Ghazipur Border : आंदोलन को फिर से संभालने पहुंची किसान महिलाएं, अब चूल्हों में मक्के का साग-रोटी बनने की तैयारी

Ghazipur Border : गाजीपुर बॉर्डर पर फिर से महिला किसानों की संख्या बढ़ने लगी है।

Report :  Bobby Goswami
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-12-04 09:02 GMT

गाजीपुर बॉर्डर पर फिर से महिला किसान (फोटो- सोशल मीडिया)

Kisan Andolan : जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती जा रही है, वैसे ही गाजीपुर बॉर्डर पर फिर से महिला किसानों की संख्या बढ़ने लगी है। क्योंकि अब महिलाएं किसान आंदोलन में सहयोग करने फिर से आ गई हैं। लंबे समय से पुरुषों द्वारा गाजीपुर बॉर्डर पर खाना बनाया जा रहा था। मगर फिर से महिलाएं (women farmers Ghazipur border) वापस आ गई है, और यहां का चूल्हा चौका संभालना शुरू कर दिया है।

आज हमने गाजीपुर बॉर्डर का जायजा लिया। जहां पर जहां पर अलग-अलग जगहों से आई महिलाएं (women farmers Ghazipur border) चूल्हा संभाल रही थी,और चूल्हे पर मक्के की रोटी और सरसों का साग बनाया जा रहा है।

महिलाओं का कहना है कि घर के साथ-साथ आंदोलन (women farmers Ghazipur border) की जिम्मेदारी भी संभाल रही हैं। महिलाओं ने सरकार को चेतावनी दी है, अगर आंदोलन 2 साल 4 साल भी चलाना पड़े तो हमें कोई दिक्कत नहीं है। हम लोग घर जाने वाले नहीं हैं। हम किसानों के साथ यही डटे रहेंगे।

पुरुषों को भेजेंगे घर, हम संभालेंगे आंदोलन

बुलंदशहर से आई महिला किसान नरगिस का कहना है, कि जब घर का कामकाज था तो घर पर चले गए थे। लेकिन अब सर्दी आते ही वापस आ गए हैं। इससे पहले पुरुष किसान खाना बना रहे थे।नरगिस ने कहा कि अब हम महिलाएं आ गई है, और अब हम किसान आंदोलन(women farmers Ghazipur border)  का पूरा जिम्मा संभालेंगे।

उन्होंने कहा कि मेरे हस्बैंड पिछले लंबे समय से यहां किसान आंदोलन(women farmers Ghazipur border) की जिम्मेदारी संभाल रहे थे, और मैं अपना घर संभाल रही थी। लेकिन अब वह घर चले गए हैं और मैं किसान आंदोलन पर आकर किसान आंदोलन में अपनी जिम्मेदारी निभा रही हूं।

मेरे 5 बच्चे और हम हस्बैंड वाइफ हैं। बच्चों की वजह से एक को घर रहना होता है। और एक को किसान आंदोलन पर रहकर हम सहयोग करना होता हैं। और हम किसान आंदोलन में अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं। सरकार हमारी बात मान ले हम सरकार की बात मान लेंगे। अगर सरकार हमारी बात नहीं मानेगी तो हम यहां से जाने वाले नहीं हैं। चाहे 2 साल हो जाएं चाहे 10 साल हो जाएं। हम यहां से हिलने वाले नहीं हैं।

महिला किसान नरगिस ने कहा कि अगर सरकार अपनी जिद पर अड़ी है तो किसान भी अपनी जिद पर अड़ा हुआ है। हमें परेशानी बहुत है। घर भी चलाना पड़ता है, लेकिन आंदोलन भी देख रहे हैं। सरकार ने तो हमें रोड पर लाकर रख दिया है। तो हम रोड पर ही बैठे रहेंगे।

वही गाजीपुर बॉर्डर पर आई दूसरी महिला किसान रजनी ठाकुर का कहना है, कि हम घर का कामकाज छोड़कर यहां पर किसान आंदोलन में अपना सहयोग देने के लिए आए हैं। कुछ वक्त के लिए मेरे पति यहां रुकते हैं, और कुछ वक्त के लिए मैं यहां आ जाती हूं। परेशानी तो हो रही है। लेकिन सरकार समझने को तैयार नहीं है। सर्दी का मौसम बढ़ता जा रहा है, और यहां किसान रोड पर पड़ा हुआ है। क्या यह सरकार को दिखता नहीं है। हम आतंकवादी नहीं है। हम सिर्फ किसान हैं।

महिला के साथ रजनी ने बताया कि सरसों का साग और मक्के की रोटी बनाई गई है। किसान का खाना ही यही है। महिला किसान रजनी ने बताया की अब मेरे पति घर की जिम्मेदारी देखेंगे और उनकी जगह पर मैं यहां आन्दोलन (women farmers Ghazipur border) मे रहूंगी। सर्दी में यहां हमें बैठने का शौक नहीं है। मगर आंदोलन ज़रूरी है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हापुर मेरठ बुलंदशहर बागपत गाजियाबाद और आसपास के जिलों से महिला किसान गाजीपुर बॉर्डर पर आना शुरू हो गई हैं। उनके साथ साथ सर्दी से जुड़ा हुआ सामान भी आ रहा है।

अभी आंदोलन खत्म नहीं टिकैत

राकेश टिकैत ने साफ कर दिया है, कि अभी आंदोलन खत्म होने वाला नहीं है। उन्होंने बॉर्डर पर पहुंची महिलाओं से मुलाकात की और उनको सभी दिशा निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पुरुषों के साथ साथ महिलाएं भी इस आंदोलन की मुख्य कड़ी रही है। महिलाओं द्वारा आंदोलन में दिए गए सहयोग का वह सम्मान करते हैं, और उनसे आग्रह करते हैं, कि अपना मोर्चा यूं ही संभाले रखें। जिससे आंदोलन में किसानों की जीत हो।

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