Muzaffarnagar News : मुस्लिम आबादी में खंडहर बना मंदिर, 1990 में हिंदू कर गए थे पलायन

Muzaffarnagar News : नगर कोतवाली क्षेत्र के खालापार मोहल्ले में 54 साल पहले 1970 में भगवान शिव शंकर के मंदिर की स्थापना की गई थी।

Report :  Amit Kaliyan
Update:2024-12-17 22:51 IST

Muzaffarnagar News : संभल और वाराणसी के बाद अब पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में भी मुस्लिम आबादी के बीच एक शिव मंदिर खंडहर अवस्था में पड़ा हुआ है, जिसके चारों ओर मुस्लिम आबादी है। नगर कोतवाली क्षेत्र के खालापार मोहल्ले में 54 साल पहले 1970 में भगवान शिव शंकर के मंदिर की स्थापना की गई थी। उस समय ये क्षेत्र हिन्दू बाहुल्य हुआ करता था, लेकिन धीरे-धीरे मुस्लिम आबादी बढ़ने के बाद हिंदू समाज के लोग यहां से पलायन कर गए और यह मंदिर खंडहर में तब्दील हो गया।

इस समय ये मंदिर मुस्लिम बाहुल्य इलाके में होने के चलते न तो कोई हिन्दू पूजा अर्चना करने के लिए ही आता है और न ही इस मंदिर में इस समय किसी भगवान की मूर्ति स्थापित है। बताया जाता है कि राम मंदिर विवाद के बाद हुए दंगों के समय यहां पर रहने वाले हिंदू समाज के लोग इस मोहल्ले को छोड़कर दूसरी जगह पलायन कर गए थे। पलायन करते समय ये लोग अपने साथ इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग और अन्य भगवानों की मूर्ति को भी ले गए थे। जिसके बाद से इस मोहल्ले में लगातार मुस्लिम समाज की आबादी बढ़ती चली गई और यह मंदिर खंडार हालत में तब्दील हो गया। आज हालात यह है कि ये मंदिर यहां पर स्थित तो है लेकिन न तो इस मंदिर में कोई भगवान की मूर्ति ही है और न ही कोई यहां पर पूजा अर्चना करता है। ये कहें कि अब नाम मात्र के लिए ही यह मंदिर एक खंडहर बनकर यहां स्थित है।


यहां से पलायन करने वाले परिवार के सुधीर खटीक (बीजेपी नेता) ने बताया कि सबसे पहले 1970 में इस मंदिर की स्थापना हुई थी, वहां पूजा अर्चना लगातार होती रही। इसके बाद कुछ वहां जैसे ही यह राम मंदिर का मुद्दा रहा तो वहां मुस्लिम बढ़ते रहे और हिंदू वहां से पलायन कर गए। जैसे-जैसे हिंदू पलायन करने लगा, वहां से मुस्लिम लोगों ने मीट की दुकान खोली तो वहां पूजा अर्चना करना असंभव हो गया था। इसके बाद फिर हिंदू समाज के लोग यहां से मूर्तियां विस्थापित करके 1990 -91 में ले आए और फिर उन्होंने हिंदू रीति रिवाज से पूजा अर्चना शुरू कर दी।

उन्होंने बताया कि हिंदुओं के पलायन के बाद से मंदिर में पूजा अर्चना बंद है। मंदिर के पास लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है, अपने छज्जे निकाल लिए। मंदिर यथावत है, लेकिन वहां अतिक्रमण हो गया है। उन्होंने सरकार से मेरा आग्रह किया है कि वहां अब दोबारा मंदिर की पुनर्स्थापना की जाए, ताकि पूजा अर्चना शुरू हो सके।

वहीं, इस मोहल्ले के निवासी मोहम्मद समीर आलम ने बताया कि यह 1970 में मंदिर स्थापित हुआ था। उस समय पाल बिरादरी के लोग यहां रहते थे। वह लोग यहां से अपनी संपत्ति को दूसरी जगह चले गए हैं। मंदिर में जो शिवजी की मूर्ति थी, उसे भी साथ में ले गए थे। इसके बाद से यहां पूजा नहीं होती है। यहां मंदिर की मुस्लिम समुदाय करता है। यहां साफ-सफाई की जाती है। उन्होंने कहा कि मंदिर हो या मस्जिद, यह सार्वजनिक है। कभी भी कोई आ सकता है, किसी को क्यों रोका जाएगा।


वहीं, शाहिदा बानो ने बताया कि ये मंदिर 1970 में बना था। 1990 में यहां जो हिंदू लोग रहते थे, वे सब चले गए और अपनी मूर्ति और शिवलिंग उठा कर ले गए। यहां कोई नहीं आता है। हम ही इसकी साफ सफाई और देखभाल करते हैं, हमें कोई आपत्ति नहीं है।

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