वेद और शास्त्र की ऋचाओं से गूंज उठा बनारस का संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय
काशी में वर्षों बाद वैदिक कालीन शास्त्रार्थ परंपरा जीवंत हो गई है। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित अंतरराष्ट्रीय शास्त्रार्थ महाकुंभ में देश-विदेश के मूर्धन्य विद्वान शास्त्रार्थ करने में जुटे हैं। विद्वानों ने अपने तर्क से लोगों को अंचभित कर दिया।
वाराणसी: काशी में वर्षों बाद वैदिक कालीन शास्त्रार्थ परंपरा जीवंत हो गई है। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित अंतरराष्ट्रीय शास्त्रार्थ महाकुंभ में देश-विदेश के मूर्धन्य विद्वान शास्त्रार्थ करने में जुटे हैं। विद्वानों ने अपने तर्क से लोगों को अंचभित कर दिया। एक के बाद एक सवालों का जवाब देते हुए विद्वानों ने अपनी विद्ववता से लोगों को प्रतिउत्तर कर दिया। हालांकि यह अभी शुरूआत है। तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय शास्त्रार्थ महाकुंभ में देश के विभिन्न प्रांतों के अलावा नेपाल, भूटान, इटली, मॉरीशस, म्यांमार समेत कई देशों के करीब 100 से अधिक विद्वान आए हुए हैं।
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इस दौरान संस्कृत के विद्वान व्याकरण, न्याय, वैशेषिकम्, मीमांसा, वैदिक गणित, ज्योतिष, प्राचीन न्याय, योग, आयुर्वेद, द्वैत वेदांत, वेदांत सहित अन्य विषयों पर चर्चा-परिचर्चा हुई। वहीं युवाओं का शास्त्रार्थ परिसर स्थित वाग्देवी मंदिर प्रागंण में आयोजित हुई। विश्वविद्यालय के शताब्दी भवन में ब्रम्हश्री विश्वनाथ गोपाल कृष्ण शास्त्री की अध्यक्षता में शास्त्रार्थ महाकुंभ का शुभारंभ हुआ। सम्मेलन के पहले दिन नेपाल, वर्मा, भूटान आदि देशों के विद्वान काशी सहित दक्षिण भारतीय पंडितों ने विभिन्न विषयों पर अपना-अपना तर्क प्रस्तुत करते हुए एक-दूसरे को चुनौती दे रहे थे। व्याकरण शास्त्र में दरभंगा से आए विद्वान गणेश्वर झा ने अपने पक्ष को रखा।
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इस बीच तीन दशक से वीरान पड़े यज्ञ कुंडों पहले दिन अग्निहोत्रम यज्ञ चल रहा है। यह यज्ञ सुबह शाम समान रुप से चलेगा। वहीं दूसरे दिन 13 जुलाई को राष्ट्र के कल्याण के मित्रविंदा यज्ञ आयोजित किया है। विशेष प्रकार के इस यज्ञ के लिए तिरुपति से विद्वान बुलाए गए थे।