इटावा: इस महंगाई के दौर में 10 रुपए में एक बोतल पानी भी नहीं मिलता, लेकिन कोतवाली इलाके के बिजली घर के पास बने झोपड़े में 75 साल की महिला राममूर्ति अभी भी 10 रुपए में भरपेट खाना खिला रही है।
राममूर्ति को इस उम्र में ठीक से दिखाई नहीं देता, लेकिन वो पिछले कई साल से ये काम कर रही हैं। उनका कहना है कि वो खुद गरीब हैं। इसलिए गरीबों का दर्द समझती हैं। उनके झोपड़े में रोज 10 से 15 लोग खाना खाते हैं।
क्या कहते हैं रोज खाने वाले
-10 रुपए में पानी का बोतल भी नहीं मिलता। ग्राहक सुरेश यहां तीन साल से खा रहे हैं।
-कहते हैं- अम्मा राममूर्ति इतने सस्ते में कैसे खिला देती हैं? यह हैरानीभरा है।
-चार रोटी, दाल, चावल, सब्जी और अचार देती हैं। इतना स्वादिष्ट होता है कि अंगुलियां चाटते रह जाओ।
-इतने कम पैसे में खिलाना पुण्य का काम है ।
-मैं 6 साल से ये काम कर रही हूं। डॉक्टर ने मना किया स्टोव जलाने के लिए। लेकिन मैं खाना पकाती और खिलाती रहूंगी।
-जब तक देह चलेगी काम करती रहूंगी। बहुत संतोष मिलता है लोगों का पेट भरकर। मुझे मुनाफा कमाकर अमीर नहीं बनना है।
-सब की दाल-रोटी चलती रहे यही बहूत है।