Baghpat News: खपराना गांव के लोगों चुनाव का किया बहिष्कार, नेताओं और सरकार पर शहीद के अपमान का आरोप

Baghpat News: लद्दाख के द्रास सेक्टर में ड्यूटी के दौरान बर्फ में दबने से शहीद हुए अनुज पुंडीर के गांव वालों ने गांव में पंचायत कर जिले के आलाधिकारियों, नेताओं और सरकार पर शहीद के अपमान का आरोप लगाते हुए 2022 के विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला लिया है।

Report :  Paras Jain
Published By :  Deepak Kumar
Update:2022-01-28 19:33 IST

Baghpat News : जिले के खपराना गांववालों ने पंचायत कर चुनाव 2022 का किया बहिष्कार। 

Baghpat News: लद्दाख के द्रास सेक्टर (Dras Sector of Ladakh) में ड्यूटी के दौरान बर्फ में दबने से शहीद हुए अनुज पुंडीर (Martyred Anuj Pundir) के गांव वालों ने गांव में पंचायत कर जिले के आलाधिकारियों, नेताओं और सरकार पर शहीद के अपमान का आरोप लगाते हुए 2022 के विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) का बहिष्कार करने का फैसला लिया है। शहीद अनुज पुंडीर बागपत जनपद के खपराना गांव का रहने वाला था और वह लद्दाख के द्रास सेक्टर में ड्यूटी पर तैनात था। जहां वह बर्फ में दबने से शहीद हो गए।


दरअसल आपको बता दें कि बागपत जनपद (Baghpat District) के बिनौली क्षेत्र के खपराना गांव निवासी 26 वर्षीय अनुज कुमार पुंडीर पुत्र अशोक वर्ष 2015 में सेना में भर्ती हुए थे। वे इस समय लद्दाख के द्रास सेक्टर सेना की 11 ग्रेनेडियर्स यूनिट में सिपाही के पद पर तैनात थे। ड्यूटी करते समय बर्फ की ढांग गिरने से कई सैनिक दब गए थे। जिसमें अनुज को गंभीर हालत में चंडीगढ़ के आर्मी हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। जहां कई दिनों से इलाज चल रहा था। बीते शनिवार देर रात इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। जिसके बाद अनुज पुंडीर का पार्थिव शरीर गांव में लाया गया और सैनिक सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।


गांव वालों ने नेताओं ओर सरकार पर ये आरोप

इसके बाद गांव वालों ने नेताओं ओर सरकार पर आरोप लगाए की उनके गांव का लाल देश के लिए शहीद हो गया। लेकिन सरकार का कोई भी नुमाइंदा या कोई नेता, प्रत्याशी उनके दरवाजे तक नहीं आया। वह अपने गांव के लाल का अपमान किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे। खपराना गांव वालों ने गांव में पंचायत कर जिले के आलाधिकारियों नेताओं और सरकार पर शहीद के अपमान का आरोप लगाते हुए 2022 के विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) का बहिष्कार करने का फैसला लिया है। ग्रामीणों का कहना है कि नेता चुनाव के दौरान वोट लेने आ जाते है लेकिन उसके बाद किसी के भी सुख दुख में नहीं आते।

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