यूपी में मुख्यमंत्री के निर्देशों को गंभीरता से नहीं ले रहे है अधिकारी: मायावती
मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देश पर सरकारी अधिकारियों ने उन प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा व खाने-पीने की उचित व्यवस्था की होती तो वे लोग चाय पीने दुकान पर क्यों रुकतेे और उनकी क्यों मौत होती ? बसपा सुप्रीमों ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि जिन अधिकारियों ने अपनी ड्यूटी सहीं नहीं निभाई है उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
लखनऊ: बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने शुक्रवार को औरैया में हुई 24 मजदूरों की मौत पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को घेरते हुए कहा है कि यूपी के अधिकारी अपने मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देशों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैै। उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देश पर सरकारी अधिकारियों ने उन प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा व खाने-पीने की उचित व्यवस्था की होती तो वे लोग चाय पीने दुकान पर क्यों रुकतेे और उनकी क्यों मौत होती ? बसपा सुप्रीमों ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि जिन अधिकारियों ने अपनी ड्यूटी सहीं नहीं निभाई है उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
अधिकारी मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देशों को गंभीरता से नहीं ले रहें- मायावती
मायावती ने शुक्रवार को कहा कि दुख की बात है कि यूपी के मुख्यमंत्री ने कल ही मीडिया में बयान दिया कि उनके राज्य की सीमा के भीतर हर प्रवासी श्रमिकों व मजदूरों की सुरक्षा, उनके रहने, खाने व उन्हें सुरक्षित घरों को भेजने आदि की व्यवस्था उनके सरकारी अधिकारियों द्वारा की जाएगी, जिसका खूब प्रचार-प्रसार भी किया गया। लेकिन अधिकारी उनके दिशा-निर्देशों को गंभीरता से नहीं ले रहें हैं, जिस कारण ही आज तड़के औरैया की भीषण सड़क दुर्घटना घटी और लगभग 24 लोगों की जानें चली गई।
उन्होंने यूपी सरकार से मांग की है कि जिन अधिकारियों ने अपनी ड्यूटी सहीं नहीं निभाई है उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए तथा पीड़ित परिवारों व घायलों को पूरी आर्थिक मदद करने के साथ ही मृतकों को उनके परिवारजनों तक घर पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित करे। उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री से कहा है कि वह भी अपने दिशा-निर्देशों का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करायें।
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बसपा सुप्रीमों ने कहा कि देश में कोरोना की महामारी से बचने के लिए लॉक डाउन लगाया गया। लेकिन इससे सबसे ज्यादा दुखी व पीड़ित करोड़ों प्रवासी मजदूर नजर आ रहे हैं। उन्होंने रोजी-रोटी के लिए अपने राज्यों को छोड़कर देश के दूसरे बड़े राज्यों के शहरों व कस्बों में मजबूरी में पलायन किया। लेकिन दुख की बात यह है कि जब उन राज्यों की सरकारों ने वहां इनके ठहरने व खाने आदि की सही व्यवस्था नहीं की तो तब इन्हें वापस अपने मूल राज्यों में लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा।
परिवारों के साथ घर लौटने को मजबूर हुए मजदूर
ऐसे लोगों को उनके मूल राज्यों में भेजने की समुचित व्यवस्था केन्द्र व राज्य सरकारों को करनी चाहिए थी, जो कि नहीं की गई। उन्होंने कहा कि बसपा बार-बार केन्द्र व राज्य सरकारों से इस सम्बंध में मांग करती रहीं कि उन्हें उनके मूल राज्यों में भेजने की उचित व्यव्स्था की जाए, पर केन्द्र व राज्य सरकारें कहती तो रहीं परन्तु वैसा किया नहीं और फिर लम्बे इंतजार के बाद प्रवासी श्रमिकों व मजदूरों को बड़ी मजबूरी में जैसे-तैसे अपनी-अपनी व्यवस्था करके जान को जोखिम में डालकर अपने परिवारों के साथ घर लौटने को मजबूर होना पड़ रहा है।
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लोगों की सही मदद होनी चाहिए और जमीनी हकीकत में नजर आनी चाहिए-मायावती
मायावती ने कहा कि वैसे अभी हाल ही में कुछ श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई गई हैं, लेकिन उसमें भी लोग आरोप लगा रहे है कि वह मुफ्त होने के बजाए उनसे पैसा लिया जा रहा है। बीच में दलाल आदि भी सक्रिय हो गए हैं जबकि मजदूरों के पास पैसा नहीं है तो वे टिकट कहां से खरीदेगें। इसलिए पैदल जाना उनकी मजबूरी है और इस दौरान देश भर में हुए हादसों में अनेकों मौतें हुई हैं। उन्होंने केन्द्र सरकार के स्पेशल आर्थिक पैकेज की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि यह आर्थिक पैकेज सही मायने में लोगों तक पहुंचना चाहिए। लोगों की सही मदद होनी चाहिए और जमीनी हकीकत में नजर आनी चाहिए। केवल पेपरबाजी से व दिशा-निर्देश आदि जारी करने से काम चलने वाला नहीं है।
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बसपा सुप्रीमों ने कहा कि वास्तव में हमारी पार्टी देश के मौजूदा खराब हालात और खासकर मजदूरों की अनवरत त्रासदी से बहुत ही ज्यादा दुखी है। अब तक होने वाली कार्रवाइयों से हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं, क्योंकि सरकारी निर्देशों का सही से अनुपालन होता हुआ नहीं लग रहा है। लोगों की लगातार मौतें भी हो रही हैं व उनकी परेशानी भी किसी प्रकार से कम नहीं हो रही है।
उन्होंने मजदूरों से भी अपील की है कि वे पैदल ना चलें। ट्रकों आदि पर ना चलें बल्कि सरकार की तरफ से बसों व रेल आदि की सही व्यवस्था का इंतजार करें। वे जहां भी रहते हैं वहां की पास की रेल स्टेशनों पर जाए ताकि सरकार उनकी घर वापसी की उचित व्यवस्था करने को मजबूर हों।