दादरा और नगर हवेली, दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना व त्रिपुरा में भी जरूरतमंदों को भोजन तथा राशन देने का काम कर रहा है। लॉकडाउन के बाद से अक्षयपात्र द्वारा अब तक करीब सवा दो करोड़ से ज्यादा जरुरतमंद लोगों को भोजन दिया जा चुका है तथा यह क्रम निरंतर जारी है।

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देश भर में सवा दो करोड़ से अधिक लोगों को भोजन दे चुका फाउंडेशन

लॉकडाउन से प्रभावित लोगों की मदद के लिए सरकार के राहत प्रयासों का समर्थन करते हुए इस फाउंडेशन ने देश भर के विभिन्न स्थानों में दिहाड़ी मजदूर, औद्योगिक श्रमिक आदि बेघर सवा दो करोड़ से अधिक लोगों को भोजन दे चुका है। यह फाउंडेशन भारत सरकार, विभिन्न राज्य सरकारों, केन्द्र शासित प्रदेशों और नगर निगम आदि के साथ मिलकर काम करते हुए आवश्यक राशन के साथ ताजा पकाया भोजन देकर हर दिन जरुरत मंदो की सेवा कर रहा है। अक्षयपात्र अपने किचन नेटवर्क का उपयोग भोजन तैयार करने मे करता है। भोजन बनने के बाद अधिकारियों द्वारा बताये गये केंद्रों पर जाता है जहाँ बाद में इसे जरूरतमंदों को परोसा जाता है। इसके साथ ही, देश भर के विभिन्न स्थानों पर पैकेजिंग केंद्र भी स्थापित किए गए हैं जहाँ खाद्य सामग्री का पैकिंग करा कर जरुरतमंदो मे दिया जा रहा है।

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अक्षयपात्र फाउंडेशन के अध्यक्ष मधु पंडित नें बताया

इन प्रयासों के बारे में अक्षयपात्र फाउंडेशन के अध्यक्ष मधु पंडित दास बताते है कि हम सभी के सहयोगात्मक प्रयासों के कारण ही इन कठिन समय मे जरूरतमंद लोगों को भोजन व राशन देने में हम सक्षम हुए हैं। अक्षयपात्र की सेवा मे विश्वास रखने के लिए उन्होंने भारत सरकार, राज्य सरकारों, केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रशासन और स्थानीय नागरिक निकायों के प्रति हार्दिक आभार जताया है। अपने सहयोगियों दानदाताओं, स्वयंसेवकों और शुभचिंतकों को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा की उन्हें पूरी उम्मीद है कि जल्द ही स्थिति में सुधार होंगी और लोग अपने दिन-प्रतिदिन के जीवन में वापस आने में सक्षम होंगे। उन्होंने कहा की ज़ब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती तब तक, हम अधिक से अधिक लोगों की सेवा करने के अपने प्रयासों को जारी रखेंगे।

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करीब 40 लाख बच्चों को संस्था उपलब्ध कराती है दोपहर का भोजन

गौरतलब है कि अक्षयपात्र फाउंडेशन एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो भारत में कुपोषण को दूर करने का प्रयास मे लगा हुआ है। यह संस्था सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में बच्चों को मध्याह्न भोजन योजना के तहत दोपहर का पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराती है ताकि बच्चे स्वस्थ रहते हुए पढ़ सके। भारत के 12 राज्यों में करीब 40 लाख बच्चों को यह संस्था दोपहर का भोजन उपलब्ध कराती है।

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