Muzaffarnagar: पहचान ने कर दिया परेशान, ढाबों से हटाने लगे मुस्लिम कर्मचारी, कुछ ने किराये पर दे दी अपनी दुकानें

Muzaffarnagar: यूपी की योगी सरकार के फैसले के साथ ही मुजफ्फरनगर में कांवड़ मार्ग की दुकानों पर दुकानदार अपने नाम वाले फ्लैक्स लगा रहे हैं। वहीं जहां ढाबों से मुस्लिम कर्मचारियों को भी कांवड़ यात्रा तक के लिए हटाया जा रहा है तो कई जगह स्वेच्छा से ही कर्मचारियों ने आने से इन्कार कर दिया है।

Report :  Amit Kaliyan
Update:2024-07-20 10:32 IST

Dhaba nameplate controversy  (photo: social media )

Muzaffarnagar News: योगी सरकार द्वारा यूपी में खाने-पीने की दुकानों पर संचालकों का नाम और पहचान अनिवार्य कर दिए जाने के बाद से जहां राजनीति गरमाने लगी है तो वहीं कांवड़ मार्गों की खाने-पीने की दुकान पर संचालकों और दुकानदारों में बेचैनी बढ़ गई है। यूपी सरकार के फैसले के साथ ही मुजफ्फरनगर में कांवड़ मार्ग की दुकानों पर दुकानदार अपने नाम वाले फ्लैक्स लगा रहे हैं। जहां ढाबों से मुस्लिम कर्मचारी भी कांवड़ यात्रा तक के लिए हटाए जा रहे हैं तो वहीं कई जगह स्वेच्छा से ही कर्मचारियों ने अपने काम पर आने से इन्कार कर दिया है।

किराया पर दे दी दुकानें

उधर अल्पसंख्यक समाज के कुछ दुकानदारों ने दूसरे समुदाय के लोगों को अपनी दुकान किराए पर दे दी या फिर साझीदार कर लिया है। तो वहीं कई जगह दुकानों पर कांवड़ यात्रा के समापन तक के लिए ताला लगा दिया गया है। पश्चिमी यूपी के करीब 240 किमी के कांवड़ मार्ग पर दुकानदारों के बीच ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। वहीं, बागपत में पुलिस ने कांवड़ मार्गों पर मीट की दुकानें और होटलों को बंद करा दिया। जिन्हें सावन माह के बाद खोला जाएगा।


यह कोई नया आदेश नहीं है

उधर, इस संबंध में मेरठ जोन के एडीजी डीके ठाकुर ने जोन के सभी कप्तानों को आदेश जारी कर सख्ती के साथ इसे पालन कराने की हिदायत दी है। एडीजी ने कहा कि ये कोई नया आदेश नहीं है, पिछले साल भी इसे लागू कराया गया था। पूरे मेरठ जोन में शासन के इस आदेश का पालन कराया जाएगा। ठाकुर ने कहा कि मुजफ्फरनगर में एक साल पहले कांवड़ियों ने एक ढाबे पर खाना खाया। उनको बाद में पता चला कि ढाबे पर बाहर हिंदू नाम लिखा था, लेकिन उसके जो मालिक-कर्मचारी थे, वह दूसरे समुदाय के थे। इसे लेकर रोष उत्पन्न हो गया। तोड़फोड़ भी हुई। इन सबसे बचने के लिए पुलिस-प्रशासन ने कानून और शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह निर्णय लिया है।

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वहां पर कोई भ्रम उत्पन्न न हो

ठाकुर ने कहा कि खासतौर से कांवड़ रूट पर खाने-पीने की दुकानें हैं, वहां कावंड़िए खाने-पीने की चीजें लेते हैं। वहां पर कोई भ्रम उत्पन्न न हो, इसलिए जो भी दुकानें-ढाबें हैं, उन पर अपने मालिक का नाम लिखें। जो कर्मचारी काम कर रहे हैं, उनके नाम लिखें ताकि जो कांवड़िए आएं तो उनको पता हो। इसके बाद वे वहां भोजन ग्रहण करें न करें, यह उनकी इच्छा है। इससे कांवड़ियों और ढाबे वालों को कोई दिक्कत नहीं होगी।

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सलीम की दुकान बंद अब वसीम का ढाबा चलाएगा मनोज

पुरकाजी निवासी सलीम छपार टोल प्लाजा के निकट लंबे समय से चाय की दुकान चला रहे हैं। पुलिस के फैसले के बाद उन्होंने कांवड़ यात्रा संपन्न होने तक अपनी दुकान बंद रखने का फैसला लिया है। वह कहते हैं कि परेशानी तो जरूरी होगी, लेकिन वे किसी झमेले में नहीं पड़ना चाहते। दुकान पर पर्दा लगा दिया गया है।

छपार के निकट ही बहेड़ी निवासी वसीम का ढाबा है। यूपी सरकार के नए नियमों के बाद अब उसने ढाबा छपार निवासी मनोज पाल को एक माह के लिए किराए पर दे दिया है। वह कहते हैं कि हमें प्रशासन के नियम से कोई परेशानी नहीं है। कांवड़ यात्रा के बाद फिर से अपना काम शुरू कर दिया जाएगा।

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यह संविधान पर हमला : प्रियंका

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के आदेश की निंदा की। उन्होंने कहा कि यह संविधान पर हमला है। उन्होंने इसे तुरंत वापस लेने की मांग की। उन्होंने आदेश जारी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की भी मांग की। प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, हमारा संविधान हर नागरिक को गारंटी देता है कि उसके साथ जाति, धर्म, भाषा या किसी अन्य आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा।


मदनी बोले-वापस लें फैसला

जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश की कठोर शब्दों में निंदा करते हुए इस फैसले को अनुचित, पूर्वाग्रह पर आधारित और भेदभावपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने की घिनौनी साजिश की जा रही है। इस फैसले को तुरंत वापस लेना चाहिए।


समर्थन में शहाबुद्दीन, बोले-अखिलेश ने दिया राजनीतिक रंग

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि कांवड़ यात्रा धार्मिक आयोजन है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे राजनीतिक रंग देने की कोशिश की है। वह हिंदुओं और मुसलमानों में टकराव की स्थिति पैदा करना चाहते हैं। बेहतर होगा कि वह धार्मिक मामलात में हस्तक्षेप बंद कर दें। राजनीति के लिए और भी बहुत अवसर मिल जाएंगे।


जेडीयू ने भी खड़े किए सवाल

यूपी सरकार के आदेश पर जेडीयू ने भी सवाल खडे़ किए। पार्टी नेता केसी त्यागी ने कहा कि बिहार में इससे भी बड़ी कांवड़ यात्रा होती है। वहां ऐसा कोई आदेश लागू नहीं है। यह प्रधानमंत्री के सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के नारे का उल्लंघन हैं। अच्छा होगा कि इसकी समीक्षा की जाए। इस आदेश को वापस लिया जाना चाहिए।

रालोद बोला-यह फरमान पूरी तरह गलत

रालोद के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी ने कहा कि यूपी सरकार का यह फरमान बिल्कुल गलत है। गांधी जी, चौधरी चरण सिंह और अन्य हस्तियों ने धर्म और जाति को पीछे रखने की बात कही है। अब राजनेता राजनीति में धर्म और जाति को आगे ले जा रहे हैं। यूपी प्रदेशाध्यक्ष रामाशीष राय ने कहा है कि यह निर्देश गलत है और इसको वापस लेना चाहिए। यह गैर सांविधानिक निर्णय है।


चिराग बोले-जाति या धर्म के आधार विभाजन का समर्थन नहीं

केंद्रीय मंत्री और भाजपा के सहयोगी चिराग पासवान ने कहा कि वह जाति या धर्म के नाम पर किसी भी विभाजन का बिल्कुल भी समर्थन या प्रोत्साहन नहीं करेंगे। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष ने कहा, मेरा मानना है कि समाज में दो वर्ग अमीर और गरीब मौजूद हैं और विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग दोनों श्रेणियों में आते हैं। हमें दो वर्गों के बीच की खाई को पाटने की जरूरत है।


गैर सनातनियों से सामान खरीदना अपवित्र : विश्वनाथ ट्रस्ट

सावन में कांवड़ यात्रा के दौरान मार्ग में पड़ने वाली दुकानों के आगे प्रोपराइटर का नाम लिखने के मामले में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय का भी बयान आया है। उन्होंने कहा कि काशी विश्वनाथ धाम के अंदर मौजूद दुकानदारों को बोर्ड पर अपना नाम लिखना होगा। कहा कि गैर सनातनी दुकानदारों से कुछ भी खरीदना अपवित्र हो जाता है।

उन्होंने योगी सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि वे जल्द ही काशी विश्वनाथ धाम के अंदर मौजूद दुकानों के लिए भी नई व्यवस्था को लागू करने जा रहे हैं, जिसके तहत दुकानदारों को अपने बोर्ड पर नाम लिखना होगा। इसके अलावा मंदिर के बाहर भी मौजूद अन्य दुकानों के लिए प्रशासन को सुझाव देंगे। उनका तर्क है कि भगवान को चढ़ाने वाले प्रत्येक प्रसाद की स्वच्छता जरूरी है। जो भक्त आते है वे स्नान ध्यान कर कपड़े बदलकर मंदिर में दर्शन करने जाते हैं।

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