व्यापारी नेता बनवारी लाल कंछल के खिलाफ NBW जारी, 29 साल पुराना है मामला

व्यापारी नेता बनवारी लाल कंछ्ल के खिलाफ 29 साल पुराने एक केस में मंगलवार (18 अप्रैल) को एसीजेएम नीलू मैनवाल ने नॉन बेलेबल वारंट जारी किया है। कंछल व्यापार कर के ऑफिस में मारपीट, तोडफोड़ और आगजनी करने के तीन मामलो में आरेापित हैं।

Update:2017-04-18 20:13 IST
व्यापारी नेता बनवारी लाल कंछल के खिलाफ NBW जारी, 29 साल पुराना है मामला

लखनऊ: व्यापारी नेता बनवारी लाल कंछ्ल के खिलाफ 29 साल पुराने एक केस में मंगलवार (18 अप्रैल) को एसीजेएम नीलू मैनवाल ने नॉन बेलेबल वारंट जारी किया है। कंछल व्यापार कर के ऑफिस में मारपीट, तोडफोड़ और आगजनी करने के तीन मामलो में आरेापित हैं। साल 1988 की इस घटना में केार्ट ने कंछल के साथ ही अन्य मुल्जिमों मोती चंद्र अग्रवाल, हुकुम चंद्र अग्रवाल, देशराज अग्रवाल, श्रीनिवास अग्रवाल, राजेंद्र अग्रवाल, महबुब अली और अशोक कुमार उपाध्याय के खिलाफ भी नॉन बेलेबल वारंट जारी करने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 06 जून को होगी।

लखनऊ के थाना हजरतगंज में इस घटना की तीन एफआईआर दर्ज हुईं थी। एक एफआईआर व्यापार कर के तत्कालीन असिस्टेंट कमिश्नर (प्रशासन) एमएम कटियार ने दर्ज कराई थी। दूसरी थाना हजरतगंज के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक रमेश प्रताप सिंह जबकि तीसरी एसएसआई रमेश चंद पुष्कर ने दर्ज कराई थी।

18 अप्रैल और 12 नवंबर, 2006 को सीबीसीआईडी ने इन तीनो मामलों में मुल्जिमों के खिलाफ आईपीसी की गंभीर धाराओं में आरोप पत्र दाखिल कर दिया था, लेकिन अभियुक्त आज तक कोर्ट में हाजिर नहीं हुए।

अभियुक्तों पर आरेाप है कि घटना वाले दिन लाठी-डंडा और असलहों से लैस होकर वे लोग व्यापार कर भवन में घुस गए। वहां अधिकारियों से गाली गलौज करने लगे। उन्हें बुरी तरीके से मारकर घायल कर दिया और उन्हें जान से मारने की धमकी दी। व्यापार कर भवन में लगे शीशे परिसर में खड़े सभी वाहनों को भी तोड़ दिया। साथ ही व्यापार कर अधिकरण के चेयरमैन की गाड़ी को भी जला दिया गया था।

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कोर्ट ने तलब की यूपी सरकार की खनन नीति

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार से प्रदेश की खनन नीति पर 21 अप्रैल को विस्तृत जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार आम लोगों को सस्ती बालू माैंरंग उपलब्ध कराने के लिए क्या कदम उठा रही है। यह आदेश जस्टिस अरूण टंडन और जस्टिस डी के उपाध्याय की बेंच ने अमिताभ सिंह की याचिका पर पारित किया।

याचिका में कहा गया कि 2012 से प्रदेश में खनन पर रोक है और इसलिए बालू मौरंग काफी महंगा हो गया है। कहा गया कि प्रदेश सरकार अपनी खनन नीति नहीं बना रही है। जिससे कि प्रदेश में इन चीजों के दाम नियंत्रित रहें। कोर्ट ने पहले सरकार से खनन नीति तलब की थी। सोमवार को सरकार की ओर से जो जवाब दिया गया था उससे कोर्ट सहमत नहीं थी।

मंगलवार को की सख्ती के बाद एडीशनल कैबिनेट सेक्रेटी आर पी सिंह हाजिर हुए और उन्होंने कोर्ट को बताया कि सरकार में अभी न तो कोई प्रमुख सचिव है और ना ही निदेशक। कोर्ट के पूछने पर उन्होंने कहा कि सरकार खनन नीति बना रही है। जिस पर कोर्ट ने विस्तृत नीति पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को होगी।

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