अब रफ्तार पकड़ेगा बुंदेलखंड एक्सप्रेस वेः भारत सरकार से मिली स्टेज-2 की मंजूरी
श्री अवस्थी ने बताया कि एक्सप्रेस में झांसी इलाहाबाद राष्ट्रीय मार्ग संख्या 35 भरतकूप के पास जनपद चित्रकूट से प्रारंभ होकर आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे पर ग्राम कुदरेल के पास जनपद इटावा में समाप्त होगा। इस परियोजना से जनपद चित्रकूट बांदा महोबा हमीरपुर जालौन एवं इटावा लाभान्वित होंगे।
लखनऊः यूपीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया है कि भारत सरकार द्वारा बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे परियोजना के निर्माण के लिए 77. 278 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग करने के लिए अंतिम स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसी के साथ बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे के काम में तेजी लाने का रास्ता खुल गया है।
ये जिले रहेंगे फायदे में
श्री अवस्थी ने बताया कि एक्सप्रेस में झांसी इलाहाबाद राष्ट्रीय मार्ग संख्या 35 भरतकूप के पास जनपद चित्रकूट से प्रारंभ होकर आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे पर ग्राम कुदरेल के पास जनपद इटावा में समाप्त होगा। इस परियोजना से जनपद चित्रकूट बांदा महोबा हमीरपुर जालौन एवं इटावा लाभान्वित होंगे।
बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र को देश की राजधानी दिल्ली से आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे एवं यमुना एक्सप्रेसवे के माध्यम से जुड़ेंगे तथा बुंदेलखंड क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होने कहा कि बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे परियोजना का निर्माण तीव्र गति से हो रहा है और 13 अक्टूबर तक कुल 18.30 प्रतिशत भौतिक कार्य पूर्ण कर लिया गया है।
कहां से कितनी जमीन
श्री अवस्थी ने कहा कि बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे परियोजना का निर्माण तीव्र गति से कराया जा रहा है। प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे के निर्माण के लिए जनपद चित्रकूट में 3.22 75 हेक्टेयर, जनपद बांदा में 7.87 58 हेक्टेयर, जनपद हमीरपुर में 8.65 हेक्टेयर जमीन की स्वीकृति स्टेज 2 के लिए दी गई है।
इसके अलावा जनपद महोबा में 2.4868 हेक्टेयर, जनपद जालौन में 11.913 हेक्टेयर, जनपद औरैया में 22.9393 हेक्टेयर तथा जनपद इटावा में 7.2940 अर्थात कुल 77.278 हेक्टेयर वन भूमि के उपयोग की स्टेज-2 की विधिवत स्वीकृति भारत सरकार के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा प्रदान कर दी गई है।
गौरतलब है कि फरवरी 2020 में भारत सरकार के वन मंत्रालय द्वारा बुंदेलखंड एक्सप्रेस परियोजना हेतु 77.278 हेक्टेयर वन भूमि का गैर वानिकी प्रयोग करने के लिए स्टेज वन की सैद्धांतिक स्वीकृति यूपीडा को प्रदान की जा चुकी है।
स्टेज 1 की सभी शर्तों के अनुसार वन भूमि के स्थान पर यूपीडा ने उत्तर प्रदेश वन विभाग को गैर वन भूमि उपलब्ध कराई है जिस पर यूपीडा द्वारा वन विभाग को दिए गए धन से वृक्षारोपण कार्य कराया जाएगा जिसकी देखभाल 10 वर्षों तक वन विभाग द्वारा की जाएगी ताकि पर्यावरण को सुदृढ़ बनाया जा सके।