Muzaffarnagar News: गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को शिक्षा विभाग का नोटिस, खुले होने पर प्रतिदिन देना होगा इतना हजार जुर्माना

मदरसा को बेसिक शिक्षा विभाग से नोटिस मिलने के बाद सभी मदरसा संचालकों में हड़कंप मच गया और जमीयत उलेमा ए हिंद की ओर से आज दोपहर सभी मदरसा संचालकों के साथ एक मीटिंग की गई।

Report :  Amit Kaliyan
Update: 2023-10-22 18:08 GMT

गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को शिक्षा विभाग का नोटिस, खुले होने पर प्रतिदिन देना होगा इतना हजार जुर्माना: Photo-Newstrack

Muzafarnagar News: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के सभी मदरसा सर्वे के बाद एक बार फिर मुजफ्फरनगर के मदरसे चर्चाओं में है। कारण है कि शिक्षा विभाग द्वारा मुजफ्फरनगर के लगभग एक दर्जन से ज्यादा तालीम देने वाले मदरसों को एक नोटिस जारी करते हुए यह पूछा गया है कि अगर उनका मदरसा निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के अध्याय 4 की धारा 18 के अनुसार मान्यता प्राप्त है तो आप मदरसे की मान्यता संबंधित अभिलेखों में तीन दिन के अंदर उपलब्ध कराए और यदि आपका मदरसा मान्यता प्राप्त नहीं है तो आपके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही आरटीई एक्ट के तहत कार्यवाही की जाएगी और यदि आपका विद्यालय या मदरसा खुल पाया गया तो प्रतिदिन 10 हजार रुपए का जुर्माना भी आप पर लगाया जाएगा।

मदरसा संचालकों में मचा हड़कंप

मदरसा को बेसिक शिक्षा विभाग से नोटिस मिलने के बाद सभी मदरसा संचालकों में हड़कंप मच गया और जमीयत उलेमा ए हिंद की ओर से आज दोपहर सभी मदरसा संचालकों के साथ एक मीटिंग की गई। जमीयत शिक्षा विभाग ने जारी किया नोटिस उल्मा उत्तर प्रदेश के सेक्रेटरी कारी जाकिर हुसैन ने कहा कि ज़िला मुजफ्फरनगर में चलने वाले धार्मिक मदरसों मे निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है। इन मदरसों में कक्षाओं का भी आयोजन नही किया जाता है। ये मदरसे आज़ादी से भी पहले से चले आ रहे हैं। जो संविधान द्वारा प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों के तहत चलाये जाते हैं। इस प्रकार ये मदरसे विद्यालयों की श्रेणी में नहीं आते हैं, किन्तु इन मदरसों को कुछ दिन पूर्व से लगातार शिक्षा विभाग द्वारा नोटिस दिये जा रहे है। कि उक्त मदरसे मान्यता प्राप्त नहीं है।

मुस्लिम समाज में रोष व्याप्त

अतः उक्त मदरसे तत्काल बन्द कर दिये जायें अन्यथा आप पर दस हज़ार रुपये (10000) प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगाया जायेगा। ये नोटिस शिक्षा विभाग द्वारा, निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम 2009 की धारा 18 के अधीन प्रेषित किये जा रहे है, जबकि निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम 2009 की संशोधित अधिनियम 2012 की धारा 2 (5) में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि यह नियम मुस्लिम मदरसों, पाठशालाओं, या धार्मिक संस्थानों पर लागू नहीं होता। अतः शिक्षा विभाग द्वारा इस तरह से नोटिस प्रेषित करना अत्यंत निंदनीय है जिससे मुस्लिम समाज में रोष व्याप्त है।

इस अवसर पर जनाब कारी ज़ाकिर हुसैन क़ासमी सेक्रेटरी जमीयत उल्मा उत्तर प्रदेश ने कहा कि देश की आज़ादी में मदरसों का अहम योगदान रहा है और मदरसा के छात्रों का रिकॉर्ड रहा है कि उन्होने आज़ादी के बाद राष्ट्र निर्माण और राष्ट्र उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। शिक्षा विभाग द्वारा मदरसों को गलत तरीके से नोटिस दिए जा रहे हैं। मदरसों के माध्यम से आज भी अमन ओ एकता, आपसी मुहब्बत और भाईचारे का पैगाम दिया जा रहा है। इन मदरसों की अहमियत को समझना अति आवश्यक है।

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