जल ही जीवन हैः पानी और उसके स्रोतों को प्रदूषण से बचाएं, बोले बृजेश पाठक
विधायी, न्याय, ग्रामीण अभियंत्रण सेवा के कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक ने आज कहा कि गहरी बोरिंग से भूजल स्तर निरंतर गिरता जा रहा है। शहरों में निरंतर पक्के निर्माणों से भूजल स्तर पूरा नहीं हो पा रहा है। वर्षा जल का संचयन बहुत आवश्यक है।
लखनऊ: विधायी, न्याय, ग्रामीण अभियंत्रण सेवा के कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक ने आज कहा कि गहरी बोरिंग से भूजल स्तर निरंतर गिरता जा रहा है। शहरों में निरंतर पक्के निर्माणों से भूजल स्तर पूरा नहीं हो पा रहा है। वर्षा जल का संचयन बहुत आवश्यक है। हमें जल एवं जल स्रोतों को संरक्षित कर उन्हें प्रदूषण से बचाना होगा। जिससे सभी को स्वच्छ पेय जल उपलब्ध हो सके।
उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि थे मंत्री बृजेश पाठक
सी.एस.आई.आर.- भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-आईआईटीआर), लखनऊ, में दो दिवसीय राष्ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्ठी ''पेयजल: समस्या एवं निवारण’’ के पहले दिन के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि थे। पाठक ने कहा पेयजल ऑक्सीजन की तरह ही महत्वपूर्ण है। पानी के बिना जीवन असंभव है। हम जैसे - जैसे प्रगति कर रहे हैं, पेयजल हमारे लिए चिंता का कारण बनता जा रहा है। अनियंत्रित जल दोहन से विकट समस्याएं सामने आ रही हैं।
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पानी बर्बाद न करने के दिए निर्देश
उन्होंने कहा हम सब की ज़िम्मेदारी है कि हम अपने दैनिक कार्यों में इसका ध्यान रखें और जल को बरबाद न करें। इस हेतु हमें जनमानस को जागृत करना होगा। हमें आशा है कि पेयजल जैसे महत्वपूर्ण एवं उपयोगी विषय पर वैज्ञानिक गण के बीच होने वाली इस चर्चा में आमजन हेतु लाभकारी परिणाम प्राप्त होंगे।
संयुक्ता भाटिया ने घटते जल कही ये बात
संयुक्ता भाटिया, महापौर, लखनऊ कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि थीं। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि बढ़ती हुई आबादी और घटते जल संसाधन बहुत ही चिंता का विषय हैं। सभी को यह प्रयास करना चाहिए कि जल की बरबादी न हो। वर्षा जल का हर स्तर पर संरक्षण होना चाहिए । जल हम सबके लिए नितांत आवश्यक है। सभी को स्वच्छ पेय जल उपलब्ध कराना लखनऊ नगर निगम की प्राथमिकता है।
संगोष्ठी के संरक्षक एवं निदेशक, सीएसआईआर-आईआईटीआर प्रोफेसर एस के बारिक ने अपने सम्बोधन में कहा कि हम सभी जानते हैं कि पेयजल की समस्याब समूचे विश्वे में है। अत: हमें इसका सदुपयोग करना चाहिए और इसे बरबाद नहीं करना चाहिए, क्योंवकि पेयजल का स्रोत बहुत सीमित है और इसकी मांग बहुत अधिक है।
उन्होंने कहा नदी, झील, झरने और तालाब आदि सभी को संरक्षित कर उन्हें पहले जैसी स्वच्छ अवस्था में बहाल करना होगा। इन्हें प्रदूषण से बचाना बहुत जरूरी है। जिससे कि स्वच्छ पेयजल प्राप्त हो सके। प्रो. बारिक ने कहा कि जल को स्वच्छ करने की प्रौद्योगिकी सस्ती एवं प्रभावी होनी चाहिए, वैज्ञानिक गण इसे ध्यान में रखकर कार्य करें। उन्होंने यह भी अवगत कराया कि संस्थान में पहले भी पर्यावरण और खाद्य विषयों पर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों का आयोजन किया जा चुका है।
हिंदी भाषा पर कही ये बात
राजभाषा हिंदी में आयोजित इन संगोष्ठियों के माध्यम से जनसाधारण को इसकी जानकारी प्राप्त होती है। संस्थारन के शोध कार्यों को राजभाषा हिंदी में ज्यादा से ज्यादा उपलब्धक कराने का हमारा सदैव प्रयास रहता है। ताकि जनसाधारण को इसकी जानकारी उपलब्धर हो।
निदेशक ने यह भी कहा कि संस्थान की राजभाषा पत्रिका के अंक 31 और 32 को वर्ष 2019-20 के लिए भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग से ‘क’ क्षेत्र में वर्ष 2019-20 हेतु राष्ट्रीय स्तर पर द्वितीय राजभाषा कीर्ति पुरस्कार और वर्ष 2018-19 के लिए हिंदी कार्य हेतु क्षेत्रीय राजभाषा पुरस्कारों के अंतर्गत तृतीय” पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
प्रोफेसर अनिल कुमार गुप्ता, आईआईएम, अहमदाबाद ने अपने आधार व्याख्यान में जल आडिट एवं जल संरक्षण के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। प्रोफेसर गुप्ता का ग्रामीण जल प्रौद्योगिकी विकसित करने में बड़ा योगदान हैं। इससे पूर्व संगोष्ठी के अध्यक्ष एवं मुख्य वैज्ञानिक सीएसआईआर-आईआईटीआर डॉ. परमार ने संगोष्ठी का परिचय देते हुए कहा कि पेयजल एक महत्वपूर्ण विषय है। वेबिनार के माध्यगम से आयोजित इस संगोष्ठी में पेयजल समस्याओं के निवारण पर हिंदी में चर्चा करने से आमजन लाभान्वित होंगे। इस संगोष्ठी में 18 वैज्ञानिक व्याख्यान होंगे।
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इसमें वैज्ञानिक गण, शोध छात्रों सहित बड़ी संख्या में लोग भाग ले रहे हैं। हमारा प्रयास है कि इस संबंध में जो निष्कर्ष प्राप्त हों वह आमजन तक पहुंच जाएं जिससे इस बारे में सभी जागरूक बनें। डॉ. प्रीति चतुर्वेदी, संगोष्ठी की संयोजक एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक सीएसआईआर-आईआईटीआर ने अतिथि गण का परिचय दिया । डॉ. सत्यकाम पटनायक, संगोष्ठी के संयोजक एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक सीएसआईआर-आईआईटीआर ने धन्यवाद ज्ञापित किया ।