होम क्वॉरेंटाइन वृद्ध की हो गई मौत, शरीर में पड़ गए कीड़े
कोरोना को रोकने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारें युद्ध स्तर अभियान छेड़े हुए हैं और बाहर के राज्यों से आये हुए लोगों को उन्हें क्वारनटाइन भी किया जा रहा है, चाहे वह होम क्वारनटाइन ही क्यों न हो।
बाराबंकी: कोरोना को रोकने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारें युद्ध स्तर अभियान छेड़े हुए हैं और बाहर के राज्यों से आये हुए लोगों को उन्हें क्वारनटाइन भी किया जा रहा है, चाहे वह होम क्वारनटाइन ही क्यों न हो। लेकिन बाराबंकी से होम क्वारनटाइन की ऐसी खबर सामने आई है जिसको सुन कर किसी का भी दिल कांप उठेगा। यहां एक वृद्ध को होम क्वारनटाइन किया गया था। कई दिनों बाद जब शनिवार को घर का दरवाजा खोला गया तो उसका मृत शरीर मिला, जिसमें कीड़े पड़ गए थे।
बाराबंकी जनपद के थाना मोहम्मदपुर खाला इलाके के गांव बढ़नापुर में कल एक वृद्ध की दर्दनाक मौत हो गयी। यह वृद्ध कुछ सप्ताह पूर्व गुजरात से बाराबंकी आया था। प्रशासन ने एहतियात के लिए इस सख्श को दिनांक 22 मार्च को होम क्वारनटाइन किया था और घर के बाहर नहीं निकलने या बाहरी व्यक्ति से न मिलने का फरमान सुनाया था। कल जब उसके घर से तेज दुर्गन्ध आ रही थी तो ग्रामीणों ने प्रशासन को इसकी खबर दी। मृतक के पड़ोसियों की अगर मानें तो दुर्गन्ध इतनी तेज थी कि लोगों का खड़ा होना मुश्किल हो रहा था। ग्रामीण जब किसी तरह से मृत शरीर के पास पहुंचे तो शरीर से कीड़े रेंगते दिखाई दिए अर्थात वृद्ध की मौत हुए इतना लंबा समय बीत गया था कि पूरे शरीर में कीड़े पड़ गए थे। ग्रामीण कहते हैं कि जब से प्रशासन ने होम क्वारनटाइन किया था तबसे भयवश वह लोग उधर जाते ही नहीं थे। कभी-कभी राशन इत्यादि लेते जाते समय वह लोग उन्हें देख लेते थे। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि शरीर पर कीड़े इस कदर थे कि वह दीवारों पर भी रेंगने लगे थे। इस सबसे यह लगता है कि उनकी मौत काफी पहले ही हो चुकी थी।
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गांव की आशा बहू ने बताया कि वह 22 तारीख को जब क्वारनटाइन किया गया था तब वह आयी थी और फिर उसके बाद वह 4 अप्रैल को घर के दरवाजे पर नोटिस चस्पा करने आई थी। इस दौरान उन्हें किसी अनहोनी की भनक भी नहीं थी। यह वृद्ध अकेले घर में रहते थे और इनकी उम्र लगभग 82 वर्ष थी। अपने जिद्दी स्वभाव के कारण वह अपना खाना भी खुद ही बनाते थे। अब उनकी मृत्यु कब हुई यह साफ नहीं है, लेकिन 4-5 दिन पहले जरूर इनकी मृत्यु हुई होगी तभी कीड़े पड़े अन्यथा दो दिन की मृत्य में कीड़े नही पड़ सकते।
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स्थानीय महिला ग्राम प्रधान के पति महेन्द्र वर्मा ने बताया कि मृतक अपने पौत्र के साथ गुजरात से गांव आया था, क्योंकि इसके प्रपौत्र का मुण्डन था। यह अपना खाना खुद बनाते थे और एक अप्रैल को उनके यहां से राशन भी लेकर गए थे। दिनांक 4 अप्रैल को बेलहरा के निवासी डॉक्टर बृजेश के यहां से अपनी दवा भी लेकर आये थे क्योंकि यह दमा के मरीज थे। अब इनकी मृत्यु कब हुई यह बता पाना सम्भव नहीं है, लेकिन इनकी मृत्यु को काफी समय जरूर हो गया था अन्यथा शरीर में कीड़े न पड़ते। अपनी लापरवाही मानते हुए महेन्द्र वर्मा कहते हैं कि वह पिछले कई दिनों से दूसरे कामों में उलझे हुए थे इसी कारण मृतक की ओर ध्यान नहीं दे पाए।
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बाराबंकी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर रमेश चन्द्रा से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मृतक गुजरात से आया था और उसे होम क्वारनटाइन किया गया था जिसकी मृत्यु हो गयी है। जहां तक देख रेख की बात है तो आशा बहू जाती होगी और बाहर से हाल-चाल जानकर वापस हो जाती होगी। कीड़े पड़ने के लक्षणों के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता उसको कोरोना के कहीं लक्षण नहीं थे परन्तु फिर भी हमने उसका सैम्पल लेकर भेज दिया है जिसकी रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कह पाना सम्भव होगा। जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी से यह पूछा गया कि अगर उसे इस दौरान मेडिकल टीम देखती तो उसकी ऐसी भयावह मृत्यु न होती तो इस पर उन्होंने बात काटते हुए कहा कि होम क्वारनटाइन का अर्थ यह नहीं होता कि हम उसे रोज देखें बल्कि यह संस्थागत क्वारनटाइन में होता है कि मरीज हर समय डॉक्टरों की देखरेख में रहता है। होम क्वारनटाईन में हमें सिर्फ इतना देखना होता है कि वह 14 दिनों तक किसी से न मिले और वह घर बाहर न निकले।
रिपोर्ट: सरफराज वारसी