MMMUT News: व्यक्ति की पहचान में दिल की धड़कनें होती है महत्वपूर्ण, ईसीजी तकनीक हैं कारगर

Gorakhpur News: यह सुरक्षा प्रणाली अधिक विश्वसनीय नहीं हैं क्योकि यह केवल व्यक्ति द्वारा प्रदान की गई जानकारी की पहचान करती हैं, उसके भौतिक उपयोगकर्ता की नही।

Written By :  Durgesh Sharma
Update:2022-11-21 20:43 IST

MMMUT News important role of heart rcognise to man and ecg technique effective (MMMUT)

MMMUT News: वर्तमान कंप्यूटर एवं इंटरनेट के युग में, कंप्यूटर आधारित व्यक्तिगत पहचान के तौर-तरीकों की सुरक्षा एक प्रमुख समस्या है और डिजिटल दुनिया में 'पहचान की चोरी' की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। आज की डिजिटल दुनिया में लोगों को पहचान सम्बन्धी सुरक्षा प्रणालियाँ अभेदकारी नहीं रही| इलेक्ट्रॉनिक पद्धति पर आधारित पारंपरिक सुरक्षा प्रणालियाँ व्यक्ति की पहचान उसके पास उपलब्ध टोकन या पासवर्ड के आधार पर करती हैं|

यह सुरक्षा प्रणाली अधिक विश्वसनीय नहीं हैं क्योकि यह केवल व्यक्ति द्वारा प्रदान की गई जानकारी की पहचान करती हैं, उसके भौतिक उपयोगकर्ता की नही। उदाहरण के तौर पर किसी व्यक्ति की पहचान उसके असली चेहरे की जगह प्रस्तुत किये गए चेहरे के डिजिटल फोटोग्राफ से करना या असली फिंगरप्रिंट की जगह कृत्रिम रूप से तैयार किये गए एक रूपान्तरित फिंगरप्रिंट से किया जाना, बायोमेट्रिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए हम लोगों की पहचान उनके चेहरे, उंगलियों के निशान, पुतलियों के कोड, हस्ताक्षर और आवाज के नमूने के आधार पर करते हैं|

बायोमेट्रिक्स एक ऐसी तकनीक है जिसका उपयोग व्यक्तियों की शारीरिक और व्यवहारिक विशेषताओं के आधार पर पहचान करने के लिए किया जाता है। आधुनिक युग में बायोमेट्रिक लोगों के प्रमाणीकरण के लिए एक अच्छा विकल्प प्रदान करती है, लेकिन इनके तौर-तरीकों का इस्तेमाल कुछ मामलों में व्यक्तियों की मृत्यु के बाद भी उनकी पहचान करने के लिए किया जा सकता है। इससे धोखाधड़ी की एक नयी संभावना का जन्म होता है। बायोमेट्रिक शोध में इस धोखाधड़ी को 'पहचान चुराने के लिए हमला' कहा जाता है।

परंपरागत बायोमेट्रिक का प्रयोग करके इस हमले को रोका नहीं जा सकता है। अतः, शोध कर्ताओं के लिए यह हमेशा से एक चुनौती रही है कि इस बायोमेट्रिक धोखाधड़ी को कैसे रोका जाये। दूसरे शब्दों में कहें कि क्या व्यक्ति में कोई ऐसी शारीरिक और व्यवहारिक विशेषता (बॉयोमीट्रिक्स) हो सकती है जिसे पहचान चुराने के लिए कृत्रिम रूप में कभी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

बॉयोमीट्रिक्स प्रणालियों की उपरोक्त चुनौतियों के समाधान के रूप में हमारे पिछले डेढ़ दशक से किये जा रहे शोध ने यह सिद्ध कर दिया है कि एक व्यक्ति की पहचान में उसके दिल की धड़कनें अति महत्वपूर्ण हो सकतीं हैं। सरल भाषा में कहें कि इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) एक व्यक्ति के दिल में उत्पन्न विद्युत संकेतों यथा दिल की धड़कन (हृदय गति) को रिकॉर्ड करता है।

हमारे शोधों से यह निष्कर्ष निकला है कि ईसीजी का उपयोग मानव पहचान के लिए बायोमेट्रिक पद्धति के रूप में किया जा सकता है। ईसीजी में जीवन शक्ति को दर्शाने की एक प्राकृतिक एवं अंतर्निहित विशेषता है, जब कि किसी अन्य बॉयोमीट्रिक्स प्रणाली में जीवन संकेतों को दर्शाने की क्षमता नहीं है।

हमारे शोध ने यह सिद्ध कर दिया है कि बायोमेट्रिक के रूप में ईसीजी कृत्रिम/नकली (स्पूफ) हमलों के लिए पर्याप्त रूप से गैर-संवेदनशील है, इसलिए यह धोखाधड़ी एवं पहचान के हमलों के खिलाफ अभेद्द्य कवच सुनिश्चित कराता है।

हमारे शोध ने सिग्नल प्रोसेसिंग और मशीन लर्निंग तकनीकों का उपयोग करते हुए ईसीजी विश्लेषण किया तथा लोगों के दिलों की धडकनों के पैटर्न का रूपात्मक अध्ययन किया। इस अध्ययन में यह पाया गया कि ईसीजी तरंग का समय और आवृत्ति विश्लेषण एक व्यक्ति के दिल की धड़कन की अनूठी विशेषताओं को दर्शाता है। जिसका प्रयोग एक बायोमेट्रिक्स के रूप में व्यक्ति की पहचान में किया जा सकता है। अतः ईसीजी का उपयोग करके हमने एक नवीन बायोमेट्रिक सिस्टम विकसित किया है।

हमारे इस शोध से सम्बंधित लगभग 35 से अधिक शोधपत्र दुनिया की प्रतिष्ठित जर्नल्स और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में प्रकाशित हो चुके हैं। हमारे अध्ययन से पता चला है कि व्यक्ति अपने ईसीजी संकेतों में विषम पैटर्न रखते हैं| आमतौर पर व्यक्तियों के बीच ईसीजी संकेतों की विविधता उनके दिल की स्थिति, आकार और शारीरिक स्थिति में अंतर का परिणाम हो सकती है।

एक व्यक्तिगत मायोकार्डियम की हृदय विद्युत प्रणाली का तंत्र भी दिल की धड़कन के अनूठे पैटर्न के निर्माण में महत्वपूर्ण है। इस शोध से सम्बंधित एक अति महत्वपूर्ण प्रश्न, कि दुनिया के तमाम लोगों के दिल की धड़कन के पैटर्न सांख्यिकीय रूप से किस हद तक अद्वितीय हैं, क्या उनमे कोई समरूपता तो नहीं है। यह प्रश्न अभी तक अनुत्तरित था, इसका समाधान करते हुए हमारे मौजूदा शोध ने सिद्ध कर दिया कि दुनिया के किन्ही दो लोगों के दिल की धड़कन के पैटर्न कभी भी सामान नहीं हो सकते हैं|

किसी बायोमेट्रिक के वास्तविक जीवन में उपयोग करने से पूर्व उसकी वैज्ञानिक साक्ष्य की स्वीकार्यता स्थापित की जानी चाहिए, यह कानूनी वैधानिकता प्रदान करने के लिए आवश्यक है। अतः ईसीजी को बायोमेट्रिक मोडेलिटी के रूप में इस्तेमाल करने से पूर्व उसके सांख्यिकीय विशिष्टता यथा अद्वितीयता की सत्यता वैज्ञानिक रूप से सिद्ध किया जाना अति आवश्यक है।

सांख्यिकीय अद्वितीयता एक अनियमित नमूने का किसी दी गई आबादी में समान पाए जाने की संभावना बताती है। इसलिए, ईसीजी की सांख्यिकीय अद्वितीयता एक लक्षित आबादी में दो या दो से अधिक व्यक्तियों के दिल की धड़कन पैटर्न के समान न होने की संभावना को निर्धारित करती है। हमने मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग तकनीकों का उपयोग करके ईसीजी विश्लेषण किया और सांख्यिकीय रूप से साबित किया कि दुनिया की 7.9 बिलियन आबादी के लिए लोगों में ईसीजी की समानता नहीं हो सकती है|

हमारा शोध दिल की धड़कन की रूपात्मक विशेषताओं का उपयोग करने वाले व्यक्तियों के बीच ईसीजी की सांख्यिकीय अद्वितीयता की गणना के लिए एक गणितीय मॉडल का प्रस्ताव करता है।

यह गणितीय मॉडल दिल की धड़कनो का अंतराल-आयाम डोमेन में विभिन्न विशेषताओं की गणना कर समानता की संभावना का आकलन करता है। तथा इससे प्राप्त गणितीय व्यंजकों के माध्यम से ईसीजी की सांख्यिकीय अद्वितीयता को मापता है।

ईसीजी की सांख्यिकीय अद्वितीयता के प्रस्तावित मॉडल को एक स्वचालित ईसीजी बायोमेट्रिक प्रणाली के माध्यम से प्राप्त अनुभवजन्य प्रदर्शन के साथ अनुमानित सांख्यिकीय प्रदर्शन की तुलना करके मान्य किया गया।

हमने विभिन्न ईसीजी बॉयोमीट्रिक विधियों को मशीन लर्निंग, आर्टिफीसियल न्यूरल नेटवर्क और कोन्वोलूसन न्यूरल नेटवर्क तकनीकि के माध्यम से व्यक्तियों के दिल की धड़कन के बीच ईसीजी समानता की संभावना की गणना की तथा प्रयोगों ने इस संभावना को मात्र 1.3 × 10-20 पाया है।

अतः हमारे शोध ने यह सिद्ध कर दिया है कि वर्तमान में दुनिया की कुल आबादी (790 करोड़) में दो व्यक्तियों के दिलों की धड़कन समान नहीं हो सकती है| [यह अरबों-अरब आबादी (7x1019 लोगों में सिर्फ एक) में व्यक्तियों के बीच दिल की धड़कन के समान होने की कुछ संभावना होगी।

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