मिर्जापुर मिड डे मिल: पत्रकार को बड़ी राहत, केस से हटाया गया नाम
उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर जिले के प्राथमिक विद्यालय में बच्चों के दोपहर के भोजन में नमक रोटी परोसे जाने की खबर दिखाने वाले पत्रकार पवन जायसवाल को बड़ी राहत मिली है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर जिले के प्राथमिक विद्यालय में बच्चों के दोपहर के भोजन में नमक रोटी परोसे जाने की खबर दिखाने वाले पत्रकार पवन जायसवाल को बड़ी राहत मिली है। दरअसल, मामले में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के दखलअंदाजी के बाद मिर्जापुर पुलिस ने केस से पत्रकार पवन जायसवाल का नाम हटा दिया है। इस बात की जानकारी खुद प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष जस्टिस चंद्रमौली कुमार प्रसाद ने प्रयागराज में एक प्रेस कांफ्रेंस करके दी।
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केस से हटाया गया पत्रकार का नाम
चंद्रमौली कुमार प्रसाद ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि इस गंभीर मामले को लेकर किसी भी पत्रकार संगठन ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया में कोई भी शिकायत दर्ज नहीं कराई थी। लेकिन मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने खुद संज्ञान लेते हुए जांच की। जिसके बाद मिर्जापुर पुलिस का ने जवाब में कहा कि पत्रकार के खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है और केस में पत्रकार का नाम भी हटा लिया गया है।
दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश
हांलाकि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष जस्टिस चंद्रमौली कुमार प्रसाद ने कहा है कि इस कार्रवाई से प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को पूरी तरह से संतुष्टि नहीं है। चंद्रमौली कुमार प्रसाद ने कहा कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया मामले में दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की भी सिफारिश करेगी।
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अफसरों के कामकाज पर उठ रहे सवाल
उन्होंने कहा कि, यह घटना पत्रकार के खिलाफ निर्दयी कार्रवाई का है, जिसमें व्यवस्था को ठीक करने के बजाए मैसेंजर के खिलाफ ही कार्रवाई कर दी गई। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के दखलअंदाजी के बाद पत्रकार के खिलाफ केस वापस ले लिया गया है। जिसके बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के अफसरों के कामकाज और रवैये पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
गौरतलब है कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष जस्टिस चंद्रमौली कुमार प्रसाद प्रेस पर हमले और पत्रकारों की शिकायतों की जनसुनवाई करने पहुंचे थे। जस्टिस चंद्रमौली ने बताया कि 45 में से 40 मामले उत्तर प्रदेश के थे, इसलिए मामलों की सुनवाई प्रयागराज में की गई। दो दिनों तक हुई जनसुनवाई में कुल 45 मामलों की सुनवाई हुई। इस दौरान कुल 33 मामलों का निर्णय किया गया, इनमें से 18 मामले इसी साल के थे।
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