Muzaffarnagar News: सेंधा नमक पाक और अफगान से आना ठीक, देश का मुसलमान खराब, टिकैत ने केंद्र सरकार को घेरा

Muzaffarnagar News: राकेश टिकैत का कहना है कि गन्ना भुगतान और गन्ने का रेट बढ़े 450 से ऊपर रेट होना चाहिए यह बढ़ाएं ना कुछ भी। लेकिन मंत्रियों के बयान कुछ इस तरह से आते हैं कि गन्ने का रेट हर साल नहीं बढ़ता तो उसे क्या मानें कि किसान के पक्षधर यह सरकार है या किसान विरोधी हैं।

Report :  Amit Kaliyan
Update:2024-11-30 20:27 IST

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Muzaffarnagar News: भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने शनिवार को मुजफ्फरनगर जनपद के नगर में स्थित अपने आवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। जिसमें उन्होंने मीडिया से बात करते हुए संभल कांड पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि संभल जैसी घटनाएं देश में और होगी, क्यूंकि राजा का एजेंडा है और उन्हें भारत का मुसलमान तो खराब लगता है, लेकिन विदेश का मुस्लिम ठीक लगता है। सेंधा नमक अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आ रहा है जो व्रत में इस्तेमाल होता है, वह उनको ठीक लगता है, लेकिन यहां का मुस्लिम उनको खराब लगता है, हम तो इसमें ये ही कहेंगे कि जो कोर्ट का आदेश हो उसको सब मानें।

साथ ही राकेश टिकैत ने यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के द्वारा गन्ने के समर्थन मूल्य को हर साल नहीं बढ़ाया जा सकता है के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि उनके इस बयान से किसान आहत और दुखी है और उनके इस बयान से उनकी मानसिकता झलकती है, क्यूंकि वह भी किसान हैं और वह भी गन्ने ओर धान की खेती करते हैं। लेकिन पता नही उनकी क्या मजबूरी है जो वे इस तरह का बयान दे रहे हैं और अगर रेट नहीं बढ़ा सकते हैं, तो इस तरह का बयान तो ना दे ताकि एक आस जो किसानों की सरकार के ऊपर है वह तो ना टूटे।

राकेश टिकैत का कहना है कि गन्ना भुगतान और गन्ने का रेट बढ़े 450 से ऊपर रेट होना चाहिए यह बढ़ाएं ना कुछ भी। लेकिन मंत्रियों के बयान कुछ इस तरह से आते हैं कि गन्ने का रेट हर साल नहीं बढ़ता तो उसे क्या मानें कि किसान के पक्षधर यह सरकार है या किसान विरोधी हैं। यह हमारा सवाल है बिजली प्राइवेट सेक्टर में जा रही है, बिजली के कर्मचारी अधिकारी उनकी जो एसोसिएशंस है वह विरोध कर रही हैं। पूरा किसान और आम लोग विरोध कर रहे तो हम उस कमेटी के साथ में भी हैं। हमारे जो किसानों के ऊपर कर्जा हुआ, सरकारों की गलत नीतियों से हुआ, कर्ज माफ होना चाहिए। टिकैत ने कहा नैनो यूरिया जो जबरदस्ती दिया जा रहा है, किसान मांग रहा डीएपी, वह दे रहे नैनो। नैनो यूरिया का किसान ने बहिष्कार कर रखा वह नहीं लेना है।

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