मां कसम! इन तीन बच्चों की दुखभरी दास्तान सुनकर फट जाएगा आपका कलेजा
आधुनिकता के इस युग में जहां इंसानियत को शर्मशार करने वाली खबरे सुर्खिया बन रही है। वही रायबरेली से मानवता को नई मिसाल देने वाली खबर सामने आई है। यहां अपनी मृत मां का अंतिम संस्कार न कर पाने वाले मासूम बच्चों को मदद के लिए कई लोग सामने आये है।
रायबरेली: आधुनिकता के इस युग में जहां इंसानियत को शर्मशार करने वाली खबरे सुर्खिया बन रही है। वही रायबरेली से मानवता को नई मिसाल देने वाली खबर सामने आई है। यहां अपनी मृत मां का अंतिम संस्कार न कर पाने वाले मासूम बच्चों को मदद के लिए कई लोग सामने आये है।
मामला बछरावां थाना क्षेत्र के कुर्री सुदौली गांव का है। यहां की रहनी वाली अन्दरून अपने तीन मासूम बच्चों के साथ इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंची। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी।
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जिसके बाद बच्चों के सामने मां के अंतिम संस्कार की समस्या खड़ी हो गई क्योंकि बच्चो के पिता की मौत पहले ही हो चुकी और मासूम बच्चों को दुनिया की रीति रिवाजों की जानकारी नही और न ही इतने मजबूत कंधे कि वह माँ की मौत के सदमे के साथ अपनी माँ के जनाजे को कंधा दे सके। लोगो को जब मामले की जानकारी हुई तो लोगो ने आगे आकर न बच्चों को संभाला बल्कि उसकी मृत माँ के अंतिम संस्कार की व्यवस्था भी की।
समाजसेवी अमिताभ पांडेय के मुताबिक रायबरेली जिला अस्पताल में आज उस वक्त गहमा गहमी नजर आई जब तीन मासूम बच्चों के सामने उनकी माँ गुजर गई और बच्चों के सामने अपनी माँ का अंतिम संस्कार करने की विकट समस्या खड़ी हो गई। यह बात जब लोगो को पता चली तो जिले के कई संभ्रांत लोग सामने आए और पहले बच्चों के खाने पीने की व्यवस्था की साथ ही उसकी माँ के अंतिम संस्कार को धर्म और रीति रिवाज के साथ पूरा करवाया। इतना ही नही लोगों ने बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए समाज सेवी आमिताभ पांडये ने 5000 हजार रुपयों की एफडी भी करवाई।
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डॉ बीरबल, प्रभारी सीएमएस, जिला अस्पताल के मुताबिक जिला अस्पताल के सीएमएस और महिला का इलाज करने वाले डॉ बीरबल का कहना है कि महिला तीन दिन पहले जिला अस्पताल में भर्ती हुई थी लेकिन उसकी तबीयत ज्यादा खराब थी । उसको मेडिकल कालेज ले जाने के लिए कोई जिम्मेदार नही था, हम लोगो ने भरसक प्रयास किया लेकिन सफल नही हो सके। पैसों के अभाव में इलाज की बात सीएमएस ने सिरे से नकार दी।
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