इलाहाबाद हाईकोर्ट से दिनभर की बड़ी खबरें

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दारागंज प्रयागराज में मोरी स्थित सेठ बंशीधर गोपाल दास रस्तोगी धर्मशाला पर ट्रस्ट के उद्देश्य के विपरीत अवैध कब्जा हटाने के मामले में जिलाधिकारी को 6 माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने डीएम से कहा है कि वह दोनों पक्षो को सुनकर धर्मशाला से अवैध कब्जा हटाने का आदेश दे।

Update:2019-10-25 18:27 IST

दारागंज रस्तोगी धर्मशाला पर अवैध कब्जा, HC का डीएम को निर्देश

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दारागंज प्रयागराज में मोरी स्थित सेठ बंशीधर गोपाल दास रस्तोगी धर्मशाला पर ट्रस्ट के उद्देश्य के विपरीत अवैध कब्जा हटाने के मामले में जिलाधिकारी को 6 माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने डीएम से कहा है कि वह दोनों पक्षो को सुनकर धर्मशाला से अवैध कब्जा हटाने का आदेश दे।

यह भी पढ़ें. 10 करोड़ की होगी मौत! भारत-पाकिस्तान में अगर हुआ ऐसा, बहुत घातक होंगे अंजाम

बता दें कि यह आदेश न्यायमूर्ति पी के एस बघेल तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खण्डपीठ ने दारागंज निवासी अधिवक्ता पं रामचंद्र शर्मा की जनहित याचिका पर दिया है।

याची अधिवक्ता ने कहा...

याची अधिवक्ता का कहना था कि रस्तोगी धर्मशाला तीर्थ यात्रियों के ठहरने के लिए बनाई गई है। जिसके संचालन के लिए ट्रस्ट बनाया गया है, किंतु कुछ लोग मनमाने ढंग से इसे बेचने पर आमादा है। धर्मशाला पर अवैध कब्जा कर लिया गया है।

यह भी पढ़ें. मोदी का मिशन Apple! अब दुनिया चखेगी कश्मीरी सेब का स्वाद

याचिका में रस्तोगी धर्मशाला का रखरखाव व सुरक्षा करने तथा समाजविरोधी तत्वों से महफूज रखने की मांग की गयी है।

कोर्ट ने याचिका में विवादित तथ्यों को देखते हुए कहा कि इसे अनुच्छेद 226 में तय नही किया जा सकता। इसलिए याची डीएम के समक्ष अपनी शिकायत रखे और वह अवैध कब्जे पर पक्षो को सुनकर नियमानुसार कार्यवाही करे। कोर्ट ने याचिका निस्तारित कर दी है।

यह भी पढ़ें. झुमका गिरा रे…. सुलझेगी कड़ी या बन जायेगी पहेली?

पुलिस रिपोर्ट पेश होने तक ओयो के निदेशक की गिरफ्तारी पर रोक

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ओरावल स्टेज प्रा लि (ओयो)के संस्थापक निदेशक रितेश अग्रवाल के विरुद्ध वाराणसी के लंका थाने में दर्ज धोखाधड़ी के मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। किन्तु निदेशक याची को पुलिस रिपोर्ट पेश होने तक गिरफ्तार न करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि पुलिस प्राथमिकी की विवेचना जारी रखे।

यह भी पढ़ें. 250 ग्राम का परमाणु बम! पाकिस्तान का ये दावा, सच्चा या झूठा

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज नकवी तथा न्यायमूर्ति एस के गुप्ता की खण्डपीठ ने दिया है। याची का कहना था कि वह भारत में रहने ठहरने की सेवा दे रहा है। सेवा की कमी के आधार पर उसके खिलाफ केस दर्ज कराया गया है। उससे धन की उगाही के लिए केस कायम किया गया है। कोई अपराध नहीं बनता। किन्तु कोर्ट ने याची के तर्कों को नहीं माना और कहा कि तथ्यों को देखते हुए यह नही कहा जा सकता कि अपराध नहीं बनता। कोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए याचिका निस्तारित कर दी है।

कानपुर: पार्कों में पटाखो की बिक्री के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका खारिज

कानपुर: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर शहर के पार्कों व खेल मैदान में पटाखो की बिक्री के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर व जस्टिस विवेक वर्मा की खंडपीठ ने कानपुर के विकलांग सेवा वृद्ध उत्थान नाम की एक संस्था की तरफ से दायर जनहित याचिका पर पारित किया।

यह भी पढ़ें. एटम बम मतलब “परमाणु बम”, तो ऐसे दुनिया हो जायेगी खाक!

याचिका में कहा गया था कि कानपुर शहर के पार्कों व खेल मैदान में पटाखो कि बिक्री के लिए वहाँ के प्रशासन ने अनुमति दी है। इस अनुमति से स्कूल के बच्चे खेल नहीं पा रहे हैं। इन पटाखो कि बिक्री पर कोर्ट से रोक लगाने की मांग की गयी थी।

याचिका में प्रदेश सरकार के अलावा , कानपुर के डीएम व आयुक्त को भी पक्षकार बनाया गया था। कोर्ट ने जब याची के वकील से पटाखो कि बिक्री को लेकर प्रशासन द्वारा दी गयी अनुमति मांगी तो याची के वकील ऐसी किसी अनुमति को दिखा नहीं सके। कोर्ट का कहना था कि त्यौहार में बच्चे पटाखे खरीदने के लिए शहर से बाहर जाएंगे।

Tags:    

Similar News