कुशीनगर में बोले मोरारी बापू, अपनी कमाई का 10वां हिस्सा राम मंदिर निर्माण में दें

मोरारी बापू ने कहा कि इससे गाय, गरीब, धर्म, कर्म का काम हो सके। उन्होंने कहा कि दूसरों के कल्याण के विषय में सोचना महाकल्याण होता है। रामचरित मानस की पहली गुरु वंदना है, गुरु ही गणेश और सूर्य हैं। गुरु उदार होता है।

Update:2021-01-23 22:20 IST
राम मंदिर को लेकर मोरारी बापू कहा कि प्रभु राम के भव्य मंदिर के लिए छोटे से लेकर बड़े व्यक्ति तक को चंदा देना चाहिए। अपनी कमाई का 10वां हिस्सा प्रभु के नाम पर निकाल दें।

कुशीनगर: जाने माने श्रीराम कथा वाचक मोरारी बापू ने कुशीनगर में तथागत की धरती पर श्रीराम कथा का रसपान कराने के साथ ही अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर निर्माण का भी जिक्र किया।

अयोध्या में बन रहे राम मंदिर को लेकर उन्होंने कहा कि प्रभु राम के भव्य मंदिर के लिए छोटे से लेकर बड़े व्यक्ति तक को चंदा देना चाहिए। अपनी कमाई का 10वां हिस्सा प्रभु के नाम पर निकाल दें।

मोरारी बापू ने कहा कि इससे गाय, गरीब, धर्म, कर्म का काम हो सके। उन्होंने कहा कि दूसरों के कल्याण के विषय में सोचना महाकल्याण होता है। रामचरित मानस की पहली गुरु वंदना है, गुरु ही गणेश और सूर्य हैं। गुरु उदार होता है। वह श्रद्धा को मजबूत करता है। दुख और सुख प्रारब्ध का खेल नहीं है। सही में सुख और दुख मानव का स्वभाव है। कर्म ही सुख व दुख की प्राप्ति होती है। कर्म को बदला जा सकता है। इसके लिए संगत बदलनी होगी। अंत में बापू ने हनुमान वंदना से पहले दिन की कथा की समाप्ति की।

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विश्व शांति के लिए छोड़ें हिंसा

मोरारी बापू ने कहा कि विश्व शांति के लिए हिंसा उपाय नहीं है। परशुराम, श्रीराम, श्रीकृष्ण और भगवान बुद्ध इन सभी महापुरुषों ने शस्त्र त्यागा है। ये लोग किसी की हत्या नहीं किए बल्कि लीला क्षेत्र में सभी ने आसुरी शक्तियों को निर्वाण देने का काम किया है। राम चरितमानस में भी गोस्वामी तुलसीदास ने निर्वाण शब्द का प्रयोग किया है।

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प्रभु राम ने किसी की हत्या नहीं की बल्कि निर्वाण दिया

कथा को ‘मानस-निर्वाण’ नाम शीर्षक देते हुए बापू ने कथा को अरण्य कांड से प्रारंभ किया। कहा कि मारीच के द्वारा निर्वाण शब्द का प्रयोग करने की बात कही है। राम का स्वभाव हिंसा करना नहीं है। उन्होंने किसी की हत्या नहीं की बल्कि निर्वाण दिया। उन्होंने धनुष-बाण गुरु के चरणों में छोड़ दिया। राम, कृष्ण, परशुराम व बुद्ध चारों ने निर्वाण देने का कार्य किया है। भगवान कृष्ण ने आसुरी वृति के विनाश के लिए युद्ध किया और अर्जुन व दुर्योधन के सामने हथियार छोड़ दिया। बड़े-बड़े सम्राटों ने हिंसा त्यागकर ‘बुद्धम शरण गच्छामि’ की शरण ली। राम ने रावण कुल का निर्वाण किया और पुनः अमृत वर्षा कर उन्हें नवजीवन प्रदान किया।

रिपोर्ट-पूर्णिमा श्रीवास्तव

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