खबर का असर: विधायक ने उठाया बरगढ़ ग्लास फैक्ट्री का मुद्दा

बुन्देलखण्ड में रोजगार की दृष्टि से महत्वपूर्ण दशको से बन्द पड़ी बरगढ़ ग्लास फैक्ट्री को लेकर एक बार जनमानस की आस बढ़ गई है। मानिकपुर विधायक आनंद शुक्ला लगातार क्षेत्र की समस्यायों को लेकर सक्रिय नजर आ रहे हैं। हर दिन किसी न किसी नए या पुराने महत्वपूर्ण मुद्दे को जीवंत करने का काम कर रहे हैं आंनद शुक्ला।

Update:2019-12-20 15:04 IST
खबर का असर: विधायक ने उठाया बरगढ़ ग्लास फैक्ट्री का मुद्दा

चित्रकूट: एक बार फ़िर हमारी खबर का दमदार असर हुआ है और इस बार रोजगार को लेकर जनप्रतिनिधियो की सक्रियता से जनता कि आस बढ़ गई है। बुन्देलखण्ड में रोजगार की दृष्टि से महत्वपूर्ण दशको से बन्द पड़ी बरगढ़ ग्लास फैक्ट्री को लेकर एक बार जनमानस की आस बढ़ गई है। मानिकपुर विधायक आनंद शुक्ला लगातार क्षेत्र की समस्यायों को लेकर सक्रिय नजर आ रहे हैं। हर दिन किसी न किसी नए या पुराने महत्वपूर्ण मुद्दे को जीवंत करने का काम कर रहे हैं आंनद शुक्ला।

उन्होंने गुरुवार को सूबे के औद्योगिक मंत्री सतीश महाना से भेंट करके बरगढ़ औद्योगिक क्षेत्र को पुनर्जीवित करने का आग्रह किया। उन्होंने ट्वीट कर जनता को इस बारे में जानकारी देते हुए लिखा कि उनकी बरगढ़ ग्लास फैक्ट्री के विषय मे मंत्री जी से बातचीत हुई और उन्होंने ठोस प्रभावी योजना के साथ शीघ्र मानिकपुर विधानसभा में आने का आश्वासन भी दिया। फिलहाल आनंद शुक्ला ने बरगढ़ ग्लास फैक्ट्री का मुद्दा उठाकर बुन्देलखण्ड की राजनीति गर्माहट पैदा कर दी है क्योंकि दशकों से बन्द पड़ी ये फैक्ट्री पूर्व की सरकारों की असफलता का बड़ा सबूत है।

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बुन्देलखण्ड की इकलौती ग्लास फैक्ट्री है

दरअसल, दशकों पुरानी एक कहानी बुन्देलखण्ड की इकलौती ग्लास फैक्ट्री की है जिसका शिलान्यास दशकों पहले कांग्रेस की सरकार में हुआ था लेकिन आज तक ये चालू नही हो पाई। जिससे पाठा सहित बुन्देलखण्ड के हजारों मजदूरों का नुकसान हुआ। राज्य मिनरल्स डेवलपमेंट कार्पोरेशन के अंतर्गत आने वाली ये फैक्ट्री चित्रकूट जिले के बरगढ़ क्षेत्र में आती है जिसका शिलान्यास सन 1987 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कर कमलों द्वारा हुआ था। बुलेट प्रूफ कांच बनाने वाली बुन्देलखण्ड की इस इकलौती ग्लास फैक्ट्री बरगढ़ का निर्माण उप्र राज्य खनिज विकास निगम (यूपीएस एमडीसी) द्वारा सन 1988 में कुछ प्राइवेट सेक्टर के उद्योगपतियों के सहयोग से प्रारम्भ किया गया था। इस फैक्ट्री के निर्माण में प्राइवेट सेक्टर के कई लोगों ने अपना अपना साझा पूंजी निवेश कर रखा था।

फैक्ट्री का निर्माण कार्य धनाभाव में बंद हो गया

फैक्ट्री के निर्माण में प्रमुख शेयर होल्डर्स में से UPSMDC की 26% पूंजी , सऊदी अरब के शेख बंधुओ की 12%, सी.एल. वर्मा की 9% पूंजी,लन्दन के एक उद्योगपति विल क्लिंटन ब्रदर्स की 4% पूंजी, आदित्य बिड़ला की 15% पूंजी, यूपी गवर्नमेंट की 33% पूंजी संयुक्त रूप से लगाने का एग्रीमेंट किया गया था। फैक्ट्री में तेजी से निर्माण कार्य कराते हुए सन 1991 तक 50% निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया था। लेकिन शेयर होल्डर्स की आपसी खींचतान के कारण फैक्ट्री के निर्माण में धन की कमी आने लगी और सन 1991 से ही निर्माण कार्य करा रहे ठेकेदारों का पैसा भुगतान बन्द होने लगा था। उन लोगो ने धन की कमी के कारण फैक्ट्री का अगला निर्माण कार्य कराना बंद करवा दिया। लगभग 50 हेक्टेयर में निर्माणाधीन बरगढ़ ग्लास फैक्ट्री का निर्माण कार्य धनाभाव में बंद हो गया।

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मुम्बई बंदरगाह में ये मशीनें 1996 तक पड़ी रहीं

बरगढ़ स्टेशन से फैक्ट्री तक रेल लाइन बिछाने का काम भी पूरा करा लिया गया था। लन्दन के कारोबारी विल क्लिंटन ब्रदर्स ने लन्दन में सन 1991 के सितम्बर अक्टूबर महीने में फ्लोट ग्लास बनाने की लगभग 2000 करोड़ रूपये कीमत की बडी बड़ी मशीने समुद्र के रास्ते भारत भिजवाया था। मुम्बई बंदरगाह में ये मशीनें 1996 तक पड़ी रहीं। यूपी सरकार की लापरवाही से करोड़ो रूपये कीमत की ये मशीने मुम्बई बंदरगाह में ही रखी रह गई। कस्टम विभाग ने कस्टम चार्ज और जुर्माने की धनराशि सहित 12 12 हजार करोड़ रूपये में इन मशीनों को नीलाम करवा दिया। लंदन के क्लिंटन ब्रदर्स ने ही इन मशीनों को नीलामी में खरीद लिया था।

आदित्य बिरला इस फैक्ट्री को नीलामी में खरीदना चाहते थे लेकिन

सन 2004 में मुलायम सिंह यादव की सरकार में आदित्य बिरला इस फैक्ट्री को नीलामी में खरीदना चाहते थे लेकिन मुलायम सिंह से आदित्य की नहीं बनी। बाद में मायावती इस फैक्ट्री को 15% में बेंचना चाहती थी मगर आदित्य बिरला अब फैक्ट्री खरीदने के लिए राजी नही हुए। तब से आज तक बरगढ़ ग्लास फैक्ट्री इन पूर्ववर्ती यूपी सरकारों की नाकामी पर इन्हें कोश रही है। इन नेताओं ने बुन्देलखण्ड को खूब ठगा है और देश तथा प्रदेश की जनता को भी खूब लूटा है। इनका कभी भला होने वाला नही है। इस ग्लास फैक्ट्री के बन जाने से बुन्देलखण्ड के लगभग 20 हजार युवाओं को रोजगार मिलता लेकिन ऐसा हुआ ही नहीं।

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