तेल की दरों में उछाल से उद्योगों पर दोहरी मार, बढ़ेगी उत्पाद लागत

एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्र नाहटा पीएम व सीएम को लिखे पत्र में कहा है कि उद्योगों और आम लोगों को पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि से भी जूझना पड़ रहा है। इस महीने अब पेट्रोल की दरों में 5.7० और डीजल की दरों में 6.94 फीसदी का इजाफा हुआ है।

Update:2020-06-17 17:40 IST
PETROL

नोएडा। कोरोना वायरस के प्रकोप और लॉकडाउन से उत्पन्न आर्थिक संकट के बीच अब पेट्रोल-डीजल के बढ़े दाम ने उद्योगों पर दोहरी मार डाली है। जून के महीने में गौतम बुध नगर पेट्रोल की दरों में लगभग 6 फीसदी और डीजल की दरों में 7 फीसदी इजाफे ने जिले के 2० हजार उद्योगों की कमर तोडने का काम किया है।

एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्र सिह नाहटा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर कोरोना संकटकाल से जूझ रहे उद्योगों की इस समस्या पर चिता जाहिर कर जल्द से जल्द राहतभरा कदम उठाने की गुहार लगाई है।

महंगा हुआ पेट्रोल का दाम

एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्र नाहटा पीएम व सीएम को लिखे पत्र में कहा है कि उद्योगों और आम लोगों को पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि से भी जूझना पड़ रहा है। इस महीने अब पेट्रोल की दरों में 5.7० और डीजल की दरों में 6.94 फीसदी का इजाफा हुआ है। एक जून को पेट्रोल की दर 74 रुपये 14 पैसे प्रति लीटर दर्ज की गई थी, जबकि 17 जून को पेट्रोल 78 रुपये 62 पैसे प्रति लीटर जा पहुंचा हे। डीजल की एक जून को दरें 64 रुपये ०6 पैसे प्रति लीटर थी।

17 जून को यह दरें बढ़कर 68 रुपये 84 पैसे प्रति लीटर पहुंच गई है। सुरेंद्र नाहटा के अनुसार जून महीने के 17 दिन में ही पेट्रोल 4 रुपये 48 पैसे व डीजल 4 रुपये 78 पैसे प्रति लीटर महंगा होने का बड़ा असर उद्योगों पर पड़ा है। पहले से ही नकदी संकट से जूझ रहे उद्यमियों की समस्या ऐसे में और बढ़ गई है। ट्रांसपोर्टर किराये में 1० फीसदी बढ़ोतरी की तैयारी में जुट गए हैं।

पहले ही श्रमिकों व बाजार के संकट से 7० फीसदी औद्योगिक उत्पादन कम हो रहा है, अब तेल की दरें बढने से एमएसएमई सेक्टर की मुसीबत और ज्यादा बढ़ गई है।

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2० से 25 फीसद उद्योग जनरेटरों पर आश्रित

पारा चढने के साथ ही औद्योगिक क्षेत्र में बिजली कटौती का सिलसिला शुरू हो गया है। ऐसे में जनरेटरों का खर्च भी बढ़ गया है। जिले में 2० से 25 फीसदी उद्योग ऐसे हैं जो नियमित रूप से जनरेटरों पर आश्रित होते हैं, क्योंकि इन्हें निर्बाध रूप से बिजली की आवश्यकता होती है।

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उत्पादन लागत में 1० से 15 फीसद का इजाफा

दूसरे राज्यों से आने वाला कच्चे माल और तैयार माल की ढुलाई का खर्च भी बढ़ गया है। कुल मिलाकर उत्पादन लागत में 1० से 15 फीसदी का इजाफा होने का अनुमान है। उत्पादन लागत बढने का सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा, क्योंकि जो प्रोडक्ट तैयार होकर बाजार में आएंगे वो भी महंगे होंगे।

कोरोना संकट काल से गुजर रहे उद्योगों को त्वरित राहत देने और आम आदमी पर पड़ने वाले महंगाई के बोझ को कम करने के लिए सरकार एक्साइज ड्यूटी में कटौती सहित तेल की कीमतों को कम करने की दिशा में कदम उठाने चाहिए।

रिपोर्टर- दीपंकर जैन, नोएडा

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