Muzaffarnagar News: MSP पर राकेश टिकैत का बयान, फसलों की खरीद की गारंटी ले सरकार
Muzaffarnagar News: राकेश टिकैत की माने तो यह पहले से ही है कि एमएसपी हर साल बढ़ती है एवं एक तो बढ़ने का जो पैमाना या फॉर्मेट है, वह ठीक नहीं है ।
Muzaffarnagar News: एक तरफ जहाँ केंद्र सरकार ने किसानों को सौगात देते हुए धान समेत 14 फसलों की एमएसपी बढ़ाने की मंजूरी दे दी है । वही दूसरी तरफ सरकार के इस फैसले पर राकेश टिकैत ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि फसलों पर सरकार जो एमएसपी दे रही है या बढ़ा रही है उस पर एक कानून बन जाए जिसमे सरकार सारी फसलों की खरीद की गारंटी ले।
राकेश टिकैत ने कहा कि जिनकी फसलों के दाम आप तय करते हो उनको आप बुलाते ही नहीं हो । इसमें किसानों की भागीदारी भी रखनी चाहिए । राकेश टिकैत की माने तो यह पहले से ही है कि एमएसपी हर साल बढ़ती है एवं एक तो बढ़ने का जो पैमाना या फॉर्मेट है, वह ठीक नहीं है । ज़ब इसे बढ़ायां तो क्या किसानों को भी बुलाकर उनकी भी बात सुनी? यह नहीं किया और दूसरी हमारी मांग है एमएसपी गारंटी कानून की । जो सरकार एमएसपी दे रही है या बढ़ा रही है उस पर एक कानून बन जाए कि क्या सरकार सारी फसलों की खरीद की गारंटी लेगी एवं क्या पूरी फसलों को खरीदेगी ? जब सरकार नहीं खरीद रही है तो एक कानून इसपर बना दो कि इससे कम पर कोई भी व्यापारिक खरीद नहीं होगी । यही हमारी बड़ी डिमांड है ।
यह 14 फैसले हैं जिसमें धान, मक्का, रागी आदि कई चीजे इसमें है । यह तो रूटीन प्रक्रिया है एवं कुछ इससे जब होगा जब फसल कट रही है और इससे बिक रही है और वह कहां बिक रही है और कहां खरीद हो रही है ? मक्का बिहार और पूरा मध्यआंचल व थोड़ा पश्चिम का भी इसमें हिस्सा है । आगरा से लगाकर आगे तक मक्का की खेती होती है एवं पंजाब में भी मक्का की खेती होती है ।
मक्का 800-900 रूपये कुंतल एमएसपी से कम पर बेचनी पड़ती है
सबसे ज्यादा बिहार में मक्का की पैदावार होती है , लेकिन उनको भी करीब 800-900 रूपये कुंतल एमएसपी से कम पर बेचनी पड़ती है । करीब 7 से 8 करोड रुपए का 1 साल में अकेले बिहार को नुकसान है तो इसका सब जगह नुकसान है, मैं कह रहा हूं लाभ तब मिलेगा जब उस पर खरीद होगी अगर बिहार के किसान को कोई एमएसपी का लाभ मिले तो 8000 करोड रुपए अकेले बिहार के खाते में जाएंगे, लेकिन मिल नहीं रहा है । भाई खुश कहां है? खरीद की गारंटी दे दो तो खुश हो जाएंगे । फिर इसका जो बनाने का फार्मूला है । उसमें किसान की भी भागीदारी रखें । जिसकी आप फसलों के दाम तय करते हो उसको आप बुलाते नहीं और उससे आप पूछते नहीं । वहीं बिजली कितनी महंगी है । पानी, खाद, बीज लेकिन आप उससे पूछोगे नहीं तो कैसे खुश हो जाएंगे । झूठी हां भरवाओगे मतलब दिल्ली के सफेद कागजों में तो बढ़ गए और यह 100 किलो के रेट है और 117 रुपए 100 किलो पर बढ़ाये हैं तो 107 रुपए ही तो बढ़े हैं और इसका किलो में मन तो ₹1.17 पैसे बढे हैं।