Lok Sabha Election: क्षत्रियों की नाराजगी बालियान पर पड़ सकती है भारी, मुजफ्फरनगर सीट पर भाजपा की बढ़ी मुश्किलें

Lok Sabha Election 2024: वहीं जयंत का साथ भाजपा की राह आसान करेगी, 18 प्रतिशत जाट वोट इस बार बालियान के साथ खड़ा दिख रहा है।

Written By :  Ashish Kumar Pandey
Update: 2024-04-18 06:42 GMT

Sanjeev Balyan, Sangeet Som  (photo: social media )

Lok Sabha Election 2024: मुजफ्फरनगर में लोकसभा चुनाव काफी रोचक हो सकता है। यहां त्रिकोणिय लड़ाई देखने को मिल सकती है। वहीं क्षत्रियों की नाराजगी भाजपा प्रत्याशी संजीव बालियान के लिए भारी पड़ सकती है। वर्तमान सांसद संजीव बालियान और भाजपा के फायरब्रांड लीडर संगीत सोम के बीच तल्ख रिश्ता यहां के चुनाव को जहां रोचक बना दिया है तो वहीं भाजपा की मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं। संगीत सोम क्षत्रिय समाज से आते हैं। क्षत्रियों ने वोट न देने का कई जगहों पर एलान भी किया है। ऐसे में मुजफ्फरनगर से लगातार दो चुनाव जीते संजीव बालियान के लिए इस बार राह आसान नहीं दिख रही है। वहीं क्षत्रिय समाज को मनाने की भाजपा की कोशिशें भी जारी हैं। लेकिन जयंत के एनडीए में आ जाने से बालियान को राहत भी मिलेगी यह भी तय माना जा रहा है क्योंकि जयंत के आ जाने से जाटों मंे इस बार कोई मतभेद नहीं रह गया है।

जयंत के आने से राहत भी

मुजफ्फरनगर में 19 अप्रैल को मतदान होना है। यहां पिछले दो चुनाव से आमने-सामने रहा चुनाव इस बार त्रिकोणीय होता दिख रहा है। इस बार बीजेपी के गांव और मजबूत हो रहे हैं क्योंकि जयंत के साथ आ जाने के बाद अब जाटों के बीच कोई कंफ्यूजन नहीं है और जाटों के वोट पिछले चुनाव में जो आधे आधे बंट गए थे। वह इस बार संजीव बालियान के साथ खड़े दिख रहे हैं।

मायावती ने बढ़ाई बीजेपी की मुश्किलें

यहां इस बार मायावती ने दारा सिंह प्रजापति को टिकट देकर बीजेपी की राहें मुश्किल कर दी हैं। प्रजापति बीजेपी की ओबीसी वोट में जबरदस्त सेंधमारी करते दिख रहे हैं। यहां का प्रजापति वोट पीएम मोदी के नाम पर पिछले दो चुनाव से बीजेपी का सबसे मजबूत वोटर रहा है, लेकिन मजबूत प्रजापति के चेहरे को मायावती ने उतारा तो तकरीबन डेढ़ लाख की आबादी वाली यह बिरादरी बसपा के साथ खड़ी होती दिख रही। वहीं दलित वोट इस बार मजबूती से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मायावती के साथ खड़ा है। ऐसे में मुस्लिम वोटर फिलहाल तय नहीं कर पा रहा है कि क्या वह बसपा के साथ अपनी ताकत मिलाय या नहीं, हालांकि मुजफ्फरनगर में मुस्लिम वोट समाजवादी पार्टी के हरेंद्र मलिक के साथ मजबूती से खड़ा है।


कोई नाराज है तो कुछ नहीं किया जा सकता-

अखिलेश यादव ने मुजफ्फरनगर में अपनी सभा कर हरेंद्र मलिक को जिताने की अपील की, अखिलेश की सभा में भी भारी भीड़ जुटी थी। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि सपा इस बार संजीव बालियान को कड़ी चुनौती दे रही है, हालांकि संजीव बालियान अपने लिए चुनौती इसे नहीं मानते उन्हें लगता है की जयंत के साथ आ जाने के बाद एक बड़ा वोट बैंक उनके साथ जुड़ गया है जो उन्हें निर्णायक बढ़त दिलाएगा, लेकिन संगीत सोम के साथ मुख्यमंत्री की मध्यस्थता के बावजूद रिश्तों की तल्खी कम होने का नाम नहीं ले रही। संजीव बालियान ने कहा कि मुख्यमंत्री ने दोनों को साथ बिठाया दोनों से बात की बावजूद इसके अगर कोई नाराज है तो कुछ नहीं किया जा सकता।


संजीव बालियान और संगीत सोम के बीज मतभेद बरकरार

यहां पर राजनीतिक समीकरण के लिहाज से देखा जाए तो इस बार संजीव बालियान के लिए कुछ प्लस है तो कुछ माइनस भी है, प्लस ये है कि इस बार 18 फीसदी जाटों का बहुत बड़ा हिस्सा बालियान को मिलेगा, लेकिन एक बड़ा प्रजापति बिरादरी का वोट कटता हुआ दिखाई दे रहा है, वहीं दलित वोटों का जो एक बड़ा हिस्सा बालियान को पिछली बार मिला था। वह वोट फिर से मायावती के साथ दिख रहा है। राजपूत वोटों की नाराजगी है, लेकिन माना जा रहा है कि आखिर में मोदी-योगी के नाम पर बीजेपी के साथ आ जाएगा। कुल मिलाकर इस बार बालियान के लिए यह लड़ाई इसलिए भी थोड़ी मुश्किल में है क्योंकि बालियान का यह तीसरा चुनाव है और दो बार के सांसद रहने के बाद स्थानीय एंटीइंकैबेंसी का असर दिखाई दे जा सकता है।


जनिया क्या है जातीय समीकरण

मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर कुल 16 लाख मतदाता हैं। क्षेत्र के राजनीतिक सिनेरियो में यह आम धारणा है कि जाट मतदाता यहां के चुनावी नतीजों पर काफी असर डालते हैं। हालांकि जाट वोट यहां केवल 18 फीसदी हैं। यहां सबसे अधिक मुस्लिम वोट 39 फीसदी है। लगभग 14 फीसदी दलित वोट बैंक भी इलाके में अहम रोल अदा करता है। इसके अलावा, गुर्जर और ठाकुर समुदायों में से प्रत्येक के पास लगभग 10 फीसदी वोट हैं। प्रजापति, सैनी और त्यागी सहित अन्य जाति-आधारित समुदाय, निर्वाचन क्षेत्र के अंदर चुनाव के आखिरी नतीजों को प्रभावित करने के लिए अहम हैं।

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