घर का खुला मैदान भी किरायेदारी कानून में भवन माना जायेगाः हाई कोर्ट
कोर्ट ने जानवरों की चरही को भवन मानते हुए किरायेदारी से बेदखली आदेश की वैध करार दिया है और किरायेदार की पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति एस.पी. केशरवानी ने कानपुर नगर सब्जी मंडी स्थित मकान संख्या 76/184 के खुले एरिया में जानवरों की नाद के किरायेदार मुन्नू यादव की याचिका पर दिया है।
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि उ.प्र. किराया नियंत्रण कानून की धारा 3 (1) के अंतर्गत मकान के साथ खुली जमीन भी भवन मानी जायेगी। यदि मकान के लान में जानवरों की चरही किराये पर दी गई है तो किराया न देने पर किरायेदारी कानून के तहत कार्यवाही में बेदखली की जा सकती है। किरायेदार ने खुले मैदान पर छत न होने के आधार पर भवन मानने से इंकार कर दिया था और कहा था कि उसकी किरायेदारी की बेदखली किराया कानून के तहत नहीं की जा सकती।
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कोर्ट ने जानवरों की चरही को भवन मानते हुए किरायेदारी से बेदखली आदेश की वैध करार दिया है और किरायेदार की पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति एस.पी. केशरवानी ने कानपुर नगर सब्जी मंडी स्थित मकान संख्या 76/184 के खुले एरिया में जानवरों की नाद के किरायेदार मुन्नू यादव की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि आउट हाउस, गैराज, गार्डेन भी भवन का अंतरंग हिस्सा है।
छत विहीन होने के बावजूद वह भवन माना जायेगा। मालूम हो कि मकान मालिक रामकुमार यादव ने मकान की खुली जगह पर जानवरों को खिलाने के लिए बनी 4 नाद याची को किराए पर दी। किराया बकाये पर मकान मालिक ने 18 जून 16 को नोटिस दी। न किराया दिया और न ही खाली किया तो वाद दायर हुआ। लघुवाद न्यायाधीश कानपुर नगर ने मकानमालिक के पक्ष में फैसला दिया जिसे चुनौती दी गयी थी। कोर्ट के सामने सवाल था कि खुला मैदान, जिस पर छत नहीं है, क्या भवन है? कोर्ट ने कहा भवन का आशय रिहायशी व व्यावसायिक है। इसमें सटी हुई जमीन भी शामिल है। जरूरी नहीं की जमीन छत से ढंकी हो।
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किराये पर दिए भवन के बेहतर उपयोग का मकान मालिक को हकः हाई कोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि मकान मालिक को अपनी जमीन का बेहतर उपयोग करने का अधिकार है। मकानमालिक पुराना एक मंजिला मकान गिराकर नक्शे के अनुसार काम्प्लेक्स का निर्माण करना चाहता है और किराये के दूकानदारों को काम्प्लेक्स में दूकान दे रहा है तो किरायेदार काम्प्लेक्स के लिए अवरोध नहीं खड़ा कर सकते। मकान मालिक को बेहतर सुविधा देकर अधिक किराया लेने का भी अधिकार है। मकान मालिक की जरूरत के आधार पर इस पर आपत्ति नहीं की जा सकती।
किसी को भी मकान मालिक को उसकी योजना में बदलाव करने को बाध्य करने का भी अधिकार नहीं है। कोर्ट ने किरायेदार दूकानदार की याचिका 5 हजार हर्जाने के साथ खारिज कर दी है और अधीनस्थ न्यायालय के आदेश को सही माना है। यह आदेश न्यायमूर्ति एस.पी. केशरवानी ने मुजफ्फरनगर रुड़की रोड पर बाग केशवदास में किराये के दुकानदार सुरेंद्र सिंह की याचिका पर दिया है। अलोक स्वरूप की सड़क पर 7 दूकानें थी जिसमें से एक याची को किराए पर दी गयी थी। जिसमे बिजली के सामान की दूकान है।
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मकान मालिक ने अपनी जमीन पर नक्शा पास कराकर काम्प्लेक्स का निर्माण कराया। भूतल पर याची को दूकान भी दी। इसके बावजूद काम्प्लेक्स के सामने बनी दूकान वह खाली नहीं कर रहा था तो बेदखली वाद दायर हुआ। कोर्ट ने किरायेदार को पुरानी दूकान खाली करने का आदेश दिया। सक्षम प्राधिकारी ने दूकान की जर्जर हालत और मालिक की जरूरत के आधार पर यह आदेश दिया। इसके खिलाफ अपील खारिज हो गयी जिसे चुनौती दी गयी थी।