यूपी में मंकीपॉक्स का अलर्ट: कहीं आपको चेचक या खसरा तो नहीं, ये लक्षण हो सकते हैं खतरनाक

Monkeypox alert in UP: यूपी सरकार भी मंकीपॉक्स को लेकर सावधानी बरतने के निर्देश स्वास्थ्य महकमा को दिए हैं।

Update: 2022-05-25 14:19 GMT

यूपी में मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट।

Monkeypox Alert UP: कोरोना महामारी से त्राहि-त्राहि कर चुकी दुनिया के सामने एक नई बिमारी की चुनौती आकर खड़ी हो गई है। यह बिमारी मंकीपॉक्स है, जिसके चिकनपॉक्स जैसे लक्षण होते हैं। इस बिमारी का असर अभी सबसे ज्यादा अफ्रीका देशों में मिले हैं। अब तक यह अमेरिका, इजरायल समेत 20 से ज्यादा देशों में फैल चुका है और इसके 200 से ज्यादा मरीज भी मिले हैं। हालांकि भारत में अभी इसका कोई मरीज होने की पुष्टि नहीं हुई है।

उत्तर प्रदेश सरकार अलर्ट मंकीपॉक्स से 

बावजूद उसके भारत सरकार पूरी तरह से सतर्कता बरतना शुरू कर दी है। सरकार ने इसे लेकर नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल और इंडियन कॉउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च को अलर्ट रहने के लिए कहा है। उत्तर प्रदेश सरकार भी मंकीपॉक्स को लेकर सावधानी बरतने के निर्देश स्वास्थ्य महकमा को दिए हैं। इसका कोई पक्का इलाज नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि चेचक से ठीक हुए या टीककरण करवाए लोगों में इसका खतरा कम है। फिलहाल इस बीमारी से अभी तक मौत की भी खबर नहीं है।

वहीं इस बीमारी को लेकर मेडिसिनल केमेस्ट्री और मॉलिक्यूलर ऑन्कोलॉजी के विशेषज्ञ व स्वीडन में रहने वाले भारतीय वैज्ञानिक प्रोफेसर राम शंकर उपाध्याय (Indian scientist Professor Ram Shankar Upadhyay) ने 'न्यूज़ट्रैक' से बातचीत के दौरान बताया कि 'मंकीपॉक्स' से भारत को खतरा नहीं है। जबकि, यूरोप-अमेरिका में दहशत का माहौल है। उन्होंने कहा कि लक्षणों को नजरअंदाज न करें। इसकी जांच तुरंत कराएं। जिससे समय रहते इस बीमारी का पता लगाया जा सके।

चेचक परिवार का वायरस

प्रोफेसर राम शंकर उपाध्याय (Indian scientist Professor Ram Shankar Upadhyay) ने बताया कि 12 अफ्रीकी देशों में हर साल हजारों लोग मंकीपॉक्स से संक्रमित होते हैं। यह जानवरों से इंसान में फैलने वाला चेचक परिवार का वायरस है। ऐसा पहली बार हुआ है कि मंकीपॉक्स अफ्रीका से निकलकर यूरोप व अमेरिका में दहशत फैला रहा है। पहली बार यह एक व्यक्ति से दूसरे में फैल रहा है। इसकी चपेट में ज्यादातर युवा आ रहे हैं। इसके प्रसार की वजह यौन संबंध भी माना जा रहा है।

• पहली बार यूरोप व अमेरिका में फैला।

• पहली बार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल रहा।

• चपेट में आ रहें ज़्यादातर युवा।

• यौन संबंध को भी प्रसार की वजह माना जा रहा।

कैसे पड़ा 'मंकीपॉक्स' नाम?

वैज्ञानिक राम शंकर उपाध्याय के अनुसार, शोध के दौरान पहली बार इसकी पहचान बंदरों में हुई इसलिए इसे मंकीपॉक्स नाम मिला। मानव में यह पहली बार 1970 में कॉन्गो में दर्ज किया गया।

मंकीपॉक्स के लक्षण:

बुखार, शरीर में दर्द, ठिठुरन, थकान और हाथ-पैरों की अंगुलियों व चेहरे पर छाले या रैश पड़ना। हर दस संक्रमित में से एक की जान को खतरा।

कैसे करें पहचान?

इस बीमारी के शुरुआती लक्षण के दौरान लिम्फैडेनोपैथी का होना मंकीपॉक्स को चिकनपॉक्स से अलग बनाता है। लोग अक्सर मंकीपॉक्स से शरीर पर होने वाले दानों या छालों को चिकनपॉक्स समझ के समझ लेते हैं। मंकीपॉक्स के धब्बे आगे चलकर घाव और छाले बन जाते हैं जबकि चिकन पॉक्स में ऐसा नहीं होता है।

क्या कहते हैं डॉक्टर?

मंकीपॉक्स को लेकर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित लोकबंधु अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि मंकीपॉक्स एक तरह का डीएनए वायरस है, जो स्मॉलपॉक्स की तरह इरिटिकेट हो गया है, विश्व से उसी तरीके से मिलता जुलता है। उन्होंने कहा अभी विश्व के कई देशों में इसके मरीज मिले हैं। यह छुआछूत जैसे स्मॉलपॉक्स और चिकनपॉक्स की तरह इसके भी लक्षण दिखाएंगे ऐसे ही यह बिमारी फैलेगी।

बचाव के तरीके?

डॉक्टर अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि इस बीमारी से बचाव के लिए यह ध्यान देने की जरुरत है कि इस महीने में चिकनपॉक्स और खसरा के केस ज्यादा आते हैं। मंकीपॉक्स के भी लक्षण कुछ ऐसे ही हैं। ऐसे में अगर इस टाइप का कोई केस आए तो उसको तुरंत आइसोलेट करें यानि आम लोगों से मरीज को दूर रखें। जैसे कोरोना के सयम में मरीज को अन्य लोगों से दूर रखा जाता था। यह सिल्प रिवाल्विंग है यह धीरे धीरे ठीक हो जाएगा। फिलहाल इस बीमारी की अभी कोई दवा नहीं है। लेकिन मरीज के जो सिम्टम्स दिखाई देगा उसका इलाज करके उसे ठीक किया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि मंकीपॉक्स कोरोना वायरस की तरह खतरनाक नहीं है, लेकिन इससे सावधानी बरतनी जरुरी है।

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