जौनपुर में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कौन होगा काबिज, जानिए पूरा गणित
पंचायत चुनाव का परिणाम आने के बाद अब जिले के राजनैतिक धुरन्धरों की निगाह जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर टिक गयी है।
जौनपुर: पंचायत चुनाव (Panchayat Election) का परिणाम आने के बाद अब जिले के राजनैतिक धुरन्धरों की निगाह जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर टिक गयी है। चुनाव जीतने वाले लगभग एक दर्जन सदस्य जिले का प्रथम नागरिक बनने के लिए जोड़ तोड़ शुरू कर दिये हैं। कौन होगा जिले का प्रथम नागरिक यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन शासन के आरक्षण के हिसाब से इस बार महिला ही प्रथम नागरिक की कुर्सी पर बैठेगी।
यहां हम अब एक नजर डालते हैं, जिला पंचायत सदस्य के जीते सदस्यों पर जिसमें पंचायत के इस चुनाव में कुल 83 वार्डों में सपा के 42 सदस्य चुनाव जीते हैं। भाजपा के 10 लोग ही चुनाव जीत सके हैं तो बसपा भी 10 सीटों पर जीत दर्ज कराया है। भाजपा की सहयोग पार्टी अपना दल एस ने जनपद के दक्षिणान्चल के मड़ियाहूं तहसील क्षेत्र में अपनी ताकत का एहसास कराया और 06 वार्डों पर जीत दर्ज कराया है।आईएमआईएस 02 पर उलेमा कौंसिल 01,आप-03 पर विजय हासिल किया है। शेष वार्डों में निर्दलियों जीत दर्ज कराया है।
कुर्सी पाने के लिए सपा के पास पूर्ण मत
जिला पंचायत के अध्यक्ष की कुर्सी पर विराजमान होने के लिए 42 मतों की जरूरत होगी और सपा के पास 42 सदस्य मौजूद है। ऐसा माना जा रहा है कि यदि सपा के सदस्यों ने अपनी कीमत न लगा कर पार्टी के प्रति वफादारी दिखाया तो इसमें कोई दो राय नहीं है कि सपा जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज न हो सके। हां यदि सदस्यों ने अपनी कीमत लगाया और अपने नेता के संग धोखा किया तो कुछ भी संभव हो सकता है। सपा खेमे से खबर मिली है कि यहां पर अध्यक्ष की कुर्सी के लिए दावेदारों की संख्या भी अधिक है।
धनंजय भी अपने कवायद में जुटे
बतादे कि जनपद के वार्ड संख्या 45 से चुनाव जीत कर सदस्य बनी पूर्व सांसद एवं बाहूबली नेता धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला सिंह रेड्डी पहले से ही अध्यक्ष की दावेदारों में शामिल है। उन्हें अध्यक्ष की कुर्सी पर स्थापित करने के लिए पति धनंजय सिंह अपनी गुणा गणित की कवायद में जुट गए हैं। खबर यह आ रही है कि धनंजय सिंह ने सपा का दामन पकड़ने के लिए सपा के एक पूर्व मंत्री एवं विधायक पर डोरा डालना शुरू कर दिया है। पूर्व सांसद के एक समर्थक ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि श्रीकला सिंह रेड्डी सपा की प्रत्याशी हो सकती है जब इसकी पुष्टि किया गया तो अन्दर खाने में चल रही कहानी की जानकारी हुई है।
दूसरी ओर सपा के कई वरिष्ठ नेता गण इस पक्ष में लगे हुए हैं कि सपा का कोई पुराना कार्यकर्ता अध्यक्ष की कुर्सी पर विराजमान हो और इसके लिए सपा के नेता गण अपने राष्ट्रीय नेतृत्व से वार्ता कर रहे हैं। सपा जन नहीं चाहते हैं कि सदस्य संख्या देख कोई भी व्यक्ति यहाँ आकर उसका लाभ उठाये। यहां एक बात और है कि श्रीकला सिंह रेड्डी को सपा स्वीकारे या न स्वीकारे उनका तो चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। ऐसे में यदि सदस्यों ने अपनी कीमत लगायी तो परिणाम कुछ अलग ही नजर आयेगा। हलांकि भाजपा की संख्या बल कम है फिर भी भाजपा अध्यक्ष की कुर्सी के लिए चुनावी दांव खेलने से परहेज नहीं करेगी।
इस तरह यह माना जा रहा है कि हर हाल में अध्यक्ष की कुर्सी पर विराजमान होने के लिए खरीद फरोख्त का खेल बृहद पैमाने पर संभव है। इसमें हर तरफ से सपा सदस्यों पर डोरे डाले जायेंगे अगर सपा एक जुट रही तो कुर्सी सपा की अन्यथा किसकी होगी अनुमान लगाना कठिन नहीं है। खरीद फरोख्त के शिकार बसपा सहित अन्य छोटे दलों के सदस्यों को होने की प्रबल संभावना नज़र आ रही है।