Gorkhapur : करीबियों पर 'कृपा' बरसाने की निधि

Update:2020-03-06 13:16 IST

पूर्णिमा श्रीवास्तव

गोरखपुर। उत्तर प्रदेश में दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। विधायकों की निधि से लेकर उनके भत्तों को लेकर प्रदेश सरकार ने जिस प्रकार की दरियादिली दिखाई है, उसे देखकर तैयारियों का अंदाजा हो जाता है। राज्य सरकार ने विधायक निधि को बढ़ाकर तीन करोड़ रुपए कर दिया है। दो साल पहले ही विधायक निधि को डेढ़ करोड़ रुपये से बढ़ाकर दो करोड़ रुपए किया गया था। अब ये सवाल उठ रहे हैं कि जब विधायक निधि का पैसा नेताओं के प्राइवेट स्कूलों, मदरसों, बारात घर, गोशाला की बाउंड्री के लिए ही दिया जाना है तो इसका औचित्य क्या है? गोरखपुर-बस्ती मंडल के विधायकों ने बीते वर्षों में जिस प्रकार निधि खर्च की है, उससे साफ है कि विकास कार्य भले ही जमीन पर न दिखें, इनके करीबियों और कार्यकर्ताओं पर खूब कृपा बरस रही है।

विधानमंडल के बजट सत्र के आखिरी दिन विधायक निधि को दो करोड़ से बढ़ाकर तीन करोड़ रुपये करने की घोषणा की गई। इसके साथ ही विधायकों के वेतन-भत्तों व यात्रा कूपन की राशि बढ़ाने पर विचार करने के लिए संसदीय कार्य एवं वित्त मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में समिति बनाने का निर्णय लिया गया। विधायक चाहेेंगे तो अपने क्षेत्र में 50 से 100 करोड़ रुपये तक की योजनाओं पर काम करा सकते हैं। ऐसे में सवाल उठा है कि क्या विधायक फिलहाल मिल रहे दो करोड़ रुपये का उपयोग बेहतर तरीके से कर रहे हैं? पूरी निधि को खर्च कर भी पा रहे हैं? जवाब 'न' ही है।

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कहां खर्च हुई निधि

गोरखपुर में 9 में से 8 विधायक भाजपा के ही हैं। इनमें से आधे विधायक वर्तमान निधि दो करोड़ को खर्च करने में फिसड्ड हैं। गोरखपुर के विधायकों में डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल को छोड़ दें तो शेष विधायकों की निधि कहां खर्च हुई है, ये तलाशना मुश्किलों भरा काम है। गोरखपुर शहर सीट से जीते डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल ने पिछले तीन वर्षों में 58 परियोजनाओं पर 5.38 करोड़ रुपये खर्च किये हैं। उनके पास 11.6 लाख रुपये की राशि अब भी शेष है। निधि का पैसा सड़क और नाली निर्माण पर खर्च किया गया है। डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि 'मैं तो एक बार निधि खर्च कर सड़क बना दूंगा। बाद में तो वहां के नागरिकों को ही इसका प्रयोग करना है। 50 साल की गारंटी के साथ सीसी सड़क का निर्माण कराता हूं। जब जो चाहे एक-एक पाई का हिसाब ले ले।'

गोरखपुर ग्रामीण सीट से पहली बार जीते भाजपा विधायक विपिन सिंह ने 117 परियोजनाओं में 5.48 करोड़ रुपये खर्च किये हैं। निधि की तीस फीसदी राशि विद्यालयों के भवन निर्माण और सोलर स्ट्रीट लाइट पर खर्च हुई है।

चिल्लूपार के बसपा विधाया विनय शंकर तिवारी ने भी 16 विद्यालय भवनों के निर्माण पर दरियादिली दिखाई है।

चौरीचौरा सीट से पहली बार जीतीं विधायक संगीता यादव भी पूरी निधि खर्च करने के करीब हैं। उन्होंने भी विद्यालय भवनों और लड़कियों के लिए कॉमन रूम के निर्माण को तरजीह दी है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सांसद प्रतिनिधि रहे सहजनवा से भाजपा विधायक शीतल पांडेय ने 29 विद्यालय भवनों के निर्माण पर निधि खर्च की है।

खजनी के विधायक संत प्रसाद ने 55 निजी विद्यालयों के भवनों पर अपनी निधि खर्च की है।

पहली बार विधायक बने डॉ. विमलेश पासवान ने भी 21 विद्यालयों को निधि दी है।

पिपराइच से विधायक महेंद्र पाल सिंह ने विद्यालयों पर तो निधि नहीं लुटाई है, पर दो पोखरों में सीढ़ी निर्माण और हाईमास्ट को लेकर दरियादिली जरूर दिखाई है।

पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के पुत्र और पूर्व कैबिनेट मंत्री फतेह बहादुर सिंह तीन वर्षों में आधी निधि भी नहीं खर्च कर सके हैं। उन्होंने 5.50 करोड़ रुपये की निधि में से सिर्फ 44 परियोजनाओं पर 2.35 करोड़ रुपये किये हैं। यह रकम 4 विद्यालय भवन, 35 सड़क एवं नाली निर्माण, एक बारात घर आदि पर खर्च हुई है।

देवरिया के विधायक दो करोड़ की निधि भी खर्च नहीं कर पा रहे

देवरिया में सभी विधायक भाजपा के हैं। कमोबेश सभी अपनी दो करोड़ रुपये सालाना की निधि खर्च करने में नाकाम साबित हुए हैं।

देवरिया सदर के विधायक जन्मेजय सिंह के पास 2018-19 में 1.78 करोड़ रुपये बचे हुए थे।

बरहज के विधायक सुरेश तिवारी का भी पिछले वित्तीय वर्ष का 87 लाख रुपया अवशेष था। चालू वित्तीय वर्ष में उन्हें 2 करोड़ रुपये की निधि मिली लेकिन जनवरी माह तक करीब 2 करोड़ रुपया खर्च हुआ है। 99 लाख रुपया अवशेष है।

रूद्रपुर के विधायक व प्रदेश सरकार के मंत्री जय प्रकाश निषाद अभी तक 1.96 करोड़ रुपये खर्च नहीं कर सके हैं।

भाटपाररानी के विधायक आशुतोष उपाध्याय के खाते में भी डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक बचे हुए हैं।

रामपुर कारखाना के विधायक कमलेश शुक्ल के पास पौने दो करोड़ रुपये खर्च करने को पड़े हैं।

पथरदेवा के विधायक व प्रदेश सरकार के मंत्री सूर्य प्रताप शाही की सबसे अधिक निधि बची हुई है। उनके पास पिछले वित्तीय वर्ष का 2 करोड़ 72 लाख अवशेष था। चालू वित्तीय वर्ष में मिले 2 करोड़ को मिलाकर पौने पांच करोड़ रुपये हो गये हैं। इनका 2.16 करोड़ अब भी खर्च होने को बचा है।

एमएलसी रामसुंदर दास भी निधि का 1.83 करोड़ रुपये अभी तक नहीं खर्च सके हैं।

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संतकबीर नगर में प्राईवेट स्कूलों पर धनवर्षा

संतकबीरनगर जिले के विधायक प्राइवेट और सरकार की मदद से चलने वाले स्कूल पर खासे मेहरबान हैं। जिले के तीनों विधायक सड़क, बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं को लेकर बेपरवाह हैं।

धनघटा के विधायक श्रीराम चौहान की टॉप टेन परियोजनाओं में नौ विद्यालय ही हैं। उन्होंने प्रेमचंद्र उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गोरयाघाट, रामनरेश बुद्धिसागर पब्लिक कांवेंट आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय उदहा, संत कबीर उच्चतर उमावि सिक्टहा, श्रीमती शंकरदेई बालिका पूर्व माध्यमिक विद्यालय धनघटा, किसान इंटर कॉलेज सिक्टहा, विश्वनाथ शारदा देवी महाविद्यालय भरदौलिया माफी और पंडित राम कृपाल पांडेय इंटर कॉलेज दर्शननगर महेश्वरपुर को कक्ष निर्माण के लिए 10-10 लाख रुपये दिये हैं। वहीं उमा महेश्वर महाविद्यालय भोगीपुर को 15 लाख और विंदापाल उग्रसेन पाल महाविद्यालय बीटीसी सिक्टहा को 20 लाख रुपये अपनी निधि से दिये हैं। इनमें से अधिकतर या तो भाजपा से जुड़े लोगों के हैं, या फिर विधायक के करीबी के हैं।

सदर विधायक दिग्विजय नारायण चतुर्वेदी ने संजय गांधी राजाराम शर्मा लघु माध्यमिक विद्यालय भुजैनी में भवन निर्माण के लिए 10 लाख, मदरसा शाहजहां निस्वा उड़सरा गंगौली के भवन निर्माण के लिए 12 लाख, महंथ रामाश्रय दास उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बाकरगंज पचपोखरी के भवन निर्माण के लिए 10 लाख रुपए अपने निधि से दिए हैं।

मेंहदावल के विधायक राकेश सिंह बघेल निजी स्कूलों के साथ ही गो-आश्रय केन्द्रों पर मेहरबान हैं। विधायक ने दो स्कूलों को 46 लाख से अधिक की रकम दी है। बढय़ा ठाठर पशु आश्रय केन्द्र को विधायक ने करीब 50 लाख की निधि दी है।

निधि खर्च हो गई, नहीं दिख रहा काम

महराजगंज में पांच विधायकों में चार भाजपा के हैं। वहीं पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमन मणि त्रिपाठी निर्दलीय जीते हैं। कमोबेश सभी विधायक निधि खर्च कर रहे हैं, लेकिन कोई ऐसा काम नहीं हुआ जो उल्लेखनीय हो।

अमन मणि की निधि का बड़ा हिस्सा स्कूलों और करीबियों की योजनाओं पर खर्च किया है। पिता अमर मणि त्रिपाठी भाई और पत्नी की संस्थाओं पर 14 करोड़ रुपये की निधि खर्च कर खूब सुर्खियां बंटोर चुके हैं।

सदर विधायक जयमंगल कन्नौजिया निधि खर्च करने में आगे हैं। फरेंदा विधायक बजरंग बहादुर लाल को भी इस वर्ष अपने क्षेत्र के विकास के लिए दो करोड़ रुपये मिले। इसके लिए उन्होंने कई कार्यों को प्रस्ताव दिया। लेकिन फाइल आगे नहीं बढऩे से 2 करोड़ में से एक रुपया भी नहीं खर्च कर पाए।

कुशीनगर जिले के छह विधायक भी निधि खर्च करने में तो अव्वल दिख रहे हैं, पर उनके पास गिनाने को कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं है। कुशीनगर विधायक रजनीकांत पांडेय ने पूरी रकम खर्च दी लेकिन विधानसभा की सड़कें बदहाल ही नजर आती हैं। पडरौना सदर के विधायक और कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या ने निधि की पूरी रकम खर्च कर दी है। सरकार के निधि बढ़ाने के फैसले का स्वागत करते हुए वह कहते हैं कि अब दूर ग्रामीण इलाकों के विकास में भी मदद मिलेगी। कुशीनगर के खड्डा विधायक जटाशंकर त्रिपाठी विधायक निधि के खर्च को लेकर सुर्खियों में रहे हैं। उन्होंने कुम्हारी कला को गति देने के लिए विधायक निधि खर्च की है।

तोरणद्वार है बस्ती का विकास

बस्ती के पांच विधायकों ने निधि का खास उपयोग नहीं किया है। हरैया विधायक अजय सिंह ने खासी रकम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, सेना के शहीदों व विशिष्टजनों के नाम पर गेट लगवाने में खर्च किया। विधायक कप्तानगंज चन्द्र प्रकाश शुक्ला ने अपने क्षेत्र की निधि को पुलिया, खड़ंजा व सड़क आदि बनवाने में खर्च किया है। विधायक सदर दयाराम चौधरी ने निधि से इंटरलाकिंग व सड़कों पर खर्च किया तो महादेवा विधायक रवि सोनकर ने क्षेत्र में बारात घर बनवाने के लिए अपने दो साले निधि को दिया।

 

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