इरादे नेक हो तो उड़ने के लिए पंखों की जरूरत नहीं, मथुरा की बेटी बनेगी अमेरिका में देश का चेहरा

इरादे नेक हो तो उड़ने के लिए पंखों की जरूरत नहीं होती सिर्फ जज्बात ही काफी है।भारत बदल रहा है, ये तब लगने लगता है जब मथुरा की तंग गलियों से निकलकर पावनी खंडेलवाल वाशिंगटन डीसी (यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका ) में भारत का बनेंगी चेहरा बनेंगी।

Update: 2019-03-08 07:09 GMT

नितिन गौतम

मथुरा: इरादे नेक हो तो उड़ने के लिए पंखों की जरूरत नहीं होती सिर्फ जज्बात ही काफी है।भारत बदल रहा है, ये तब लगने लगता है जब मथुरा की तंग गलियों से निकलकर पावनी खंडेलवाल वाशिंगटन डीसी (यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका ) में भारत का बनेंगी चेहरा बनेंगी। पावनी (24 साल ) ने इस बात को साबित किया है। सैकड़ों महिलाओं को तो आत्मनिर्भर बना कर इस विटिया ने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन ऐसा आएगा ​जब सात समंदर पार से बुलावा आएगा और वो देश प्रतिनिधित्व भी करती नजर आएंगी।

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आगामी 22 तारीख को अमेरिका में महिलाओं की उद्यमिता पर होने वाले एक कार्यक्रम में विश्व की 10 महिलाओं में चुने जाने के बाद भारत का चेहरा बनने वाली पावनी अमेरिका में जाकर इतनी छोटी सी उम्र में देश का नाम रोशन करेगी। दरअसल मथुरा की पावनी खंडेलवाल देशभर से अकेली महिला है जिन्हें 22 मार्च से होने जा रहे वर्ल्ड इकनोमिक आर्डर के प्रोग्राम के लिए चुना गया है।इन्होंने तक 3200 महिलाओ को फाइनेंसियल स्तर पर मजबूत किया है। पावनी खुश हैं कि उन्हें भारत की ओर से यह मौका मिला है। प्रस्तुत है 24 साल में ही सैकड़ों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के बाद विश्व की 10 महिलाओं में चुनी गई पावनी से newstrack.com की खास बातचीत।

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पावनी मथुरा की एक सोशल इंटरप्रेन्योर और एक्टिविस्ट हैं। जो पूरे भारत में संचालित आत्मनिर्भर लर्निंग महिलाओं के लिए एक दोपहिया ड्राइविंग स्कूल चलाती हैं। एक नॉन फॉर प्रॉफिट संगठन जिसे आत्मनिर्भर महिला संघ कहा जाता है। जो महिला उद्यमिता को बढ़ावा देता है। पावनी के इस कदम से सबसे ज्यादा खुश उनकी माँ है और वह कहती है कि माँ बाप बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करते है लेकिन आज मेरी बेटी ने मुझे आत्मनिर्भर बनाया है। और जब लोग उसकी तारीफ करते है तो इससे बड़े गर्व की कोई बात नहीं हो सकती।

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क्या पूरा कार्यक्रम

यह कार्यक्रम वाशिंगटन और शिकागो में फ्रेडरिक नौमन फाउंडेशन द्वारा महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया जाएगा। सप्ताह भर चलने वाले कार्यक्रम में पावनी महिला संचालित उद्यम, मेंटरशिप, नेटवर्किंग और महिलाओं के लिए वित्त पोषण के अवसर, महिलाओं की सामाजिक अपेक्षाओं और दायित्वों, उद्यमशीलता कौशल निर्माण और शिक्षा, आदि विषयों पर लोगों को जाग्रत करेंगी और चर्चा करेंगी।

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कैसे हुआ चयन

आगामी 22 मार्च को अमेरिका में होने वाले जिस कार्यक्रम में दुनिया भर से केवल 10 महिलाओं को एक कठिन स्क्रीनिंग प्रक्रिया के माध्यम से चुना गया है ,उसमें शिरकत करने का मौका पावनी को मिला है। जिन अन्य देशों की महिलाएं भाग ले रही हैं, वे जर्मनी, जॉर्जिया, मोरक्को, ग्रीस, बुल्गारिया, तुर्की और कंबोडिया हैं। दुनिया भर से चुनी गई 10 महिलाओं में से अपने आप का नाम आने के बाद आज भी पावनी को यह सब सपने जैसे लगता है और वह इस बात से खुश है कि उन्हें भारत की ओर से यह मौका मिला है।

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आसपास के इलाके में लड़कियों के लिए काफी बंदिशें थी

पावनी ने न्यूजट्रैक को बातचीत में बताया कि वह बचपन से ही महिला सशक्तिकरण के लिए काम करना चाहती थी क्योंकि जिस जगह वह पली बढ़ी उस जगह के आसपास के इलाके में लड़कियों के लिए काफी बंदिशें थी। और उन्हें पहली प्रेरणा वहीं से मिली और दूसरी प्रेरणा उनकी अपनी माँ बनी। पावनी ने बताया कि उनकी माँ स्कूटी चलाना चाहती थी उन्होंने माँ के अंदर के डर को खत्म करते हुए माँ को स्कूटी चलाना सिखाया ओर यही से पावना ने उन महिलाओं के लिए लंबी लड़ाई को लड़ने की ठानी और आत्मनिर्भर संस्था की शुरुआत की।

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आज पावनी ने सैकड़ों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाते हुए एक मिसाल कायम की है। पावनी ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह खुद अपने पैरों पर खड़े होकर दूसरों को आत्मनिर्भर बनाएंगी। पावनी मानती है कि महिलाओं को शुरू से ही इस तरह का माहौल मिलता है कि वह आत्मनिर्भर नहीं हो पाती। और उन्हें ऐसा लगता है कि वह किसी अन्य पर आत्मनिर्भर है।

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पावनी रोल मॉडल है

जहां ऑस्कर में भारत की धाक जमाने वाली हापुड़ की उन बेटियों की याद अभी लोगों के जहन में है, वहीं भारत की एक ओर बेटी अमेरिका में भारत और मथुरा का नाम रोशन करेगी। इसे सुनकर पावनी के पड़ोस में रहने वाले लोग भी काफी खुश है और वह मानते है कि भारत सरकार की स्किल डेवलपमेंट की जो भी योजनाएं चल रही है उनके लिए पावनी रोल मॉडल है। उनका कहना था कि पावनी जैसी बेटियां केंद्र सरकार को भी दिशाएं दे रही है, महिलाओं को कैसे शिक्षित किया जा सकता है कैसे अर्निंग के लिए प्रोत्साहित कर उसको आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।

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आज भारत की महिलाएं भी पुरुषों से पीछे नहीं है

पड़ोसी ए पी सिंह कहते हैं कि मथुरा की तंग गलियों से निकलकर विदेशों में भारत की ओर से प्रतिनिधित्व करने वाली पावनी को देख लगता है कि भारत बदल रहा है और आज भारत की महिलाएं भी पुरुषों से पीछे नही है बस जरूरत है तो इनको अपने कंधे से कंधा मिलाकर साथ लेकर चलने की।

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