न्यायिक या विभागीय प्रक्रिया के दौरान ग्रेच्युटी का हक नहीं: हाईकोर्ट

इस रेग्युलेशन के अनुसार सरकारी कर्मचारी के खिलाफ न्यायिक या विभागीय प्रक्रिया या किसी प्रशासनिक अधिकरण के समक्ष कोई जांच विचाराधीन रहने पर, जिसमें आपराधिक मुकदमा भी सम्मिलित है, उसे डेथ कम रिटायरमेंट ग्रेच्युटी नहीं दी जा सकती।

Update: 2019-05-11 16:58 GMT

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट के तीन जजों की पूर्णपीठ ने न्यायिक या विभागीय प्रक्रिया के दौरान कर्मचारी को ग्रेच्युटी मिलने या न मिलने का मुद्दा करते हुए फैसला दिया है कि इस दौरान कर्मचारी ग्रेच्युटी पाने का हकदार नहीं है।

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यह निर्णय न्यायमूर्ति पंकज मित्तल, न्यायमूर्ति सुनीत कुमार एवं न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पूर्णपीठ ने दिया है। इस मुद्दे पर दो खंडपीठों के फैसलों में मतभिन्नता के कारण इसे पूर्णपीठ को संदर्भित किया गया था। मामले के तथ्यों के अनुसार कुछ कर्मचारियों के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया विचाराधीन थी। इस कारण रिटायरमेंट के बाद उनकी पेंशन व ग्रेच्युटी रोक दी गई।

इस पर दाखिल याचिका की सुनवाई के दौरान एकल पीठ के समक्ष जय प्रकाश व फेनी सिंह के मामलों में दो खंडपीठों के अलग-अलग निर्णय सामने आए। पूर्णपीठ ने इस कानूनी मुद्दे पर विचार करते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में यूपी सिविल सर्विसेज (10वां अमेंडमेंट) का रेग्युलेशन 919 (ए) महत्वपूर्ण है।

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इस रेग्युलेशन के अनुसार सरकारी कर्मचारी के खिलाफ न्यायिक या विभागीय प्रक्रिया या किसी प्रशासनिक अधिकरण के समक्ष कोई जांच विचाराधीन रहने पर, जिसमें आपराधिक मुकदमा भी सम्मिलित है, उसे डेथ कम रिटायरमेंट ग्रेच्युटी नहीं दी जा सकती।

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