Muzaffarnagar News: श्मशान घाट में पेड़ का अंतिम संस्कार, हैरान रह गए लोग
Muzaffarnagar News: साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट की राष्ट्रीय अध्यक्ष शालू सैनी ने यह बीड़ा उठाया। इससे पहले उन्होंने कोरोना काल के दौरान लोगों के अंतिम संस्कार किए थे।
Muzaffarnagar News: उत्तर प्रदेश के जनपद मुजफ्फरनगर से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जिसमें हिंदू रीति रिवाज के तहत श्मशान घाट पर बकायदा अर्थी नुमा सेमल की पेड़ की जड़ और तने का विधिवत रूप से श्मशान घाट के अंदर अंतिम संस्कार करने की तस्वीर सामने आई है जिसे हर कोई देखकर हैरान है।शायद इतिहास में यह पहली बार एक पेड़ का अंतिम संस्कार देखने को मिल सकता है जोकि चर्चा का विषय बना हुआ है।
पेड़ का अंतिम संस्कार
दरअसल पूरा मामला मुजफ्फरनगर के नई मंडी श्मशान घाट का है। जहां पर लावारिसों की वारिश कही जाने वाली क्रांतिकारी शालू सैनी ने अनोखी काम किया है। श्मशान घाट पर एक सेमल के पेड़ का अंतिम संस्कार किया। जिसमें सर्वप्रथम पूजा अर्चना विधिवत रूप से की गई। आपको बताते चले बीते 2 दिन पूर्व भोपा क्षेत्र के बेल्डा मार्ग पर सेमल का एक विशाल पेड़ अचानक गिर गया था, जिसकी उम्र लगभग 100 से 200 साल बताई जा रही है। आसपास के बुजुर्गों का कहना है कि कई पीढियों की यादें इस पेड़ से जुडी हैं।
कोरोना काल के दौरान किए कई दाह संस्कार
साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट की राष्ट्रीय अध्यक्ष शालू सैनी ने यह बीड़ा उठाया की सेमल जो की 100 से 200 वर्ष पुराना पेड़ था उसका हिंदू रीति रिवाज के तहत अंतिम संस्कार किया जाए। उन्होंने मौके पर पहुंचकर पेड़ के तने और कुछ जड़े नई मंडी श्मशान घाट पर विधिवत रूप से हिंदू रीति रिवाज के तहत पूजा अर्चना करते हुए पेड़ का अंतिम संस्कार किया। क्रांतिकारी शालू सैनी ने लावारिसों की वारिश बनाकर अब तक हजारों अंतिम संस्कार कर चुकी हैं। जिसमें हिंदू-मुसलमान सहित अन्य धर्म के लोग शामिल हैं। कोरोना काल से प्रसिद्ध शालू सैनी चर्चाओं मे आई थीं। ज़ब कोरोना के दौरान मरने वाले लोगों से परिवार के लोग भी अंतिम संस्कार के वक़्त दूर भाग रहे थे तब शालू सैनी ने उनका निशुल्क अंतिम संस्कार किया था। इन्हें कई बड़े आवार्ड भी मिल चुके है।