उप चुनावों में नहीं दिखा नोटबंदी का असर, रिजल्ट से बढ़ा PM मोदी का कद

Update:2016-11-23 18:47 IST

लखनऊ: नरेंद्र मोदी सरकार ने 8 नवंबर की रात 8 बजे 500 और 1,000 रुपए के नोट को बंद करने की घोषणा की और उसके दूसरे दिन से नोटों को बदले जाने को लेकर पूरे देश में हो-हल्ला मच गया। लेकिन 18 नवंबर को चार लोकसभा और 10 विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव के नतीजे बताते हैं कि जनता इस फैसले से न केवल खुश है बल्कि बीजेपी का वोट प्रतिशत भी बढ़ गया है।

82 फीसदी लोग नोटबंदी से सहमत

वहीं सी-वोटर ने 8 नवंबर को नोटबंदी के बाद एक सर्वे कराया था जिसमें लोगों से राय पूछी गई थी कि क्या वो नोटबंदी के बाद भी बीजेपी को वोट देंगे। सर्वे में 82 प्रतिशत लोगों ने अपनी राय हां में दी।

दीदी के दावे हवा-हवाई

पश्चिम बंगाल में लोकसभा की तमलुक और कूचबिहार सीट और विधानसभा की मतेश्वर सीट पर उपचुनाव हुआ था। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने तीनों सीट जीत लीं। ये सीटें टीएमसी के ही पास थीं। सीएम ममता बनर्जी ने इसे नोटबंदी के खिलाफ जनता का गुस्सा बताया लेकिन आंकडों पर नजर डालें तो बात कुछ और सामने आती दिखाई दी। 2014 लोेकसभा चुनाव में बीजेपी को 16.57 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि उपचुनाव में उसे 28.2 प्रतिशत वोट मिले।

बीजेपी ने अपनी सीटें बचाईं

अरुणाचल प्रदेश के हुलांग विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ। ये सीट पूर्व सीएम कालिखो पुल के निधन से रिक्त हुई थी। उनकी पत्नी दसागलू बीजेपी प्रत्याशी थीं। वो चुनाव जीत गईं। असम की लखीमपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ। बीजेपी को यहां भी जीत मिली। ये सीट भी बीजेपी के पास थी।

कांग्रेस की हालत बद से बदतर

लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस जिस बुरी हालत में थी। वो हालत उसकी अभी भी बनी हुई है। त्रिपुरा की बरजाला सीट माकपा ने कांग्रेस से छीन ली। वहीं मध्यप्रदेश की शहडोल लोकसभा और नेपानगर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए। दोनों सीटें बीजेपी के पास थीं और उसी के पास रही।

एआईडीएमके की सभी सीट सुरक्षित

तमिलनाडु की तीन विधानसभा सीट तंजावुर,अरावकुरिची और तिरूपरानकुंदरम सीट पर उपचुनाव हुए। ये सीटें एआईडीएमके के पास थीं। सीटें उसी के पास रहीं।

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